- – भारत में 10 अप्रैल से 1 सितंबर तक अलग-अलग शहरों में होता है जीरो शैडो डे
- – मध्यप्रदेश 27 मई से 16 जुलाई तक अलग-अलग शहरों में होता है जीरो शैडो डे
इटारसी। भले ही मानसूनी बादलों ने आपकी परछाई नहीं बनने दी हों लेकिन सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल समाचारों ने जीरो शैडो डे (Zero Shadow Day) को मध्यभारत में भी अनोखी खगोलीय घटना (Astronomical Event) के रूप में प्रचारित किया। वैज्ञानित तथ्यों पर आई अधूरी जानकारी की परछाई को हटाने नेशनल अवार्ड (National Award) प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू (Sarika Gharu) ने मैप (Map) के माध्यम से वैज्ञानिक पक्ष को सामने रखा।
सारिका ने बताया कि मकर तथा कर्क रेखा के बीच स्थित शहरों में साल में सिर्फ दो दिन ही मध्यान्ह के समय पर छाया उस वस्तु के ठीक नीचे बनती है जिससे परछाई दिखाई नहीं देती है, इसे ही जीरो शैडो डे कहते हैं। यह तिथि इस बात पर निर्भर करती है कि उस स्थान का अक्षांश क्या है। जीरो शैडो डे भारत के दक्षिणी भाग में वर्ष के आरंभ में 10 अप्रैल और वापसी में 1 सितंबर को होता है। इस प्रकार 10 अप्रैल से लेकर 1 सितंबर तक भारत के किसी न किसी शहर में होते रहने वाली खगोलीय घटना है।
शुक्रवार 18 अगस्त को मकर रेखा की ओर लौटता दिखता सूर्य दक्षिण भारत के बैंगलुरू में मध्यान्ह में सिर के ऊपर था। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के दक्षिणी भाग में यह 27 मई तथा दूसरी बार 16 जुलाई को होती है। इसका अर्थ यह है कि मध्यप्रदेश में यह घटना 27 मई से 16 जुलाई तक किसी न किसी नगर में होती रहती है। कर्क रेखा के उत्तर में स्थित नगरों में यह घटना नहीं होती है जिनमें नीमच (Neemuch), ग्वालियर (Gwalior), रीवा (Rewa) आदि जिले आते हैं।
सारिका ने बताया कि कोई ट्रेन अगर 8 बजे प्रात: बैंगलुरू (Bangalore) पहुंचेगी तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह आपके नगर के स्टेशन पर आप 8 एएम पर पहुंच जाये। इस प्रकार ही कोई खगोलीय घटना किसी स्थान विशेष में ही दिखती है। तो अपने वैज्ञानिक ज्ञान पर न लगने दें शैडो और मध्यभारत में 2024 में जून माह में दिखने वाले जीरो शैडो डे का करें इंतजार। हां मानसूनी बादल जरूर आपकी परछाई को कर सकते हैं गायब।