इटारसी। मध्यप्रदेश के ओरछा, उत्तरप्रदेश के अयोध्या के बाद मप्र का ही एक और ऐसा शहर है इटारसी जहां श्रीपंचमी पर श्रीराम विवाह तो होता है, साथ ही नि:शुल्क सामूहिक विवाह भी होता है। यानी यहां धार्मिक और सामाजिक परंपराएं साथ-साथ निभायी जाती हैं।
दहेज प्रथा एवं खर्चीले विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों के खात्मे को दूर कर सामाजिक समरसता के लिए श्री देवल मंदिर काली समिति पिछले 37 वर्षों से राम विवाह एवं निशुल्क विवाह सम्मेलन का आयोजन करती आ रही है। समिति के मंडप में राजा राम और माता सीता के साथ 2 हजार से ज्यादा युगल फेरे ले चुके हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का विवाह श्री पंचमी पर हुआ था, इसे विवाह पंचमी भी कहते हैं। इस पंचमी पर रामलला की जन्मस्थली अयोध्या, बुंदेलखंड की अयोध्या कहे जाने वाले ओरछा और इटारसी में श्री देवल मंदिर काली समिति श्री राम विवाह एवं निशुल्क श्री राम विवाह का आयोजन परंपरानुसार कर रही है।
28 को होगा राम विवाह
इस वर्ष श्रीराम विवाह महोत्सव एवं निशुल्क सामूहिक विवाह उत्सव 28 नवबंर को होने जा रहा है। आयोजन की तैयारियां चल रहीं हैं। पुरानी इटारसी को जनकपुरी के रूप में दुल्हन की तैयार सजाया जा रहा है। सोमवार 28 नवबंर को गोधूलि बेला में श्री द्वारिकाधीश मंदिर से शाम 6 बजे श्री राम जी की बारात पुरानी इटारसी के देवल मंदिर जनकपुरी के लिए प्रस्थान करेगी।
रात 12 बजे होगा पाणिग्रहण संस्कार
श्री राम विवाह उत्सव सात दिवसीय है। उत्सव में 23 नवबंर से रामलीला मंचन, 24 नवबंर को सुंदरकांड, 25 नवम्बर को अखंड सीताराम कीर्तन, 26 नवबंर को महिला मंडल द्वारा रामसत्ता, 27 नवबंर को मंडपाच्छादन और सत्यनारायण कथा होगी। 28 नवम्?बर को सुबह 9 बजे कन्या भोज, शाम को भंडारा, शाम 7 बजे आध्यात्मिक प्रवचन, रात 9 बजे देवी जागरण, रात 10 बजे बारात स्वागत, रात 11 बजे वरमाला, रात 12 बजे पाणिग्रहण संस्कार होगा। 29 नवबंर की सुबह 7 बजे विदाई समारोह होगा।
कुरीतियों का खात्मा कर गरीब परिवारों की बेटियों का सामूहिक विवाह पिछले 37 सालों से हो रहा है। समिति से जुड़े जयप्रकाश करिया पटेल, लंकेश सोनी ने बताया कि अब तक इस आयोजन में करीब 2 हजार से ज्यादा जोड़ों का विवाह संपन्न हो चुका है।
देश भर से आएंगे संत
भगवान राम की करीब 3 किमी लंबी बारात में हाथी, घोड़े, बग्गी, दिलदिल घोड़ी, अखाड़े, रामसखियां, बैंड पार्टियां आकर्षण का केन्द्र रहती हैं। एक बग्गी में राम दरबार सजाया जाता है, साथ में सभी दूल्हे राजा बारात लेकर जनकपुरी देवल मंदिर बारात लेकर पहुंचते हैं। यहां राजा राम और बारात की अगवानी होती है। मंडप में नवयुगल भगवान राम एवं सीता के साथ एक ही मंडप में फेरे लेते हैं। इस अनूठे आयोजन में देश भर के अखाड़ों से जुड़े साधु-संत एवं विद्वान शामिल होते हैं। इस परंपरा की शुरूआत महंत पं. दामोदर प्रसाद शर्मा ने कराई थी। पूरे आयोजन की बागडोर करिया पटेल एवं युवाओं की टीम संभालती है। हर गांव-शहर के लोग इस आयोजन में सहभागी बनते हैं। गांव-गांव से भंडारे के लिए अनाज एवं दानराशि एकत्र की जाती है, सरकारी सहयोग के बिना पूरा कार्यक्रम होता है, समिति पूरी गृहस्थी का सामान, उपहार एवं जेवरात सभी जोड़ों को भेंट करती है।