ये तन्हाई का आलम
ये दर्द के साए
कितना तड़पाते हैं
दिल – ए – नादान को .
ये इंतजार का सितम
ये आंखों से गिरते मोती
कितना बेबस करते हैं
दिल – ए – रंजूर को .
ये अब्र से बरसती उदासी
ये बेकसी बढ़ाती शामें
कितना बैचैन करते हैं
दिल – ए – नाशाद को.
अदिति टंडन (Aditi Tandan)
आगरा