- सात सौ फिट तक खुदाई के बावजूद केवल लाल मिट्टी निकली, पानी नहीं
- दो नलकूप हैं, आधा दर्जन हैंडपंप, लेकिन कुओं में पानी है, बाकी सब फेल
इटारसी। आदिवासी ब्लॉक केसला के कुछ क्षेत्र अब भी गर्मी में पानी के लिए तरस रहे हैं। अभी गर्मी की शुरुआत से ही केसला के भातना क्षेत्र में पानी की समस्या उत्पन्न हो गयी है। हालांकि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों का दावा है कि दो दिन में मोटर चालू करके वहां जलसंकट का समाधान किया जाएगा। इधर आदिवासी नेताओं का कहना है कि यहां नल-जल योजना चालू नहीं होने से पेयजल का संकट है। गांव के लोग स्वयं कुए में मोटर लगाकर कुछ हद तक जलसंकट से लड़ पा रहे हैं, फिलहाल कुओं का पानी गांव की प्यास बुझा रहा है। सरपंच कहते हैं कि कुओं से ही पानी सप्लाई करेंगे तो संकट का समाधान संभव है। नलकूप और हैंडपंप के भरोसे गांव की प्यास नहीं बुझाई जा सकती।
आदिवासी गांव है भातना
केसला ब्लॉक का गांव भातना पूरी तरह से आदिवासी गांव है। यहां नलजल योजना के अंतर्गत दो नलकूप खनन किये, लेकिन दोनों में पानी नहीं मिला। सरपंच नेहरु कलमे कहते हैं कि उन्होंने स्वयं सात सौ फुट तक बोर कराया, लेकिन लाल मिट्टी के अलावा कुछ नहीं मिला। शुरुआती 25 फिट तक कुछ पानी आया, लेकिन नीचे की जमीन पूरी तरह से रीत गयी है। सात सौ फिट के बाद हमने उम्मीद छोड़कर काम बंद कर दिया।

कमिश्रर के आदेश पर बोर
पिछले दिनों गांव में कमिश्रर का दौरा था। उनको जलसंकट के विषय में पता चला तो एक और बोर करने का आदेश दे गये। अब लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के मैकेनिकल विभाग ने एक ओर बोर करने की तैयारी प्रारंभ कर दी है। हालांकि सरपंच कहते हैं कि यहां कितने भी बोर किये जाएं, पानी नहीं निकलने वाला नहीं है। उनका कहना है कि गांव की पेयजल समस्या का एकमात्र समाधान है, यहां के कुओं को व्यवस्थित करके उनका उपयोग हो।
हैंडपंप गर्मी में हांफ जाते
गांव में करीब आधा दर्जन हैंडपंप हैं, जो सर्दियों में तो थोड़ा पानी देते हैं, लेकिन गर्मियों में उनकी भी सांस फूल जाती है। गांव के करीब 25 मकानों की ढाई सौ लोगों की आबादी के लिए पेयजल नहीं मिलना मुसीबत का सबब बन रहा है। फिलहाल गांव के लोगों ने नलजल योजना की मोटरें निकालकर कुएं में लगा ली हैं जिनसे गांव के हर घर में पाइन लाइन से पानी पहुंचाया जा रहा है। सरपंच बताते हैं कि गांव को पानी देने के पूरे प्रयास किये जा रहे हैं।
कुएं के साइड में बोर फेल
गांव में पानी की कहानी भी बड़ी जटिल है। यहां कुओं में तो पानी है, लेकिन कुए के साइड में बोर करने से भी उनमें पानी नहीं आया। सरपंच कहते हैं कि कुएं सक्सेस हैं, लेकिन नलकूप और हैंडपंप खनन करना बेकार साबित हो रहा है। यहां दो सार्वजनिक और दो किसानों के निजी कुए हैं और सभी में पानी है। जलसंकट के वक्त पंचायत के टंैकरों से पानी सप्लाई करके पेयजल दिया जाता है। यहां करीब 25 फिट तक तो पानी रहता है, उससे नीचे जमीन खाली है।
इनका कहना है…
यहां पानी की समस्या तो है। दो नलकूप खनन किये, पानी नहीं निकला, एक ओर खनन करने की तैयारी है। दो से तीन दिन में मोटर चालू करने की कोशिश है, नलकूप में पाइप बढ़ाये जा रहे हंै, जहां पाइपलाइन में लीकेज है, उनमें सुधार किया जाएगा। हमारा पूरा प्रयास है कि गर्मियों में गांववालों को पानी मिले।
विकास कुमार, सब इंजीनियर पीएचई मैकेनिकल विंग
यहां नलकूप और हैंडपंप फेल हैं, जबकि कुंए सक्सेस हैं। एक नलकूप को हमने सात सौ फिट तक खनन किया लेकिन लाल मिट्टी निकली, पानी नहीं निकला। अभी नलजल योजना की मोटर कुंए में लगाकर घर-घर में पेयजल पहुंचा रहे हैं।
नेहरू कलमे, सरपंच भातना
हमने जानकारी मिलने पर गांव का दौरा किया। यहां कुए से पानी लाकर ग्रामीण प्यास बुझाते हैं। नलजल योजना सक्सेस नहीं है। बोर में पानी नहीं निकल रहा, कुओं से सप्लाई हो रही है। ठेकेदार ने घटिया काम किया है। पाइप लाइन जगह-जगह से लीकेज है, हम चाहते हैं कि एसडीएम स्वयं देखें और सुधार करायें।
विनोद वारीबा, आदिवासी नेता