कल्पना चावला कैसे बनी अंतरिक्ष यात्री, कल्पना चावला का परिवार ,कल्पना चावला करियर, कैसे हुआ हादसा जाने सम्पूर्ण जीवन परिचय…
कल्पना चावला जीवन परिचय (Kalpana Chawla Biography)
पूरा नाम | कल्पना चावला |
जन्म तिथि | 1 जुलाई 1961 |
मृत्यु तिथि | 1 फरवरी 2003 |
जन्म स्थान | करनाल |
पेशा | इंजीनियर, टेक्नोलॉजिस्ट |
पिता का नाम | बनारसी लाल चावला |
माता का नाम | संज्योथी चावला |
पति का नाम | जीन पिएरे हैरिसन |
अवार्ड्स | कांग्रेशनल स्पेस मेडल ऑफ ऑनर,नासा अंतरिक्ष उड़ान पदक और नासा,विशिष्ट सेवा पदक |
कल्पना चावला कौन थी (Who Was Kalpana Chawla)
कल्पना चावला भारतीय अमरीकी अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी। वे अंतरिक्ष में जाने वाली दूसरी भारतीय और प्रथम भारतीय महिला थी। कल्पना ‘कोलंबिया अन्तरिक्ष यान आपदा में मारे गए सात अंतरिक्ष यात्री दल सदस्यों में से एक थी।
कल्पना चावला का परिवार (Kalpana Chawla’s Family)
कल्पना चावला अपने परिवार में चार भाई-बहनो मे सबसे छोटी थी। कल्पना की दो बहनें थी जिनका नाम दीपा और सुनीता हैं। इसके अलावा एक भाई संजय हैं। कल्पना ने अमेरिका में पढाई के दौरान ही शादी करने का फैसला कर लिया था और उन्होंने अपने फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर जीन पिएरे हैरिसन से शादी की थी। इस शादी के बाद कल्पना को यूएस की नागरिकता मिल गयी।
कल्पना चावला शिक्षा (Kalpana Chawla Education)
कल्पना चावला की प्रारंभिक शिक्षा करनाल के टैगोर बाल निकेतन सीनियर सेकेंडरी स्कूल से प्रारंभ हुई। बचपन से ही उन्हें एरोनाटिक इंजीनियर बनने का शौक था। परंतु उनके पिता उन्हें डॉक्टर या शिक्षिका बनाना चाहते थे। पर कल्पना चावला बचपन से ही अंतरिक्ष में भ्रमण करने की सोच रखती थी। अपने सपने को पूरा करने के लिए कल्पना चावला ने इंजीनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़ में एरोनौटिकल इंजीनियरिंग पढने के लिए बी.इ. में ऐडमिशन लिया।
और वर्ष 1982 में एरोनौटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद कल्पना चावला अमेरिका चली गयी और वर्ष 1982 में टेक्सास विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर करने के लिए ऐडमिशन लिया। और इस कोर्स को वर्ष 1984 में पूरा कर लिया। उनके अन्तरिक्ष यात्री बनने की इच्छा इतनी प्रबल थी कि उन्होंने वर्ष 1986 में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में दूसरा स्नातकोत्तर भी किया साथ ही कोलराडो विश्वविद्यालय से वर्ष 1988 में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विषय में पी.एच.डी. भी पूरा किया।
कल्पना चावला करियर (Kalpana Chawla Career)
कल्पना चावला ने वर्ष 1988 में नासा के अमेस रिसर्च सेण्टर में ओवरसेट मेथड्स इंक में कार्य करना प्रारंभ किया। और कल्पना चावला को हवाई जहाज़, ग्लाइडरों व व्यावसायिक विमान चलाने पशिक्षण दिया गया। उन्होनें एकल व बहु-इंजन वायुयानों के लिए व्यावसायिक विमान चालने के लाइसेंस भी प्राप्त थे।
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नासा का अनुभव (NASA’s Experience)
- 1994 में कल्पना चावला का नासा में चयन हो गया। इसके बाद कल्पना ने 1995 में जॉनसन स्पेस सेंटर में एक एस्ट्रोनॉट प्रतिभागी के तौर पर एस्ट्रोनॉट के 15 वें ग्रुप में जॉइन किया।
- एक साल तक प्रशिक्षण के बाद EVA / रोबोटिक कंप्यूटर ब्रांच के एस्ट्रोनॉट ऑफिस में टेक्निकल इशू के काम के लिए क्रू प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्त मिली।
