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भारत विभाजन : वेदना और संवेदना विषय पर राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी  

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इटारसी। भारत विभाजन, वेदना और संवेदना विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में मुख्य वक्ता पंजाब विश्वविद्यालय भटिंडा से डॉ हरीत मीणा, शासकीय महाविद्यालय नर्मदापुरम डॉ. हंसा व्यास, पूर्व सेवानिवृत्त प्राचार्य केएल साहू, कालेज की जनभागीदारी समिति अध्यक्ष डॉ नीरज जैन, नगरपालिका अध्यक्ष इटारसी पंकज चौरे, महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ राकेश मेहता, संगोष्ठी के आयोजक डॉ.ओपी शर्मा के सानिध्य में संपन्न हुआ।

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ राकेश मेहता (College Principal Dr. Rakesh Mehta) ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत विभाजन अभूतपूर्व मानव विस्थापन और पलायन की दर्दनाक कहानी है, जिसमें पलायन करने वालों को आशियाना तलाश करना पड़ा।

विभाजन की स्थिति इतनी भयावह थी कि करीब 10 लाख लोगों को जान गंवानी पड़ी और दो करोड़ लोग विस्थापित हुए। इस विभीषिका से हमें सीख लेते हुए एकता, सहयोग, भाईचारे और देश प्रेम की भावना के साथ रहना चाहिए।

पंजाब विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के सहप्राध्यापक डॉ हरीश मीणा (Associate Professor Dr. Harish Meena) ने बताया कि किस प्रकार हमारी संस्कृति प्राचीन काल से समृद्ध थी और धीरे-धीरे उसे अलग किया। उन्होंने पूरे इतिहास को दोहराते हुए बताया कि ऋग्वेद एक ऐसा प्रमाणिक ग्रंथ है जिसे यूनेस्को ने मान्यता दी है। उसमें 275 बार जन शब्द आए हैं जिस राजा को जन का समर्थन रहता है।

वह राजा सबसे ज्यादा प्रसिद्ध होता है। इसका उदाहरण अशोक महान एवं समुद्रगुप्त से बताया। उन्होंने विभाजन के सबल पक्ष और निर्मल पक्ष के रूप में बताया कि स्वतंत्रता एक मजबूत पक्ष है, जबकि मजबूरी के साथ उसे अपनाना उसका दुर्बल पक्ष है।  

शासकीय नर्मदा महाविद्यालय नर्मदापुरम की प्राध्यापक डॉ हंसा व्यास (Professor of Government Narmada College Narmadapuram Dr. Hansa Vyas) ने 1905 के बंगाल विभाजन को इंगित करते हुए बताया कि किस प्रकार तत्कालीन समय के लोगों ने उस विभाजन का रक्षाबंधन द्वारा विरोध किया और यह विभाजन हमेशा से ही दुखदाई रहे हैं।

शासकीय विवेकानंद महाविद्यालय नरसिंहपुर के प्राचार्य केएल साहू (Principal of Government Vivekananda College, Narsinghpur, KL Sahu) ने  बताया कि विभाजन के लिए वेदनाएं बहुत हैं और इसे हम कभी पूरा नहीं कर सकते हैं।

संचालन डॉ ओपी शर्मा ने एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ असुंता कुजूर ने किया। इस अवसर पर विभिन्न महाविद्यालयों के शोधार्थी प्राध्यापक एवं महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ रश्मि तिवारी, डॉ अरविंद शर्मा, डॉ अर्चना शर्मा, डॉ मीरा यादव, डॉ मनीष चौरे, डॉ संतोष अहिरवार, डॉ मुकेश जोठे आदि लोग उपस्थित थे।

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