इटारसी। ग्राम पांजराकलॉ में आज श्रीमद् भागवत कथा का विश्राम दिवस था। आज राजसूय यज्ञ, मणी कलंक, नृग राजा, सुदामा चरित एवं परीक्षित मोक्ष की कथा सुनाई गई। महाआरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया। आज पांजरा कला में श्रीमद् भागवत सत्संग का विश्राम विशाल भंडारे के साथ हुआ।
आज की कथा में संतभक्त पंडित भगवती प्रसाद तिवारी ने कहा कि दु:ख, संकट की घड़ी में धर्म, सत्संग, सेवा, सुमरण से सहनशक्ति बढ़ जाती है। संसार में सुखी कम दुखी ज्यादा है। जीव को आनंद की भूख है। आनंद संसार से नहीं भगवान से मिलता है। संसार के जड़ पदार्थों से सुख भी और दु:ख भी मिलता है। जब अकेले हो तो परमात्मा से बात किया करो, और जब किसी के साथ हो तो परमात्मा की बात किया करो। इस संसार में जन्म का और मरण का महादुख है। इस महादुख से बचने के लिए ही ईश्वर की सच्ची भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सत्संग की आवश्यकता है। पाप के प्रभाव से जीवात्मा का पतन होता है, इससे बचो। पुण्य सत्कार्यों मे सदैव लगे रहो। संपूर्ण जगत में प्रत्येक प्राणी को किसी न किसी प्रकार का दु:ख जीवनकाल में भोगना ही पड़ता है। चाहे राजा हो या रंक, धनवान हो या गरीब, पंडित हो या मूर्ख, किसी भी जाति, धर्म को मानने वाले हो परेशानियों का सामना करना पड़ता है।