बाबा अमरनाथ की यात्रा का नर्मदापुरम जिले से है ये खास कनेक्शन

Rohit Nage

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  • बाबा अमरनाथ यात्रा की नींव 525 वर्ष पूर्व होशंगाबाद जिले के एक गांव में रखी थी
  • अब ढाई दशक से सैंकड़ों श्रद्धालु हर वर्ष करते हैं बाबा अमरनाथ की यात्रा
  • शिव शक्ति सेवा मंडल के सदस्य जन-जन तक पहुंचाते हैं बाबा बर्फानी का संदेश
  • इस वर्ष 17 जुलाई को करीब ढाई सौ भक्तों का जत्था जाएगा अमरनाथ यात्रा पर

इटारसी। जिन लोगों अमरनाथ (Amarnath) यात्रा का इतिहास पता नहीं, उनके लिए यह बताना जरूरी है कि बाबा अमरनाथ यात्रा की शुरुआत 525 वर्ष पूर्व होशंगाबाद (Hoshangabad) जिले के एक गांव से (संभवत: बोरतलाई) से हुई थी। जहां महंत परिवार के सदस्य चांदी की छड़ी लेकर यात्रा पर जाते थे। वर्षों तक यह सिलसिला चलता रहा। इसमें काफी कठिनाई आने पर बाद में सिखों के पांचवे गुरु अर्जुन देव (Guru Arjun Dev) ने अमृतसर (Amritsar) में भूमि उपलब्ध कराके वहां से यात्रा शुरु कराई। वर्षों तक अमृतसर से यह यात्रा प्रारंभ होती रही। अब यह छड़ी मुबारक श्रीनगर (Srinagar) के शंकराचार्य मंदिर (Shankaracharya Temple) से निकालकर यात्रा की शुरुआत की जाती है। दशनामी अखाड़े (Dashnami Akhara) के महंत ही इसका नेतृत्व करते हैं।

इटारसी (Itarsi) के शिव शक्ति सेवा मंडल (Shiv Shakti Seva Mandal) के सदस्य विगत ढाई दशक से अमरनाथ यात्रा पर जाते हैं और सैंकड़ों श्रद्धालुओं को भी दर्शन करने लेकर जाते हैं। यात्रा के संयोजक भारत भूषण लच्छु गांधी (Bharat Bhushan Lachhu Gandhi) ने बताया 25 साल से लगातार अमरनाथ यात्रा पर जाते हैं। पहली यात्रा 1997 में 32 लोगों के जत्थे के साथ यात्रा शुरू की थी। इस बार 17 जुलाई को ढाई सौ लोगों का रिजर्वेशन है।

यात्रा में यह है खास

525 वर्ष पूर्व इटारसी के पास ग्राम बोरतलाई से अमरनाथ यात्रा के शुभारंभ के लिए छड़ी मुबारक यात्रा निकलती थी, अब यात्रा शंकराचार्य मंदिर श्रीनगर से निकलने लगी है। शहर के अमरनाथ यात्री ट्रेन से जम्मू ( Jammu) तक इसके बाद बस से पहलगाम (Pahalgam) और फिर 18 किमी तक चंदनबाड़ी (Chandanbari) तक टैक्सी से जाने के बाद शेषनाग (Sheshnag) से पंचतरणी (Panchtarni) होते हुए पवित्र गुफा तक पैदल यात्रा कर दर्शन करते हैं।

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