महर्षि दयानंद गुरुकुल में मनायी चंद्रशेखर आजाद की जयंती

Post by: Rohit Nage

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इटारसी। महर्षि दयानंद गुरुकुल आश्रम जमानी (Maharishi Dayanand Gurukul Ashram Jamani) में अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की जयंती श्रद्धा से मनायी। इस अवसर पर मौजूद अतिथियों ने देश की आजादी में चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) के योगदान को याद कर बच्चों से उनसे देशभक्ति की प्रेरणा लेने का अनुरोध किया।

कार्यक्रम में सिवनी बानापुरा (Seoni Banapura) से आये परमानंद (Parmanand) एवं अजय सिंह पटेल (Ajay Singh Patel) मुख्य अतिथि रहे। आचार्य सत्यप्रिय और अतिथियों ने चंद्रशेखर आजाद के चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उन्हें सच्चा देशभक्त बताया तथा बच्चों ने उनसे देशभक्ति की प्रेरणा लेने का अनुरोध किया। नन्हें योगियों को बताया कि चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के भाभरा नामक स्थान में हुआ था। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही अंग्रेजों के खिलाफ बगावत शुरू कर दी थी।

जलियांवाला बाग कांड (Jallianwala Bagh incident) ने चंद्रशेखर आजाद को बचपन में झकझोर कर रख दिया। उन का असली नाम चंद्रशेखर तिवारी था। उन्होंने भारत को आजाद कराने अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी थी। आजाद कहते थे दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, हम आजाद हैं और आजाद ही रहेंगे। आश्रम के प्रबंधक बालकृष्ण मालवीय ने बताया कि चंद्रशेखर का पूरा बचपन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र भाभरा में ही बीता था। यहां पर उन्होंने बचपन से ही निशानेबाजी और धनुर्विद्या सिखी। लगातार मौका मिलते ही वो इसकी अभ्यास करने लगे, जिसके बाद यह धीरे-धीरे उनका शौक बन गया।

कार्यक्रम के दौरान अतिथियों को आश्रम की ओर से स्वागत में दुपट्टा एवं महर्षि दयानंद द्वारा रचित पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश भेंट की। प्रबंधक बालकृष्ण मालवीय ( Balkrishna Malviya) ने उपस्थित सभी का आभार व्यक्त किया।

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