भोपाल। मध्यप्रदेश स्टार्टअप नीति 2022 की अनेक विशेषताएँ हैं जो इसे देश में अलग पहचान देती है। संस्थागत रूप से विषय-विशेषज्ञों के साथ मध्य प्रदेश स्टार्टअप सेंटर की स्थापना, मजबूत ऑनलाइन पोर्टल का विकास, राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय तकनीकी और प्रबंधन संस्थानों सहित विश्वविद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों से आवश्यक शैक्षणिक सहायता का आदान-प्रदान का प्रावधान नीति में किया गया है।
सचिव एमएसएमई पी. नरहरि ने बताया कि विपणन के क्षेत्र में अब नीति अनुसार अनुभव से संबंधित छूट में एक करोड़ रूपए तक का प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार की निविदाओं और अनुरोध के प्रस्ताव के लिए जमानत तथा बयाना जमा राशि से छूट के साथ ही स्टार्टअप को केन्द्र से TReDS प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाने का महत्वपूर्ण प्रावधान है। उल्लेखनीय है कि आगामी 13 मई शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मध्यप्रदेश की स्टार्टअप पालिसी का इंदौर में आयोजित कॉन्क्लेव में शुभारंभ करेंगे।
नीति में वित्तीय सहायता के रूप में सेबी/आरबीआई द्वारा मान्यता प्राप्त वित्तीय संस्थानों से सफलतापूर्वक निवेश प्राप्त करने पर 15 प्रतिशत की दर से अधिकतम 15 लाख रूपये तक की सहायता दी जाएगी। यह सहायता अधिकतम 4 बार दी जाएगी। उपरोक्त के अलावा, महिलाओं द्वारा प्रवर्तित स्टार्ट-अप के लिए 20 प्रतिशत की अतिरिक्त सहायता का प्रावधान है। फंड जुटाने की प्रक्रिया में स्टार्टअप्स का सपोर्ट करने वाले इन्क्यूबेटरों को इनके अलावा 5 लाख रूपये की सहायता दी जाएगी। इवेंट आयोजन हेतु संबंधित राज्य इन्क्यूबेटरों को प्रति इवेंट 5 लाख रूपये तक की सहायता दी जाएगी। इसकी प्रति वर्ष 20 रूपये लाख अधिकतम सीमा होगी। इन्क्यूबेटरों की क्षमता वृद्धि के लिए 5 लाख रूपये तक की सहायता दी जाएगी। मासिक लीज रेंटल हेतु 50 प्रतिशत तक की सहायता अधिकतम 5000 रूपये तीन वर्ष के लिए दी जाएगी। पेटेंट प्राप्त करने के लिए भी 5 लाख रूपए तक की सहायता दिए जाने का भी प्रावधान है।
एमएसएमई सचिव के अनुसार उत्पाद-आधारित स्टार्टअप के लिए विशेष वित्तीय सहायता के तहत कौशल विकास एवं प्रशिक्षण हेतु किए गए व्यय की प्रतिपूर्ति 13 हजार रूपये प्रति वर्ष 3 वर्ष के लिए और 5 हजार रूपये प्रति कर्मचारी प्रति माह की सहायता, अधिकतम 3 वर्ष की अवधि के लिए दी जाएगी। कनेक्शन की तारीख से 3 साल के लिए बिजली शुल्क में छूट एवं नए बिजली कनेक्शन हेतु दर रूपये 5/यूनिट 3 साल के लिए फिक्स दिए जाने का प्रावधान है।
स्टेट इनोवेशन चैलेंज के तहत वित्तीय/गैर-वित्तीय सहायता के तहत राज्य सरकार द्वारा चयनित चार सामाजिक-आर्थिक समस्या के समाधान प्रदान करने वाले स्टार्टअप को प्रति स्टार्टअप एक करोड़ रुपये (चार चरण में) तक का अनुदान दिया जाएगा। सभी आवश्यक लाइसेंस सहमति शुल्क से छूट या प्रतिपूर्ति दी जाएगी। खरीद सहायता भी 2 साल और तक प्रदान की जायेगी।
यह भी उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश के 500 से अधिक स्टार्टअप को वर्ष 2021 में डीपीआईआईटी द्वारा मान्यता प्राप्त हुई। इसी तरह 1900 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप में से अधिकांश स्टार्टअप प्रगति के चरण में है। प्रदेश में प्रमुख रूप से भोपाल में 31 और इंदौर में 44 फीसदी स्टार्टअप स्थित हैं।