अरुणिमा सिन्हा : एक विंकलाग महिला ने कैसे तय किया माउंट एवेरेस्‍ट का सफर जाने सम्‍पूर्ण जानकारी…

Post by: Aakash Katare

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अरुणिमा सिन्हा

अरुणिमा सिन्हा कौन हैं,अरुणिमा सिन्हा का शुरुआती करियर, एक विंकलाग महिला ने कैसे तय किया माउंट एवेरेस्‍ट का सफर जाने सम्‍पूर्ण जानकारी…

अरुणिमा सिन्हा परिचय (Arunima Sinha Introduction)

अरुणिमा सिन्हा

पूरा नामअरुणिमा सिन्हा
जन्म तिथि20 जुलाई 1988
जन्म स्थानअंबेडकर नगर, उत्तर प्रदेश
पतिगौरव सिंह
धर्महिन्दू
जातिकायस्थ
पेशापर्वतारोही, वॉलीबॉल खिलाड़ी
पहचानमाउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय दिव्यांग

अरुणिमा सिन्हा कौन हैं (Who is Arunima Sinha)

अरुणिमा सिन्हा

अरुणिमा सिन्हा एक ऐसी भारतीय महिला हैं जिसने विकलांग होने के बावजूद अपने आप को कभी एक सामान्य इंसान से कम नहीं समझा। और माउंट एवेरेस्ट की सफलता पूरक चढ़ाई चढ कर इतिहास रच दिया। अरुणिमा का मानना हैं की मनुष्य शरीर से विकलांग हो तो चलेगा लेकिन कभी दिमाग से विकलांग नही होना चाहिए। चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी खराब क्यों न हो, इंसान पूरी लगन से कोई लक्ष्‍य निर्धारित करे तो पहाड़ो के ऊपर भी अपना रास्ता खोज सकता हैं।

अरुणिमा सिन्हा का परिवार (Arunima Sinha Family)

अरुणिमा सिन्हा

अरुणिमा के पिता भारतीय सेना में इंजीनियर थे। जब अरुणिमा सिर्फ 3 वर्ष की थी तभी इनके पिता की मृत्‍यु हो गयी थी। उसके बाद इनकी ने इनका लालन पोषण माँ ने ही किया। इनकी माँ भारत के हेल्थ डिपार्टमेंट में सुपरवाइजर थी।

अरुणिमा सिन्हा की शिक्षा (Arunima Sinha Education)

अरुणिमा सिन्हा

अरूणिमा सिन्‍हा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उत्तरप्रदेश के अंबेडकर नगर से ही पूरी की हैं। उसके बाद अरुणिमा सिन्हा ने नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग, उत्तरकाशी से माउंटेनियरिंग कोर्स किया था। और बचपन से ही इनकी पढ़ाई-लिखाई से ज्यादा खेल कूद रुचि थी। इन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर वॉलीबॉल भी खेला हैं। साथ ही यह फुलवाल की भी अच्‍छी खिलाड़ी थी।

अरुणिमा सिन्हा का करियर (Arunima Sinha career)

अरुणिमा सिन्हा

अरुणिमा सिन्हा को बचपन से ही वॉलीबॉल एवं फुटवॉल खेलना काफी पसंद करती थी। अरुणिमा ने अपनी  मेहनत के दम पर वॉलीबॉल में नेशनल खेल चुकी हैं। खेलते समय ही इन्होंने नौकरी करनी चाही और सीआईएसएफ की एक पोस्ट के लिए आवेदन किया। लेकिन इनके ऐडमिट कार्ड में जन्‍म तिथि गलत हो गई। जिसे ठीक कराने के लिए  इन्हें दिल्ली जाना पड़ा। और दिल्‍ली से आते समय वह एक ट्रैन हादसे का शिकार हो गई।

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अरूणिमा सिन्‍हा ट्रेन हादसा (Arunima Sinhau Train Accident)

अरुणिमा सिन्हा

21 अप्रैल 2011 को अरुणिमा ने लखनऊ से दिल्ली जाने वाली ट्रैन पद्मावती एक्सप्रेस से अपना सफर कर रही थी। जब अरुणिमा लखनऊ से निकली तो ट्रैन में सफर के दौरान कुछ चोरों ने उनकी सोने की चेन एवं बैग छुड़ाने की कोशिश की। जब अरुणिमा ने इन चोरों को रोकने की  कोशिश की तो उन चारों ने अरुणिमा को चलती ट्रैन से नीचे फेक दिया।

अरुणिमा जब नीचे गिरी तो इन्होंने देखा कि दूसरे ट्रैक पर भी एक ट्रैन आ रही थी लेकिन जब तक अरुणिमा खुद को पटरी से हटा नही पायी और दूसरी ट्रैन इनके पैर से निकल गयी। इसके बाद की घटना उनको याद ही नहीं हैं। लोगों द्वारा बाद में बताया गया था कि ये हादसा रात में हुआ था और इनके पैर के ऊपर से लगभग 49 ट्रैन के डिब्‍बे निकले थे।

उसके बाद गांव के लोगों द्वारा अरुणिमा को अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां डॉक्टर्स ने इनकी जान बचाने के लिए इनके एक पैर को काट दिया। जिससे अरुणिमा की जिंदगी तो बच गई लेकिन इन्हें अपना एक पैर गवाना पड़ा।

दुघर्टना के बाद का सफर (Journey After Accident)

