नहाय खाय के साथ कल से प्रारंभ होंगे छठ के व्रत

Post by: Rohit Nage

Chhath fast will start from tomorrow with Nahay Khay
  • – उत्तर भारतीय समुदाय के सदस्य नहर पर देंगे सूर्यदेव का अर्घ्य
  • – 7 नवंबर को नहर पर होगा संध्याकालीन अर्घ्य और पूजा पाठ
  • – 8 नवंबर को नहर पर ही सूर्य को प्रात:कालीन अर्घ्य दिया जाएगा

इटारसी। उत्तर भारतीय समाज के छठ पूजा का न सिर्फ उत्तर भारत में बल्कि अब तो इटारसी नगर में भी बड़ा महत्व हो गया है। यहां पांच सौ से अधिक परिवार विभिन्न विभागों में हैं जो पथरोटा नहर, नयायार्ड और आर्डनेंस फैक्ट्री में छठ पूजा करके छठ पर्व मनाते हैं। उत्तर भारत में यह पर्व दीवाली से भी अधिक महत्व रखता है। छठ पूजा के शुभ अवसर पर सूर्य देव और उनकी पत्नी उषा, प्रत्युषा की विधिपूर्वक उपासना करने का विधान है।

मान्यता है कि पूजा करने से जातक को छठी मैया की कृपा प्राप्त होती है। हर साल छठ पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है। उत्तर भारतीय परिवार छठी मैया की विधि-विधान से पूजा करते हैं। छठ पूजा के लिए पथरोटा नहर पर खास इंतजाम किये जाते हैं। इस दौरान चार दिनों तक सूर्य देव की विशेष पूजा करने की परंपरा है। छठ पूजा के दौरान साफ-सफाई और पवित्रता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

समय पर नहर में पानी से खुशी

छठ पूजा में छाती तक पानी में डूबकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस वर्ष नहर में समय पर पानी छोडऩे से उत्तर भारतीय समुदाय में हर्ष है। उत्तर भारतीय समाज के वरिष्ठ सदस्य अधिवक्ता रघुवंश पांडेय ने इसके लिए जिला प्रशासन, कलेक्टर का आभार जताया है। बीते कुछ वर्षों में समाज को नहर में पानी नहीं मिलने से मुश्किलों से छठ पूजा और सूर्य को अर्घ्य देने में परेशानी का सामना करना पड़ा था और समाज और प्रशासन के मध्य तनाव का माहौल भी बना था। अब पिछले कुछ वर्षों से समय पर नहर में पानी छोडऩे के बाद सबकुछ ठीक हो गया है।

रात भर होता है जश्न का माहौल

पथरोटा नहर पर छठ पूजन पर हजारों की संख्या में उत्तर भारतीय समाज के साथ अन्य समाज के लोग भी पहुंचते हैं। यहां रातभर मेला लगता है। नहर किनारे उत्तर भारतीय परिवार शाम से एकत्र होकर पूजन करते हैं और शाम के वक्त सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है। समाज के लोग छाती तक पानी में खड़े होकर घंटों सूर्य भगवान की आराधना करते हैं। यहां भक्तिमय माहौल में शहर और गांव के लोग भी मेला में पहुंचते हैं। शाम को डूबते सूर्य को जल से अर्घ्य देने के बाद रात भर यहां जश्न का माहौल होता है। सुबह दूध से उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद चार दिनी व्रत का समापन होता है।

जानते हैं कब है छठ पूजा

छठ पूजा के पर्व की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है और समापन सप्तमी तिथि पर होता है। इस वर्ष छठ महापर्व 05 नवंबर से लेकर 08 नवंबर तक मनाया जाएगा। 05 नवंबर 2024, मंगलवार को नहाय खाय से व्रत प्रारंभ होगा। 06 नवंबर 2024, बुधवार खरना, 07 नवंबर 2024, गुरुवार संध्या अर्घ्य और 08 नवंबर 2024, शुक्रवार उषा अर्घ्य के बाद उत्तर भारतीय समाज के लोग अपने व्रत का समापन करेंगे।

ऐसे होता है व्रत का पालन

छठ पर्व के पहले दिन नहाय खाय के साथ व्रत की शुरुआत होती है। इस विशेष अवसर पर पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन उत्तर भारतीय समुदाय की महिलाएं दिन में एक बार भोजन करती हैं। दूसरे दिन खरना पर महिलाएं सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत रखती हैं और पानी नहीं पीती हैं। तीसरे दिन भी नर्जला व्रत रखा जाता है और सूर्यास्त को अर्घ्य दिया जाता है। अंतिम दिन, महिलाएं सुबह सूर्य को उषा अर्घ्य देती हैं और शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करती हैं। छठ पूजा के दौरान बर्तन या पूजा सामग्री को किसी दूसरे के हाथ से नहीं छूना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से व्रती का व्रत खंडित हो जाता है। महापर्व के दौरान सात्विक भोजन करना होता है और पुराने बर्तनों का प्रयोग वर्जित होता है।

इसलिए होती है छठ पूजा

छठपूजा का उत्तर भारत में विशेष महत्व है। यह पर्व परिवार और अपनों की सुख-समृद्धि और लंबी आयु के लिए किया जाता है। इस दौरान व्रती सूर्यदेव और उनकी पत्नी उषा, प्रत्युषा की विधि विधान से उपासना करते हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से छठी मैया की जातक को कृपा होती है। छठी मैया को संतानों की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है।

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