इटारसी। कल आषाढ़ शुक्ल पक्ष स्नान दान व्रत गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) बुधवार 13 जुलाई शश, भद्र, इंद्र, हंस, रूचक, बुधादित्य और श्री वत्स योगों के महासंयोग में धूम-धाम से मनाई जावेगी गुरू पूर्णिमा।
मां चामुंडा दरबार भोपाल (Maa Chamunda Darbar Bhopal) के पुजारी गुरू पं. रामजीवन दुबे ने बताया कि सैकड़ों शिष्य गुरू पूजा के साथ दीक्षा लेंगे। इंद्र योग होने से हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। इस पूर्णिमा पर गुरु को पूजने का विधान है। गुरु पूर्णिमा के दिन आदिगुरु, महाभारत के रचयिता और चार वेदों के व्या याता महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास महर्षि वेदव्यास का जन्म माता श्री सत्यवति की कोख से हुआ था। आप को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का अवतार कहा जाता है। 18 पुराणों के रचयिता महर्षि वेदव्यास (Maharishi Ved Vyas) को माना जाता है। गुरु पूर्णिमा पर गुरु को पूजने की परंपरा सदियों पुरानी है। इस दिन जिसे भी आप अपना गुरु मानते हों, उनको पूजा की जाती है। इस दिन पीले फल, मिठाई, पीले कपड़े का दान करना उत्तम रहता है। श्रीमती डॉ. हेमा तिवारी ने बताया कि मां चामुंडा दरबार शाहजहांनाबाद भोपाल (Bhopal) में 55 वॉ गुरू पूर्णिमा महोत्सव दरबार में रात्रि 10 से 2 बजे तक गुरू पूजा के साथ दीक्षा दी जाएगी। माता श्री पिता श्री गुरू को भगवान का रूप माना जाता है। गुरू ज्ञान का दाता है।