सिलसिला एवं तलाशे जौहर के तहत रचना पाठ का आयोजन

Post by: Rohit Nage

इटारसी। मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी (Madhya Pradesh Urdu Academy) द्वारा नर्मदापुरम (Narmadapuram) में सिलसिला एवं तलाशे जौहर के तहत दर्द होशंगाबादी (Dard Hoshangabadi) एवं शेर सिंह सोलंकी (Sher Singh Solanki) की याद में स्मरण एवं रचना पाठ का आयोजन जिला अदब गोशा नर्मदापुरम द्वारा पत्रकार भवन इटारसी (Patrakar Bhavan Itarsi) में किया।

उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी ने कार्यक्रम की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उर्दू अकादमी के सिलसिला और तलाशे जौहर के जिलावार आयोजनों के माध्यम से प्रदेश के होनहार रचनाकारों, नवोदित प्रतिभाओं को तो मंच मिल ही रहा है, साथ ही स्थान स्थान पर उल्लेखनीय साहित्यिक, सांस्कृतिक और सामाजिक सेवा करने वाली विभूतियों को भी स्मरण किया जा रहा है और उनके योगदान के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है।

आयोजन में स्व दर्द होशंगाबादी और शेर सिंह को याद किया और युवा पीढ़ी को उनकी बेशकीमती साहित्यिक विरासत से परिचित कराया गया। नर्मदापुरम जिले के समन्वयक सौरभ सूर्य ने बताया कि स्मृति प्रसंग एवं रचना पाठ दो सत्रों पर आधारित था। प्रथम सत्र में शाम 4 बजे तलाशे जौहर प्रतियोगिता में जिले के नये रचनाकारों ने तात्कालिक लेखन प्रतियोगिता में भाग लिया। निर्णायक मंडल में भोपाल के वरिष्ठ शायर आबिद काज़मी एवं सलीम सरमद, ममता बाजपेई इटारसी मौजूद रहे।

नए रचनाकारों द्वारा कही गजलों पर एवं उनकी प्रस्तुति के आधार पर निर्णायक मंडल के संयुक्त निर्णय से हिमांशु शर्मा ने प्रथम, नर्मदा हरियाले ने द्वित्तीय एवं देवांश बैरागी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। दूसरे सत्र में शाम 7 बजे सिलसिला के तहत स्मरण एवं रचना पाठ की अध्यक्षता राष्ट्रीय कवि संगम के जिलाध्यक्ष सुनील बाजपेई ने की। वरिष्ठ शायर आबिद काज़मी मुख्य अतिथि रहे। इस सत्र के प्रारंभ में वक्ताओं ने प्रसिद्ध शायर एवं साहित्यकार स्व. दर्द होशंगाबादी एवं स्वतंत्रता सेनानी स्व. शेर सिंह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

जफरउल्लाह खां ने दर्द होशंगाबादी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अपना वक्तव्य पेश करते हुए कहा कि गंगा जमुनी तहजीब के प्रचारक नर्मदा के सपूत दर्द होशंगाबादी ने लगभग 700 गज़लें और गीत लिखे, उनके द्वारा लिखे गए प्रमुख उपन्यासों में ‘आरती की वर्तिका’ एवं ‘दर्द के आंसू’ शामिल हैं एवं प्रमुख नाटकों में मदन महल एवं पुकार आदि शामिल हैं। हिमांशु हार्दिक ने स्व. शेर सिंह के बारे में कहा कि शेर सिंह सोलंकी भक्ति साहित्यकार थे। इनकी भूदान यज्ञ में महत्वपूर्ण भूमिका रही। इसी के साथ एक कृषक होते हुए शिवपुर ग्राम के मालगुजार रहे। जाबली ग्राम में विद्या मंदिर विद्यालय दान किया जिसके साथ कृषि भूमि भी दान की। इसी प्रकार नर्मदापुरम में जुमेराती में स्थित क्षत्रिय भवन के लिए भूमि दान की, इसी प्रकार अपना जीवन लोगों की सहायता में सुखमय जीवन व्यतीत किया।

रचना पाठ में शायरों में आलोक शुक्ला, सुनील भिलाला, आफाक खान, मदन तन्हाई, जफर खान आदि ने अपनी रचनाएं पेश कीं। अंत में जिले के वरिष्ठ साहित्यकार, कवि डॉ. विनोद निगम के निधन पर उनकी स्मृति को वरिष्ठ उपन्यासकार विनोद कुशवाहा ने साझा किया एवं श्रद्धांजलि अर्पित की गई। संचालन पवन सराठे ने आभार सौरभ सूर्य ने माना।

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