इटारसी। जिले में मोटे धान का क्षेत्र लगातार कम होते जा रहा है इसके बजाय किसान बासमती धान (Basmati Paddy) लगा रहे हैं, किसानों का रुझान बासमती की ओर बढ़ रहा है। गत वर्ष 2.50 लाख मैट्रिक टन धान का उपार्जन हुआ था। किसानों को डीएसआर एवं सुपर सीडर का उपयोग धान की फसल की बोअनी में किए जाने हेतु जागरूक किया जा रहा है। जिले में तीनों मौसम में फसले ली जाती हैं। अत: धान की कम अवधि में पकने वाली किस्म जैसे पीबी 1509 , जेआर 206 , पीबी 1718, सीओ 51 का उपयोग एवं नरवाई प्रबंधन के उचित नियंत्रण हेतु कृषकों को सुपर सीडर कृषि यंत्र से बोअनी करने के लिए समझाइए दी जा रही है।
यह जानकारी उप संचालक कृषि जेआर हेडाऊ (JR Hedau) ने रबी एवं खरीफ फसल की समीक्षा बैठक में दी। कलेक्टर सोनिया मीना (Collector Sonia Meena) ने समीक्षा के दौरान निर्देश दिए कि वह कस्टम हायरिंग सेंटर (Custom Hiring Center) से किसानों को उन्नत कृषि यंत्र उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। उन्होंने निर्देश दिए की डबल लॉक से यूरिया का उठाव कर समितियों के माध्यम से किसानों को देना सुनिश्चित करें। खरीफ फसलों की समीक्षा के दौरान अधिकारियों ने बताया कि नर्मदा पुरम जिले (Narmada Puram District) में 2023 में धान, ज्वार, मक्का, कोदो कुटकी, अरहर, उड़द, मूंग, सोयाबीन, मूंगफली, तिल कुल 3 लाख 15 हजार 255 हेक्टेयर में बोया था। इस वर्ष भी लगभग इतने ही क्षेत्र में बोवनी की जाएगी। उपसंचालक कृषि जेआर हेडाउ ने बताया कि किसानों का रुझान मूंग की फसल की ओर भी है, क्योंकि यह 60 दिन में तैयार हो जाती है। सोयाबीन 100 दिन, धान 120 से 140 दिन में पककर तैयार होती है। कलेक्टर ने कहा कि मिट्टी के जो भी सैंपल भेजे जाएं उसकी रिपोर्ट जल्दी आ जाए, मिट्टी का एक सैंपल कृषि महाविद्यालय की लैब में भी परीक्षण के लिए भेजा जाए। अब तक 18 हजार मिट्टी के सैंपल लैब में परीक्षण के लिए भेजे गए हैं। स्कूल के बच्चों से भी मिट्टी के सैंपल कलेक्ट करवाए गए थे।
वर्तमान में जिले में 12 हजार मेट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है, जो समितियों के माध्यम से किसानों को देना शुरू किया जाएगा। कलेक्टर ने कहा कि वितरण में अनावश्यक देरी न हो। इंटर क्रॉप का चलन भी किसानों में बहुतायत है। गन्ना, गेहूं सोयाबीन, इंटर क्रॉप के द्वारा लिए जा रहे हैं। जिले में किसानों को नरवाई ना जलाने की समझाइए कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर दी जाती है। यदि कोई किसान कस्टम हायरिंग केंद्र स्थापित करना चाहता है तो उसे पूरी सहायता दी जाती है। उसे एक ट्रैक्टर और पांच उन्नत कृषि यंत्र दिए जाते हैं, जिसके माध्यम से वह खुद की खेती में इनका उपयोग करने के साथ ही कृषि यंत्र को किराए पर भी दे सकते हैं। ड्रोन के माध्यम से खेतों में कीटनाशकों का छिड़काव किया जा रहा है, तक 400 किसानों को ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण दिया है। बताया गया कि इस बार मक्का का एरिया बढ़ाने का विशेष प्रयास किया जाएगा। उडद की क्रॉप को प्रमोट करने का भी प्रयास किया जाएगा।
सफेद एवं काला तिल की उन्नत वैरायटी जिले में उपलब्ध है। इसका भी प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। सरसों की फसल को 500 हेक्टेयर में प्रमोट किया गया है। कलेक्टर ने फसल बीमा की स्थिति की जानकारी लेकर कहा कि बीमा में क्लेम करने वाले किसानों को उनका क्लेम तत्परता से मिल जाए। समीक्षा के दौरान बताया कि बैंक की वसूली 45 प्रतिशत है, और वर्तमान में 56 करोड़ रुपए की वसूली किया जाना शेष है। पशुपालन विभाग के उपसंचालक ने बताया कि जिले में नौ जगह मिल्क पार्लर स्थापित करने की स्वीकृति प्राप्त हुई है। चार जगह मिल्क पार्लर बनना शुरू हो गया है। 47 गौशाला में से 36 गौशाला पूर्ण हो चुकी है। 11 गौशाला अपूर्ण हैं। पूर्ण गौशाला अभी हैंडोवर नहीं हुई है इसलिए वहां पर पशुओं का रखरखाव नहीं हो रहा है। बैठक में कृषि अनुसंधान केंद्र के डॉ. अवनीश चटर्जी, कृषि विज्ञान केंद्र गोविंद नगर के डॉ. संजीव गर्ग, प्रभारी उपायुक्त सहकारिता शिवम मिश्रा, उपसंचालक उद्यानिकी रीता उइके, जिला मत्स्य अधिकारी वीरेंद्र चौहान सहित संबंधित अधिकारी मौजूद रहे।