श्मशान की ताजी चिता की राख से की गई भगवान महाकाल की भस्म आरती

Post by: Rohit Nage

इटारसी। श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर (Shri Durga Navgraha Temple) लक्कडग़ंज इटारसी (Itarsi) में चौथे सोमवार को श्री महाकाल पार्थिव ज्योर्तिलिंग पूजन एवं रूद्राभिषेक हुआ। भगवान शिव (Lord Shiva) को प्रसन्न करने के लिए सावन मास के अवसर पर द्वादश ज्योर्तिलिंग पूजन एवं अभिषेक मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे (Pt. Vinod Dubey) एवं मंदिर के पूजारी पं. सत्येन्द्र पांडेय (Pt. Satyendra Pandey) एवं पीयूष पांडेय (Piyush Pandey) द्वारा कराया जा रहा है।

सोमवार को श्मशान की ताजी चिता की राख से भगवान महाकाल (Lord Mahakal) की भस्म आरती की गई। उज्जैन (Ujjain)के क्षिप्रा (Kshipra) तट पर स्थित विश्व विख्यात महाकाल ज्योर्तिलिंग अपनी खास विशेषताओं के लिए जाना जाता है। ग्वालियर (Gwalior) का सिंधिया राजवंश (Scindia Dynasty) आज भी महाकाल की नगरी में रात्रि विश्राम नहीं करता है, और पूरी दुनिया में केवल महाकाल एवं उज्जैन कुंभ के कारण ही उज्जैन की पहचान है। भूगोल की कर्क रेखा (Tropic of Cancer) भी इसी के पास से गुजरी है। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) के कार्यकाल में महाकाल लोक (Mahakal Lok) का निर्माण किया जिस कारण इस स्थान की अंर्तराष्ट्रीय छवि बनी।

आचार्य पं. विनोद दुबे ने कहा कि सिंहासन बत्तीसी राजा विक्रमादित्य (Raja Vikramaditya) का आसन था। विक्रम संवत (Vikram Samvat) भी राजा विक्रमादित्य के नाम से ही जाना जाता है। उज्जैन ही एक ऐसा तीर्थ स्थल है जहां कृष्ण (Krishna) ने गुरू सांदीपनी (Guru Sandipani) के आश्रम में आकर शिक्षा ग्रहण की थी। महाकाल ज्योर्तिलिंग को प्रतिदिन प्रात:काल की आरती में ताजे शव की चिता की भस्म चढ़ाई जाती है जिसे भस्म आरती कहते हैं। आचार्य पं. विनोद दुबे ने कहा कि उज्जयिनी के नरेश चंद्रसेन पक्के शिव भक्त थे तथा उन्हें शास्त्रों का पूर्ण ज्ञान था। महेश्वर के गण ने उन्हें एक चितामंणी भेंट दी थी जिस कारण देवता भी उनसे ईष्या रखते थे।

उज्जैन के आस-पास के राजाओं ने नरेश चंद्रसेन से इसीलिए मित्रता की क्योंकि चंद्रसेन को जीतना संभव नहीं था शिवजी का आशीर्वाद चंद्रसेन के साथ था। पं. दुबे ने कहा कि उज्जैन के महाकाल की प्रमुख धार्मिक अवसरों पर सवारी निकाली जाती है, खासकर सावन के प्रत्येक सोमवार को महाकाल की शाही सवारी निकाली जाती है। कुंभ के जो चार प्रमुख स्नान होते हैं उसमें भी महाकाल की विशेष सवारी निकाली जाती हैं। पं. विनोद दुबे ने कहा कि रामजी के भक्त हनुमंत लालजी का भी उज्जैन से गहरा संबंध है जिस समय भगवान दुष्टों का संहार कर रहे थे उसी समय हनुमान जी भी उज्जैन आये और उन्होंने वहां के राजाओं को बताया कि भगवान भोलेनाथ के अलावा मनुष्य का उद्धार करने वाला अन्य कोई नहीं है।

श्रद्धालुओं ने दूध,दही और पंचामृत स्नान से महाकाल ज्योर्तिलिंग और जलहरी को ढांक दिया। आरती के पश्चात प्रसाद वितरण किया गया। यजमान के रूप में दैवेन्द्र गीता पटैल, सभापति नपा इटारसी, अमित दीपमाला मौर्य, अनिल सीमा भदौरिया, विवेक चरण आशा दुबे, माधव आदि ने भगवान का पूजन एवं रूद्राभिषेक किया।

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