- उनको दिए गए कामों में रोबोटिक सिचुएशनल अवरेनेस डिस्प्ले और टेस्टिंग स्पेस शटल कण्ट्रोल सॉफ्टवेयर इन सॉफ्टवेयर को नियंत्रित करना था।
- नवम्बर 1996 में कल्पना चावला को STS-87 पर मिशन विशेषज्ञ और प्राइम रोबोटिक आर्म ऑपरेटर के तौर पर नियुक्त किया गया। और जनवरी 1998 में उन्हें शटल और स्टेशन फ्लाइट के लिए क्रू रिप्रेजेन्टेटिव के पद पर नियुक्त किया गया, इसके बाद उन्होंने एस्ट्रोनॉट ऑफिस क्रू सिस्टम एंड हैबिटेबिलिटी सेक्शन में काम किया।
स्पेस फ्लाइट अनुभव : STS-87 कोलंबिया (19 नवम्बर से 5 दिसम्बर 1997 तक) (Space Flight Experience: STS-87 Columbia (November 19 to December 5, 1997)
STS-87 चौथी यूएस माईक्रोग्रेविटी पेलोडफ्लाइट थी और यह इस प्रयोग पर आधारित थी कि अन्तरिक्ष में वजन रहित वातावरण में कैसे विभिन्न भौतिक गतिविधियाँ होती हैं और सूर्य के बाहरी वायुमंडलीय ऑब्जरवेशन का कार्य कैसे होता हैं। STS-87 ने धरती के 252 परिक्रमा 36 घंटे और 34 मिनट में की थी।
कोलम्बिया STS-107 (16 जनवरी से 1 फरवरी 2003 तक) (Colombia STS-107 (January 16 to February 1, 2003)
कोलंबिया अंतरिक्ष यान के एसटीएस-107 उड़ान के दल में कल्पना चावला को शामिल किया गया। कुछ तकनीकी और अन्य कारणों से यह अभियान लगातार पीछे सरकता रहा और 16 जनवरी 2003 को कल्पना ने कोलंबिया पर चढ़ कर एसटीएस-107 मिशन का आरंभ किया।
जिसमे क्रू के सदस्य 2 शिफ्ट में बारी-बारी से 80 प्रयोग का सफल परिक्षण कर चुके थे। STS-107 मिशन का 1 फरवरी 2003 को अकस्मात अंत तब हो गया। जब स्पेस शटल कोलम्बिया और क्रू निर्धारित लैंडिंग से 16 मिनट पहले प्रवेश करते हुए नष्ट हो गया।
कैसे हुआ हादसा (How The Accident Happened)
1 फरवरी 2003 की सुबह जब स्पेस शटल धरती पर लौट रहा था और कैनेडी स्पेस सेंटर पर लैंड करने ही वाला था तभी लांच के समय एक ब्रीफकेस के आकार का इंसुलेशन का टुकड़ा टूट गया और शटल के उस विंग्स को क्षतिग्रस्त कर दिया जो कि इसकी री-एंट्री के समय गर्मी से रक्षा कराता हैंं। जैसे ही शटल वातावरण मे पहुंचा, विंग के अंदर की गर्म हवा ने इसको तोड़ दिया और 1 मिनट के अन्दर ही शिप के सभी क्रू सदस्य इसकी चपेट में आ गए। यह दुर्घटना 1986 में शटल चेलेंजेर में हुए विस्फोट के बाद स्पेस शटल प्रोग्राम के लिए दूसरी बड़ी दुर्घटना थी।
कल्पना चावला के साथ अंतिम समय में कौन था (Who Was Last Time With Kalpana Chawla)
कल्पना चावला के साथ उनके क्रू कमांडर रिक.डी.हस्बैंड, पायलट विलियम सी.एमसीकूल,पेलोड कमांडर माइकल पी.एंडरसन, पेलोड स्पेशलिस्ट इलान रामोन जो कि पहले इजरायली एस्ट्रोनॉट थे और मिशन स्पेशलिस्ट डेविड एम.ब्राउन और लॉरेल बी.क्लार्क थे।
कल्पना चावला सम्मान (Kalpana Chawla Award)
- चंद्र क्रेटर चावला का नाम कल्पना चावला के नाम पर रखा गया हैं।
- 12 सितंबर 2002 को भारत सरकार द्वारा प्रमोचित श्रृंखला के पहले उपग्रह “मेटसैट-1″ का नाम बदलकर कल्पना 1 कर दिया गया।
- महिला वैज्ञानिकों को सम्मान देने के लिए 2004 में कर्नाटक सरकार द्वारा कल्पना चावला पुरस्कार की स्थापना की गई थी।
- नासा मार्स एक्सप्लोरेशन रोवर मिशन ने कोलंबिया शटल आपदा में खोए हुए सात अंतरिक्ष यात्रियों में कोलंबिया हिल्स नामक पहाड़ियों की एक श्रृंखला में सात चोटियों का नाम रखा हैं। उनमें से एक हैं चावला हिल, जिसका नाम कल्पना चावला के नाम पर रखा गया हैं।
- कल्पना चावला गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (KCGMC) करनाल पंजाब के चडीगढ में स्थित एक मेडिकल कॉलेज हैं जिसका नाम कल्पना चावला के नाम पर रखा गया हैं।