अरुणिमा सिन्हा

इस दुर्घटना के बाद खेल मंत्रालय ने अरुणिमा को 25 हजार रुपय देने की घोषणा कर दी। इसके साथ ही सीआईएसएफ की नौकरी देने के लिए इन्‍होने  सिफारिस की। खेल राज्य मंत्री अजय माकन के द्वारा भी अरुणिमा को बेहतर इलाज के लिए 2 लाख रूपए दिए गए। इसके अलावा भारतीय रेल विभाग ने अरुणिमा को रेलवे में नौकरी करने का ऑफर दिया।

इस दुर्घटना मे पुलिस ने अरुणिमा पर आत्माहत्या करने या ट्रैन की पटरी गलत तरीके से पार करने के आरोप भी लगाये थे। लेकिन इस केस पर कोर्ट का फैसला आया तो उसमें पुलिस को गलत ठहराया गया और कोर्ट ने आदेश दिया कि भारतीय रेलवे अरुणिमा को 5 लाख की राशि मुआवजे के रूप में दे।

अरुणिमा सिन्हा को कहां से मिली प्रेरणा (Where Did Arunima Sinha Det Her Inspiration)

अरुणिमा सिन्हा

जब अरुणिमा अस्पताल में थी तभी से इन्होंने कुछ नया करने का ठान लिया। इनको सबसे बड़ी प्रेरणा भारतीय क्रिकेटर युवराज सिंह से मिली थी। जिन्होंने कैंसर जैसी बीमारी से लडकर  अपने देश के लिए खेलना का जज्बा दिखाया था।

इसके बाद अरुणिमा सिन्हा जब अस्पताल से इलाज कराने के बाद निकली तो इन्होंने भारत की पहली बार माउंट एवेरेस्ट की चोटी पर पहुंचने वाली महिला बछेंद्री पाल से मिलने की योजना बनाई। और अरुणिमा सिन्हा पर माउंट एवरेस्ट पर अपने देश का झंडा फैराने का जूनून सवार हो गया।

अरुणिमा सिन्हा कैसे बनी पर्वतरोही (How Arunima Sinha Became a Mountaineer)

अरुणिमा सिन्हा

माउंट एवेरेस्‍ट पर चढने का फैसला करने के बाद इन्‍होंने वर्ष 2012 टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन से पर्वतरोहण प्रशिक्षण लेने के लिए फैसला किया और 2012 में एवरेस्ट की चढ़ाई करने की तैयारी के लिए आइलैंड पीक पर चढ़ाई चढी जिसकी ऊंचाई 6150 मीटर हैं।

दो साल तक कड़ी मेहनत के बाद अरुणिमा ने दुनिया की सबसे उच्चतम चोटी पर चढने का ठान लिया और टीएसएफ की ट्रेनर सुजान महतो के साथ अरुणिमा सिन्हा ने 21 मई 2013 को सुबह 10 बजकर 55 मिनट पर एवरेस्ट की चढ़ाई पूरी की। एवरेस्ट की चढाई चढने में इनको कुल 52 दिन लगे थे।

उस समय अरुणिमा की उम्र सिर्फ 26 वर्ष थी। ऐसा करने के बाद अरुणिमा भारत सबसे पहली ऐसी विकलांग महिला बन गई हैं। जिन्होंने एवरेस्ट पर जीत हासिल की हैं। इस सफलता के दौरान इन्होंने एक कपड़े पर भगवान शंकर एवं विवेकानन्द को धन्यवाद लिखकर वर्फ में दफन कर हैं। इन्होंने अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए सभी महाद्वीपों के सर्वोच्च शिखर पर चढ़ने और भारत के राष्ट्रीय ध्वज को चोटी पर फहराने का निर्णय लिया था।

अभी तक अरुणिमा ने छह चोटियों में चढ़ चुकी हैं। जिनमें से एशिया में एवरेस्ट, अफ्रीका में किलिमंजारो, यूरोप में एलब्रस, ऑस्ट्रेलिया में कोस्यूस्को, अर्जेंटीना में एकांकागुआ और इंडोनेशिया में कारस्टेंस पिरामिड आदि शामिल हैं।

अरुणिमा सिन्हा को मिलने वाले पुरस्कार (Awards to Arunima Sinha)

अरुणिमा सिन्हा

  • अरुणिमा सिन्‍हा के सम्‍मान के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2015 में पदमश्री नाम के से सम्मानित किया गया हैं। जो भारत का चौथा सबसे बड़ा सम्मान हैं। पदमश्री पुरस्कार भारत में किसी एक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले को दिया जाता हैं।
  • अरुणिमा को वर्ष 2016 में तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड भी दिया गया हैं। यह अवार्ड खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त करने वाले को दिया जाता हैं।
  • इसके अलावा भी इन्हें राज्य स्तर पर कई बार सम्मानित किया जा चुका हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने अरुणिमा के विकलांग होते हुए भी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के जज्बे को सलाम करते हुए इन्‍हे 25 लाख रूपये और केंद्र सरकार ने 20 लाख एवं 5 लाख समाजवादी पार्टी ने इंनाम दिया हैं।

अरुणिमा सिन्हा के प्रेरक शब्द (Motivational Words of Anurima Sinha)

अरुणिमा सिन्हा

“अभी तो इस बाज की असली उड़ान बाकी हैं

अभी तो इस परिंदे का इम्तिहान बाकी हैं

अभी अभी तो मैंने लांगा है समन्दरों को

अभी तो पूरा आसमान बाकी हैं”

मंजिल मिल ही जाएगी भटकते हुए ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं।”

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