सावन में द्वादश ज्योर्तिलिंग पूजन एवं रुद्राभिषेक प्रारंभ

सावन में द्वादश ज्योर्तिलिंग पूजन एवं रुद्राभिषेक प्रारंभ

  • – श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर में सोमनाथ ज्योर्तिलिंग का पूजन एवं अभिषेक किया

इटारसी। जीवन शिव (Shiva) के बिना अधूरा ही नहीं शव के समान है। शिव ही जगत के अधिष्ठाता हैं। महिला पुरुष शिव के उपायक होते हैं। यही कारण है कि परिवारों में मंगल और सुख शांति रहती है। उक्त उद्गार मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे (Acharya Pt. Vinod Dubey) ने शिवार्चन के समय व्यक्त किए। आगामी 12 दिन तक चलने वाले इस आयोजन में बारह ज्योर्तिलिंग (Twelve Jyotirlingas) का पूजन और अभिषेक होगा।

प्रथम दिवस सोमनाथ (Somnath) के पार्थिव ज्योर्तिलिंग का पूजन एवं अभिषेक किया। यजमान नारायण दुन्दभी (Narayan Dundabhi) एवं श्रीमती सेवन्ती दुन्दभी (Mrs. Sevanthi Dundabhi) ने पूजन एवं अभिषेक किया। पं. विनोद दुबे ने बताया कि सोमनाथ के मंदिर का घंटा 200 टन सोने का हुआ करता था। मंदिर में हीरे के छप्पन खंबे माणिक रत्न आदि से जुड़े हुए थे। उन्होंने कहा कि भगवान की पूजा और अभिषेक के लिए गंगाजल (Gangajal) प्रतिदिन हरिद्वार (Haridwar), प्रयाग (Prayag), काशी (Kashi) से लाया जाता था। यहां पर कश्मीर (Kashmir) में पूजन के लिए फूल लाये जाते। यहां प्रतिदिन की पूजन के लिए एक हजार ब्राम्हण नियुक्त किये गये थे।

इस सोमनाथ मंदिर के लिए 10 हजार ग्रामों की जागीर भी रहती थी। जिसकी आमदनी से परिसर का खर्च चलता था । प्रमुख आचार्य पं. विनोद दुबे ने कहा कि मेहमूद गजनवी (Mehmood Ghaznavi) और खिलती वंश (Khilti dynasty) सहित औरंगजेब (Aurangzeb) ने इस मंदिर में काफी तोडफ़ोड़ की। बाद में हिंदू रानी अहिल्या देवी होल्कर (Rani Ahilya Devi Holkar) ने मंदिर कस जीर्णोद्धार कराया। आचार्य पं. सत्येन्द्र पांडे एवं पं. पीयूष पांडे ने श्रद्धालुओं से अभिषेक संपन्न कराया।

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AUTHORRohit

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