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पार्थिव ज्योर्तिलिंग पूजन एवं रूद्राभिषेक का समापन शुक्रवार को

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पुत्रदा एकादशी पर भगवान को हिंडोले में बिठाया
इटारसी। श्रीदुर्गा नवग्रह मंदिर में 6 जुलाई से प्रारंभ पार्थिव शिवलिंग पूजन एवं रूद्राभिषेक का समापन शुक्रवार को 12 बजे होगा।सोशल डिस्टेंस के साथ प्रथम चरण 6 जुलाई से 19 जुलाई तक संपन्न हुआ जिसमें प्रतिदिन काल्पनिक पार्थिव शिवलिंग का पूजन एवं रूद्राभिषेक कराया। द्वितीय चरण 20 जुलाई से प्रारंभ हुआ जिसमें भारत में स्थित बारह ज्योर्तिलिंगों में से प्रतिदिन एक पार्थिव ज्योर्तिलिंग का निर्माण कर पूजन एवं रूद्राभिषेक कराया। पिछले कई वर्षों से यह आयोजन किया जा रहा है परंतु यह पहला अवसर है, जब कोरोना महामारी के चलते शासन के निर्देशानुसार पूजन एवं रूद्राभिषेक कराया।
मंदिर समिति के अध्यक्ष प्रमोद पगारे (Pramod Pagare) ने कहा कि कार्यक्रम के संयोजक अमित मौर्य, समिति के सचिव जितेंद्र अग्रवाल, कोषाध्यक्ष दीपक जैन ने आयोजन को सफल बनाने में निरंतर मेहनत की। पार्थिव ज्योर्तिलिंग के निर्माण के लिए सात पवित्र एवं अरब सागर का जल तथा सांप की बामी एवं श्मशान की माटी से ज्योर्तिलिंग के निर्माण के लिए मिट्टी की व्यवस्था कमल मलैया के द्वारा की गई इस धार्मिक आयोजन के मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे, आचार्य पं. सत्येन्द्र पांडे एवं पं. पीयूष पांडे ने प्रतिदिन पूजन अर्चन किया। शुक्रवार को पूजन एवं अभिषेक के पश्चात हवन एवं आरती के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।

पुत्रदा एकादशी पर भगवान को हिंडोले में बिठाया
सावन मास में पुत्रदा एकदशी के अवसर पर श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर (Shri Durga Navgrah Mandir) में भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) का हिंडोला बनाया और महिला श्रद्धालुओं ने भगवान का पूजन किया।
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है प्रत्येक वर्ष 24 एकादशी होती है परंतु जिस वर्ष में अधिक मास या मनमास आता है तब इनकी संख्या बढकर 26 हो जाती है। श्रावण शुल्क पक्ष में आने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहते है इसका फल सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस व्रत में पुत्र की कामना करने अथवा संतान के सुखी रहने के लिए व्रत किया जाता है एवं भगवान विष्णु भी विशेष पूजा-अर्चनाक की जाती है जो महिला संतानहीन है वह पुत्रदा एकादशी पर व्रत रखती है। मंदिर के पुजारी सत्येंद्र पांडे ने महिला श्रद्धालुओं से भगवान का हिंडोले का पूजन कराया।

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