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कड़कड़ाती ठंड में देर रात तक कवियों ने बांधा समां

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नर्मदापुरम। नर्मदांचल पत्रकार संघ (Narmadanchal Journalist Association), नर्मदा आव्हान सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन (All India Kavi Sammelan) का आयोजन कर मां नर्मदा के घाट पर रेवा की कल-कल धारा के साथ स्वर साधना की।

देश के मौलिक कवियों में अंतरराष्ट्रीय कवि प्रोफेसर पूर्व सांसद ओमपाल सिंह निडर के मुख्यातिथ्य में हुए कार्यक्रम में अध्यक्षता नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती नीतू महेंद्र यादव ने की। विशिष्ट अतिथियों में पार्षद श्रीमती नयना सोनी, मनीष तिवारी एडवोकेट, समाजसेवी हंस राय उपस्थित रहे।

मंच संचालक कौशल सक्सेना थे। प्रोफेसर ओमपाल सिंह निडर, ओज के कवि चौधरी मदनमोहन समर, मधुर कंठी कवयित्री शिवांगी शर्मा, प्रियंका मिश्रा, वीर रस के प्रसिद्ध युवा कवि राहुल राय, ओज के कवि पुष्पक देशमुख और हास्य,करुण रस के ख्याति प्राप्त कवि मुकेश मासूम ने शानदार काव्यपाठ किया।

कवि सम्मेलन में देर रात तक देश के विभिन्न अंचलों से आये 8 कवियों ने हजारों श्रोताओं को अपनी कविता, गीत, गजल, ओज, हास्य, व्यंग्य की रचनाओं से भाव विभोर कर दिया।

इस मौके पर नर्मदांचल पत्रकार संघ (Narmadanchal Journalist Association) के सभी पदाधिकारियों, सदस्यों का फूलमालाओं एंव स्मृति चिन्ह से सम्मान किया गया।

कवियों का स्वागत प्रफुल्ल तिवारी, आशीष दीक्षित, बलराम शर्मा, कार्यक्रम संयोजक केप्टिन करैया,पंकज शुक्ला, बृजेन्द्र जाट,विजय कुम्भारे सहित अन्य सदस्यों ने फूल मालाओं से किया। स्वागत भाषण प्रफुल्ल तिवारी ने एवं प्रस्तावना केप्टिन करैया ने दी।

सरस्वती वंदना मुरैना की शिवांगी शर्मा “प्रेरणा” की प्रस्तुति से कवि सम्मेलन प्रारंभ हुआ। अंतरराष्ट्रीय कवि प्रोफे. ओमपाल सिंह “निडर“फिरोजाबाद ने चिरपरिचित अंदाज मे “उठो साथियों, निज धरम बिक न जाये बहन जगो निज धरम ना जाये। यही आरजू है, मेरी कवि गणो से,सब कुछ बिके पर कलम बिक न जाये” को खूब ताली मिली ओर वंदे मातरम् के नारे लगे।

ओज के कवि चौधरी मदनमोहन “समर“ने कहां कि “हम दिव्य नहीं हैं दिनकर से लेकिन छोटी सी चिंगारी हैं हम जहां खड़े हैं वहीं राष्ट्र की अस्मत के पुजारी हैं।

रायसेन के कौशल सक्सेना ने अपनी रचना में कहा कि “पहले श्रृद्धा ने टुकड़े किये विश्वास, के फिर आफताब ने टुकड़े किये लाश के” श्रोताओं बहुत सराहा। खातेगांव के मुकेश मासूम ने ऊंचाई प्रदान करते हुए अपनी रचना ‘‘जहां में हर किसी को एक सी किस्मत नहीं मिलती। हर एक दिल को वफाओं की यहां कीमत नही मिलती।बहुत मुश्किल है जीवन का समंदर पार कर लेना। यहां केवल तमन्नाओं से ही जन्नत नहीं मिलती।” जिसको श्रोताओं ने खूब तालियां बजी।

बैतूल के पुष्कर् देशमुख ने हे कृष्ण मेरी मौत पर मौन क्यों खडा है तु। क्यों मेरी परीक्षा लेने, जिद पर अड़ा है तू, आंखों में भरकर आंसू सावन सी बरसती हूँ मैं, छप्पन भोग लगते हैं तुझे, निवाले को तरसती हूँ मैं। खूब वाहवाही लूटी।

मुरैना की शिवांगी शर्मा ने “बालपन मे दिखेंगी तुम्हें नर्मदा आके मैकाल पर्वत जरा देखिए शिव पसीने से जन्मी है रेवा यहां देवभूमि ये अनुपम धरा देखिए” पर खूब हर हर नर्मदे की गुंज हुई श्रोताओं को बहुत पसंद आई।

विजयराघवगढ़ से आई प्रियंका मिश्रा की रचना “ठिठूरे-ठिठूरे गांव में शीत लहर बौछार माँ ने स्वेटर था बुना संग बुना था प्यार बहुत सराही गई। बनखेड़ी के राहुल राय की रचनाओं पर श्रोताओं ने खूब ताली बजाई ओर देर रात तक श्रोताओं को खूब गुदगुदाय एवं लोट पोट करते हुए बांधे रखा।

कार्यक्रम का संचालन बलराम शर्मा एवं आभार प्रर्दशन कमलेश चौधरी ने किया।

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