MUMBAI: दशकों पहले स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) की आवाज संत ज्ञानेश्वर की कविताओं और अभंगों पर आधारित गीतों में सुनी गई थी। अब हृदयनाथ मंगेशकर (Hridaynath Mangeshkar) ने भक्ति गीतों के नए एलबम भावार्थ माऊली (Album sentiment mauli) के लिए संगीत तैयार किया है और लता जी ने इन गानों के पहले सही अर्थ पर टिप्पणी प्रस्तुत की है। भारत रत्न लता मंगेशकर ने संत ज्ञानेश्वर की रचनाओं पर आधारित भक्तिगीतों का एलबम हिंदू नववर्ष के अवसर जारी किया है। इसे लेकर उन्होंने दैनिक भास्कर के साथ खास बातचीत में अपनी दिनचर्या, वर्तमान स्थिति, गानों के रिकॉर्डिंग के वक्त की यादों पर खुलकर बताया।
इन दिनों खान-पान को लेकर आपकी दिनचर्या कैसी होती है?
मैं ठीक हूं। हालचाल तो आपको मालूम होगा कि आजकल कोराेना चल रहा है। दिनचर्या बहुत सिंपल-सी है। बहुत साधारण खाना होता है। बाहर तो जाना होता नहीं है। घर में रहना होता है। बीच में काफी बीमार थी। अभी मैं ठीक हुई हूं। डॉक्टर ने कहा है कि जब तक कोरोना चल रहा है, आप कहीं मत जाइए। घर में रहिए। ज्यादा लोगों से मिलिए मत। खान-पान को लेकर ऐसा कोई खास नहीं बताया। खाना तो हर तरह का खा सकती हूं। उन्होंने तला हुआ बंद किया है। बाकी खाने में ऐसा कुछ नहीं है कि जो खा नहीं सकती। हमारे डॉक्टर अच्छे हैं।
भावार्थ माउली की खासियत क्या है?
इसकी खासियत यह है कि महाराष्ट्र के बहुत ही बड़े संत हुए हैं- ज्ञानेश्वर जी। संत ज्ञानेश्वर महाराज के गाने अभंगों और उनकी विरहिणी मैंने गाए हैं। इसे अभी नहीं, बल्कि इसे गाए काफी अर्सा हो गया है। लोग सुन चुके है। बहुत पॉपुलर भी है। उन्होंने कौन-सा अभंग किस तरह से लिखा है, वे पूरी दुनिया वालों को क्या कहना चाहते हैं कि उनको क्या करना चाहिए। बहुत सुंदर तरीके इसे हृदयनाथ ने बनाया है। मैं इसमें अपनी तरफ से थोड़ा-बहुत काम किया है। मराठी समझते होंगे, पर संत ज्ञानेश्वर जी की जो मराठी है, उसे समझना बहुत मुश्किल होगा। इसे मराठी लोग भी सही से नहीं समझते। उस वक्त मराठी थोड़ी अलग थी। वे जो बोलते थे तो उनके अलग-अलग शब्द होते थे। उन्होंने क्या कहा है, यह इसमें बताया गया है। मुझे लगता है कि मराठी जो समझते हैं, वे इसे जरूर पसंद करेंगे। ऐसी मुझे उम्मीद है। यह नहीं कहूंगी कि ऐसा ही होगा, ऐसा नहीं है, पर होना चाहिए और हो सकता है कि लोगों को पसंद आए।
इसका शीर्षक भावार्थ माऊली रखने का आशय
देखिए, ज्ञानेश्वर जी को माऊली कहा गया है। ज्ञानेश्वर तो उनका नाम था ही। उन्होंने जो लिखा, उसमें एक तो उन्होंने खुद के लिए लिखा है कि अब मुझे किसी बात की कोई तकलीफ नहीं, कोई दुख नहीं, कोई सुख नहीं, किसी तरह का मेरे मन में किसी के लिए दुष्ट भाव नहीं या बहुत प्रेम नहीं, कुछ नहीं। अब इस हाल में मैं जाना चाहता हूं। उन्होंने क्या किया कि जहां वे रहते थे, वहां छोटा-सा मंदिर था। उस मंदिर के नीचे जमीन के अंदर एक कमरा बनाया है। ऊपर एक बड़ा पत्थर था। वे अंदर गए और वहां जाकर बैठ गए। उनके बड़े भाई, जो उन्हें सिखाया था, उन्होंने दरवाजा बंद करके वह बड़ा-सा पत्थर रख दिया। इस तरह वे वहां बैठकर समाधि ली। मतलब यह जीवंत समाधि थी। वे जिंदा थे। आप भी समझ सकते हैं और मैं भी समझ सकती हूं कि यह छोटा नहीं, बहुत बड़ा काम है। जीवंत समाधि लेना बहुत मुश्किल काम है। ज्ञानेश्वर जी ने ऐसा किया था। जाते-जाते उन्होंने भगवत गीता मराठी में लिखा था। उन्होंने खुद अपने अभंग और भजन लिखे थे, वह अलग किताब है। 19 वर्ष की इतनी छोटी उम्र में उन्होंने बहुत बड़ा काम किया था। उन्होंने दुनिया को उस वक्त यही बताया कि किसी के लिए बुरा भाव मन में मत रखो। किसी का दुश्मन मत बनो। जितना हो सके, लोगों के लिए करो। उनके काम आओ तो बहुत अच्छा होगा। यही उन्होंने किया भी। जितना हो सका लोगों के लिए करके गए।
इन गानों की रिकॉर्डिंग के समय की कोई यादगार बात
मुझे अभी बहुत सारा तो नहीं याद आ रहा है। काफी साल हुए इसे गाए हुए। यह 1973 के बाद रिकॉर्ड हुआ है, यह मुझे याद है। क्या हुआ कि 73 में मैं काफी बीमार हो गई थी। मेरे पेट में कुछ तकलीफ हुई थी और उसका ऑपरेशन भी हुआ था। मेरे ऑपरेशन के बाद मेरे भाई हृदयनाथ को लगा कि हो सकता है कि इलाज का कोई गलत असर हुआ हो। अब से मैं इसको दूसरी जगह गाने नहीं दूंगा, क्योंकि बाहर जाकर गाएगी तो फिर लोग बातें बनाएंगे कि अब यह नहीं गा सकती, अब इसका वैसा गला नहीं रहा। वह यह नहीं चाहता था, इसलिए उसने क्या किया कि मेरी आवाज में पहला गाना मोगरा फुलेला… रिकॉर्ड किया। उसको जब पूरा यकीन हुआ कि सब कुछ ठीक है, तब उसने ज्ञानेश्वरी रिकॉर्ड किया। उसके बाद मैंने फिल्मों में दोबारा गाना शुरू किया। यह बहुत बड़ी बात थी।
मतलब निकट भविष्य में आशा कर सकते हैं?
अभी मैं सोच रही हूं। अभी हाल ही मैं काफी बीमार हो गई थी। कोरोना का भी चल रहा है। डॉक्टर्स ने घर से बाहर जाने से मना कर दिया है। यह नहीं करना है, वह नहीं करना है। फिर क्या बताऊं कि आदमी घर में बैठकर वह कर नहीं सकता, जो करना चाहता है। फिर भी मुझे उम्मीद है कि कुछ न कुछ जरूर करूंगी।