इटारसी। मानसून ने तीन दिन पूर्व दस्तक तो जोरदार दी और ऐसा लगा कि इस वर्ष पानी-पानी हो जाएगा। मगर चिंता की बात यह है कि सावन का अधिकांश हिस्सा रिमझिम में गुजर गया और भादौ में केवल जन्माष्टमी को छोड़ दें तो हर दिन लगभग सूखे ही जा रहे हैं। माह तो भादौ का है, लेकिन लक्षण सारे अश्विन (क्वार) मास की तरह दिख रहे हैं। बारिश तो नहीं अलबत्ता बौछारों का मौसम नगर के अलग-अलग हिस्सों में देखने को मिल रहा है। यानी पूरे नगर में एक साथ बारिश नहीं हो रही है। इसी तरह से पांच-दस मिनट बौछारों के मौसम के बाद तेज धूप भी निकल रही है। आसमान पर बादल तो घने-काले छा रहे हैं, गरज भी रहे, लेकिन बरस नहीं रहे हैं।
बारिश की यही बेरुखी किसानों के लिए बड़ी चिंता का सबब बन रही है। खेतों में धान की फसल खड़ी है, जिसे अभी लगभग एक माह और पानी की महती जरूरत है, पानी नहीं होने से बिजली की स्थिति भी गड़बड़ा रही है, ऐसे में खेत सूख जाएं तो किसानों के समक्ष बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा, क्योंकि बड़े रकबे में धान की फसल की बोवनी की गई है।
मौसम का यह मिजाज लोगों को बीमार कर रहा है। गर्मी और उमस से आमजन हलाकान तो है, मच्छरों की तादात बढ़ जाने से मलेरिया, वायरल फीवर के मरीज भी बढ़ने लगे हैं। बारिश की उम्मीद में जनमानव बैचेन हो चला है। मौसम विभाग की मानें तो अभी भी तेज बारिश की कोई उम्मीद नहीं है। होशंगाबाद के साथ ही भोपाल, उज्जैन, इंदौर, सागर, जबलपुर, ग्वालियर और चंबल संभागों के जिलों में कुछ स्थानों पर वर्षा या गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ने का अनुमान मौसम विभाग लगा रहा है। ऐसे में कहा जा सकता है कि आने वाले दिन विशेष बदलाव की उम्मीद इन बादलों से नहीं की जा सकती है।
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आते हैं, छा जाते हैं, मगर बरसते नहीं

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