लोग जान जोखिम में डाल रहे थे, प्रशासन नदारद

बारिश की झमाझम, व्यवस्थाएं बेदम
इटारसी। एक दिन के विश्राम के बाद सोमवार की शाम से फिर प्रारंभ हुई लगातार बारिश से न सिर्फ शहर में निचले इलाके जलमग्न हो गये बल्कि शहर के आसपास से गुजरने वाली पहाड़ी नदियों में लबालब पानी से पुलों पर पानी चढ़ गया। नयायार्ड के दोनों रास्तों के पुल के ऊपर करीब डेढ़ से दो फुट पानी बह रहा था तो लोगों ने अपनी जान जोखिम में डालकर पुल पार किया। जहां लगातार बारिश लोगों के लिए परेशानी लेकर आयी तो कुछ मनमौजी लोगों ने जलभराव क्षेत्र में सेल्फी लेने का जोखिम भी उठाया। शहर में भी लाइन क्षेत्र सहित अन्य निचली बस्तियों में सड़कों पर पानी भर गया था।
पिछले करीब एक सप्ताह से अधिक समय से लगातार बारिश हो रही है जिससे जन जीवन प्रभावित हो गया है। अलबत्ता रविवार को कुछ देर पानी रुका भी और सोमवार को दिन में दो से तीन बार धूप भी खिली। लेकिन सोमवार की शाम से बारिश की फिर झड़ी लग गयी। लगातार सोमवार की रातभर और मंगलवार को दिनभर बरसे पानी ने नदी-नालों को उफान पर ला दिया है। पहाड़ों पर मूसलाधार बारिश ने मेहरागांव और सोनासांवरी नदी के जलस्तर में काफी बढ़ोतरी कर दी और पुलिया पर एक से डेढ़ फुट पानी होकर गुजरा। बूढ़ी माता के पीछे रपटे पर और घाटली रपटे पर भी पानी ऊपर से बह रहा था। ठंडी पुलिया भी लबालब थी तो इससे लगे बारह बंगले वाले क्षेत्र में भी लोगों के घरों में पानी घुस गया था।

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पानी ने रोका रास्ता
पहाड़ों से आने वाली दोनों नदियां उफान पर थीं और नयायार्ड जाने वाले मार्ग पर, पहाड़ी नदी का पानी पुल से करीब दो फुट ऊपर से होकर बह रहा था। पुल पर पानी होने से स्कूली वाहन, प्रायवेट वाहन दोनों तरफ कई घंटे खड़े रहे। कुछ लोगों ने जोखिम भी उठाया और बहते पानी के बीच से बाइक और अन्य वाहन निकाले। कुछ युवाओं ने बहते पानी के बीच और कुछ ने रेलवे पुल के ऊपर खड़े होकर नीचे बह रहे पानी के साथ अपने मोबाइल में सेल्फी भी ली।

नहीं थी सुरक्षा व्यवस्था
पहले के वर्षों में बारिश के मौसम में पुल और पुलियाओं के पास पुलिस और होमगार्ड के जवानों की तैनाती की व्यवस्था थी। लेकिन, इस वर्ष ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं दिया। खासकर मंगलवार को जब मेहरागांव नदी पुल के ऊपर से होकर गुजर रही थी। दोनों तरफ वाहनों की कतार लगी थी, लोग सेल्फी ले रहे थे, तेजी से बहते पानी में से जोखिम उठाकर पैदल और वाहनों से गुजर रहे थे, उनको रोकने-टोकने वाला कोई नहीं था। ऐसे में कोई बड़ी घटना हो जाए तो जिम्मेदारी किसकी बनेगी?

गलियों, सड़कों पर पानी
लगातार तीन दिनों से हो रही बारिश के कारण जहां आबादी वाले हिस्सों में भी मैदानों में पानी भरा था तो निकास के अभाव में गलियों,सड़कों पर भी पानी था। बारिश की निरंतरता ने निकास व्यवस्था को प्रभावित किया और सातवी लाइन, नवमी लाइन, दसवी लाइन जैसे क्षेत्रों में सड़कों पर पानी भर गया था। पुलिस थाने के पास से होकर एमजीएम कालेज तिराहा और न्यास कालोनी तक जाने वाला नाला लबालब वह रहा था तो पुरानी ओझा बस्ती, ईरानी डेरे के आसपास भी पानी भरा था।

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घरों में भी पानी घुसा
बारिश का पानी कुछ जगहों पर निचले इलाकों में घरों के भीतर तक प्रवेश कर गया था। मेहरागांव ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले नयायार्ड के इंदिरा नगर क्षेत्र में घर के भीतर पानी घुस गया था तो नई गरीबी लाइन में घरों में पानी घुसा और लोगों का सामान भीग गया था। इसी तरह से पुरानी इटारसी के गोंडी मोहल्ले के बीच से निकलने वाली पहाड़ी नदी में पानी बस्ती के भीतर घुसने को बेताब था। जलस्तर बढऩे से यहां के लोगों की जान आफत में थी। इन सबके बीच प्रशासन नदारद था।

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मप्र के मौसम को प्रभावित करने वाले कारक
– एक कम दबाव का क्षेत्रफल पूर्वी मध्य प्रदेश उससे लगे छत्तीसगढ़ में बना हुआ है जो हवा के ऊपरी भाग में ५.८ किलोमीटर की ऊंचाई तक बना है जो दक्षिण दिशा की ओर ऊंचाई के साथ झुका हुआ है।
– मानसून द्रोणिका बाड़मेर, चित्तौडग़ढ़, विदिशा, लो प्रेशर एरिया पूर्वी मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ से जमशेदपुर, बालासोर और दक्षिण पूर्व बंगाल की खाड़ी से होकर गुजर रहा है जो हवा के ऊपरी भाग में २.१ मीटर की ऊंचाई तक बना हुआ है।
– हवा के ऊपरी भाग में चक्रवाती हवाओं का घेरा दक्षिण पश्चिम राजस्थान एवं उससे लगे इलाके में बना हुआ है, जो ३.६ किलोमीटर की ऊंचाई तक है, जो ऊंचाई के साथ दक्षिण पश्चिम दिशा की ओर झुका हुआ है।
– एक और द्रोणिका दक्षिण गुजरात एवं उससे लगे उत्तरी महाराष्ट्र से लेकर उड़ीसा के अंदरूनी हिस्से तक बना हुआ है जो पूर्वी मध्य प्रदेश एवं उसे लगे छत्तीसगढ़ से होकर गुजर रही है। ४.५ एवं ७.६ किलो मीटर की ऊंचाई तक बना हुआ है जो ऊंचाई के साथ दक्षिण दिशा की ओर झुका हुआ है।

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