---Advertisement---
City Center
Click to rate this post!
[Total: 0 Average: 0]

ऐसी खेती कीजिए, बचे आप का जल, जैविक खाए साल भर, रहे सुरक्षित कल

By
On:
Follow Us

बाबूलाल दाहिया, पद्मश्री/ समय की पुकार है कि जल को बचा कर अपना कल सुरक्षित करें। क्योंकि उत्तर भारत की नदियां तो हिमनद हैं। वहां पानी की वर्षा हो न हो, हिम पिघलता है और उस क्षेत्र का जल स्तर सामान्य ही बना रहता है। किन्तु हमारे यहां की खेत ऐसी नहीं है। क्योंकि यहां की नदियां हिम पुत्री नही वन पुत्री हैं। और इन वन जाइयो का अस्तित्व वन से ही है। वन रहेगा तो पानी रहेगा, और वन गया तो पानी भी चला जायेगा।
वगैर पेड़ पौधे के बादल उसी प्रकार धरती में नहीं उतरते, जैसे हवाई अड्डे के बिना हवाई जहाज। लेकिन जब हम 100 फीट की गहराई से पानी खींचते-खींचते उसे 5-6 सौ फीट के गहरे पहुंचा चुके हैं तो निकट भविष्य में न तो जल बचेगा न, जंगल और न ही हमारा कल। क्योंकि हमारी जितनी परंपरागत किस्में थीं, वह वर्षा आधारित खेती के लिए बनी थी। इसलिए यहां की जलवायु में रची बसी होने के कारण कम वर्षा और ओस में पक जाती थी। ऋतु से संचालित होने के कारण वह आगे पीछे की बोई साथ-साथ पक जाती थीं एवं इन सब के साथ ही एक खास गुण यह भी था कि उनमें न तो नींदा नाशक डालना पड़ता था न कीट नाशक। क्योंकि ऊंचा तना होने के कारण न तो उन्हें कोई घास दबा पाती और न ही कोई कीट समूल नष्ट कर पाते थे। उनका सफाया प्रकृति के सुरक्षा प्रहरी मांसाहारी कीट ही कर देते थे। उधर ऊंचा तना होने के कारण देसी किस्में रसायनिक खाद भी नहीं पचा पाती। इसलिए स्वाभाविक जैविक होती है। किन्तु आयातित किस्मों में यह सब गुण नहीं हैं, जिसका यह अर्थ होता है कि अगर हम एक किलो बौनी किस्म की धान उगा रहे हैं तो उस धान के लिए जमीन से 3 हजार लीटर पानी उद्वहन कर रहे है और अगर 1 क्विंटल गेहूं उगाकर बाजार भेज रहे हैं तो उसका अर्थ यह होता है कि गांव का 1 लाख लीटर पानी बाहर भेज कर गांव को जल संकट में डाल रहे है।
इसलिए जल को बचाकर कल सुरक्षित करना भी वक्त का तकाजा है। नए वर्ष का आगाज सुनाई पड़ रहा है। खेतों में बौनी जाति की गेहूं की फसल उग आईं है। अभी तो महावट है किन्तु फरवरी से,
टाटा कहि के गहि लिहिस, पानी गइल पताल।
लइ-लइ डब्बा बाल्टी, मनई फिरइ बेहाल।।
इस बघेली दोहे को चरितार्थ करने वाला समय भी आने ही वाला है।

Shri Babulal Dahiya

बाबूलाल दाहिया, पद्मश्री

For Feedback - info[@]narmadanchal.com
Join Our WhatsApp Channel
Advertisement

Leave a Comment

error: Content is protected !!
Narmadanchal News
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.