- प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना शालिनी खरे छात्राओं को सिखाएंगी कथक नृत्य की बुनियादी बातें
- शासकीय पीएमश्री कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला सूरजगंज में होगा कार्यशाला का आयोजन
- भारत सरकार द्वारा संत मीराबाई की 525 वीं जयंती पर कराई जा रही है कला धरोहर श्रंखला
इटारसी। भारत सरकार (Government of India) संत मीरा बाई (Sant Meera Bai) की 525 वीं जयंती मना रही है, और इस अवसर पर संगीत नाटक अकादमी (Sangeet Natak Academy) ने पूरे भारत (India) में संत मीरा बाई पर केंद्रित ‘कला धरोहर’ श्रृंखला का आयोजन किया है। इस श्रृंखला की शुरुआत हरियाणा (Haryana) से हुई थी और अब इसे पूरे भारत वर्ष के सरकारी स्कूलों एवं विश्वविद्यालयों में सफलतापूर्वक आयोजित किया जा रहा है।
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के इटारसी (Itarsi) स्थित पीएमश्री स्कूल शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (PMshree School Government Girls Higher Secondary School) को ‘कला धरोहर’ के लिए चुना गया है। यहां दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन 4 से 5 सितंबर 2024 को दोपहर 12 से 3 बजे तक प्रतिदिन किया जाएगा। इस कार्यशाला में जबलपुर (Jabalpur) की प्रसिद्ध कलाकार शालिनी खरे (Shalini Khare), कथक नर्तक, छात्राओं को संत मीरा बाई पर आधारित कथक नृत्य की बुनियादी बातें सिखाएंगी।
बता दें कि संगीत नाटक अकादमी, जो भारत की प्रदर्शन कलाओं के क्षेत्र में सर्वोच्च संस्था है, उसकी स्थापना भारत की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और प्रचार के उद्देश्य से की गई थी। अकादमी विभिन्न आयोजनों, गतिविधियों और उत्सवों के माध्यम से देश की सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और जमीनी स्तर पर बढ़ावा देती है और उसे व्यापक दर्शकों तक पहुंचाने का कार्य करती है।
संगीत नाटक अकादेमी ने ‘कला धरोहर’ श्रृंखला की शुरुआत की है, जो एसएनए की एक महत्वपूर्ण पहल है। इस श्रृंखला का उद्देश्य भारतीय प्रदर्शन कलाओं के प्रति छात्रों के ज्ञान को बढ़ाना और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का समर्थन करना है। इस पहल के अंतर्गत, छात्रों को भारतीय कलाओं के प्रति जागरूक और निकट लाने के लिए व्याख्यान-प्रदर्शन, कार्यशालाओं और प्रदर्शनों जैसी विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। ‘कला धरोहर’ श्रृंखला के अंतर्गत संगीत नाटक अकादमी के पुरस्कार विजेता, प्रख्यात कलाकार, गुरु और विद्वान आमंत्रित किए जाते हैं, जिससे छात्रों को विभिन्न प्रदर्शन कला रूपों के विशेषज्ञों से सीखने का अवसर प्राप्त हो सके। इन संवादात्मक सत्रों का उद्देश्य न केवल छात्रों की भारतीय संस्कृति की समझ को गहरा बनाना है, बल्कि उन्हें हमारे देश की समृद्ध धरोहर को खोजने और सराहने के लिए प्रेरित करना भी है।
यह पहल भारतीय प्रदर्शन कलाओं के ज्ञान को फैलाने और युवा प्रतिभाओं को संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। ‘कला धरोहर’ न केवल छात्रों के लिए लाभकारी है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और प्रचार में भी अहम योगदान दे रही है। ‘कला धरोहर’ श्रृंखला भारतीय सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और प्रसार के लिए एक अत्यंत प्रशंसनीय कदम है, जो न केवल छात्रों को भारतीय संस्कृति से जोड़ता है, बल्कि उन्हें हमारी समृद्ध धरोहर को समझने और सराहने के लिए भी प्रेरित करता है।