इटारसी। जिले के बानापुरा रेंज के बांसपानी के जंगल में बाघ का शिकार करने वाले 3 शिकारियों को टाइगर स्ट्राइक फोर्स और वन विभाग की टीम ने गिरफ्तार कर लिया है। तीनों आरोपी बांसपानी गांव के रहने वाले हैं, जिनमें एक नाबालिग है। आरोपियों ने बताया कि टाइगर की मौत बिजली के करंट से हुई थी और यह करंट उन्होंने सुअर का शिकार करने के लिए लगाया था।
मामले में एक चौकीदार को नौकरी से हटाने और वनरक्षक को सस्पेंड करने निर्देश सीसीएफ अशोक कुमार चौहान ने नर्मदापुरम डीएफओ को दिए हैं। पकड़े गये आरोपियों ने बताया कि 3 दिसंबर को जंगली सूअर के शिकार के लिए फंदा लगाया था, लेकिन उसमें टाइगर चपेट में आ गया। करंट होने से बाघ की मौत हो गई। तीनों ने डरकर बाघ के शव को घसीटकर झाडिय़ों में छिपा दिया था। इसके बाद वे गांव में चले गए। टाइगर स्ट्राइक फोर्स और वन विभाग की टीम ने काफी खोजबीन के बाद बांसपानी से एक नाबालिग सहित दो अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
वन विभाग की टीम ने शिकारियों के पास से तार और फंदा लगाने की खूंटियां जब्त कर ली हैं। घटना में शामिल अन्य आरोपियों की भी तलाश की जा रही है। तीनों आरोपियों को आज सिवनी मालवा में कोर्ट पेश किया गया है, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है। वन विभाग के अनुसार 11 दिसंबर बुधवार को बांसपानी के जंगलों में झाडिय़ों में टाइगर का शव मिला था। शव मिलने के बाद से डीएफओ अनिल चोपड़ा के मार्गदर्शन में शिकारियों को पकडऩे के लिए वन विभाग और टाइगर स्ट्राइक फोर्स की टीमें चार दिनों से तलाशी अभियान चला रही थीं।
रविवार को टीम ने ग्राम बांसपानी से शिकारी कैलाश कोरकू, राम रतन और 16 साल के नाबालिग को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। पूछताछ में शिकारी टूट गए, उन्होंने बताया कि वाइल्ड बोर (जंगली सूअर) आदि को पकडऩे के लिए बिजली के तार का फंदा लगाया था। सुबह जाकर देखा तो उसमें टाइगर मृत मिला। तीनों डर गये और उन्होंने टाइगर के शव को घसीटकर झाडिय़ों में छिपा दिया था। इसके बाद वे गांव में चले गए। आरोपियों की निशानदेही पर अमले ने फंदा बनाने के लिए उपयोग किए बिजली के तार और फंदा गाडऩे के लिए जमीन में लगाने वाली लकड़ी की खुंटियां जब्त कर ली हैं। टाइगर स्ट्राइक फोर्स और वन विभाग की टीमें आरोपियों से पूछताछ कर रही हैं। आज सोमवार को मामले का खुलासा किया गया। जेल भेज दिया गया।
चौकीदार ने बाघ के मौत की छुपाई बात
बाघ के शिकार के मामले में लापरवाही भी सामने आई है। फॉरेस्ट के चौकीदार जिन्हें बाघ की मौत की जानकारी होने के बावजूद उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से इसकी जानकारी को छुपाया। डॉग भी जांच के दौरान बार-बार चौकीदार के घर भी पहुंचा था। वनरक्षक की भी गश्ती में लापरवाही सामने आई है।
इनका कहना है…
- शिकार 3 दिसंबर को हुआ। लेकिन 11 दिसंबर को मामला उजागर हुआ। वनरक्षक और चौकीदार दोनों की लापरवाही सामने आई है। चौकीदार को हटाने और वनरक्षक को हटाने के निर्देश दिए हैं।
अशोक कुमार, सीसीएफ