एनसीईआरटी की किताब के पाठ पर छात्रा के पिता ने बताया- लवजिहाद को बढ़ावा देने की साजिश

Post by: Manju Thakur

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On the lesson of NCERT book, student's father told - conspiracy to promote lovejihad
एनसीईआरटी की किताब के पाठ पर विवाद
  • – मेल भेजकर की शिकायत

भोपाल, 20 सितंबर (हि.स.)। मध्यप्रदेश में एनसीईआरटी की तीसरी कक्षा की किताब के एक पाठ को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। छतरपुर के खजुराहो में एक छात्रा के पिता ने इस पाठ को लव जिहाद को बढ़ावा देने वाला बताया। छात्रा के पिता डॉ. राघव पाठक ने पाठ के कंटेंट को लेकर शुक्रवार को एनसीईआरटी के सेक्रेटरी और डिप्टी सेक्रेटरी को मेल भेजा है। उन्होंने पाठ के कंटेंट को साजिश बताते हुए जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की।

खजुराहो निवासी डॉ. राघव का कहना है कि मुझे वहां के जवाब का इंतजार है। जब तक जवाब नहीं आता, मैं लोगों को जागरूक करता रहूंगा। लोगों से कहूंगा कि वह भी विरोध करें, क्योंकि सिर्फ मेरी बच्ची ही कक्षा तीन में नहीं पढ़ रही हैं। मैं सिलेबस के अन्य कंटेंट को भी देखूंगा कि और कहां इस तरीके का षड्यंत्र किया जा रहा है।

पर्यावरण किताब में पाठ का शीर्षक है, ‘चिट्ठी आई है’

दरअसल, कक्षा तीन की पर्यावरण विषय की किताब में जिस अध्याय 17 के कंटेंट पर आपत्ति जताई गई है, उसका शीर्षक है, ‘चिट्ठी आई है’। इसमें एक पोस्टकार्ड छपा है। उसमें लिखा है – ‘ अहमद तुम बताओ तुम कैसे हो? हम सब दोस्तों को तुम्हारी याद आती है। आशा है छुट्टियों में तुम अगरतला आओगे। सभी बड़ों को प्रणाम, तुम्हारी रीना।’

शिकायतकर्ता डॉ. राघव पाठक ने दो दिन पहले छतरपुर के खजुराहो थाने में भी शिकायती पत्र सौंपा था। जिसमें उन्होंने जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की थी। शिकायतकर्ता डॉ. राघव पाठक एक होम्योपैथिक डॉक्टर हैं। वे कहते हैं कि देश में फैलते साम्प्रदायिक तनाव और लव जिहाद के बढ़ते मामलों के मद्देनजर मेरी नजर मेरी सात साल की बेटी के पाठ्यक्रम में पढ़ाए जाने वाले सिलेबस पर गई। जिसके अध्याय 17 (विषय-पर्यावरण) में रीना नाम की हिन्दू लड़‌की, अहमद नाम के मुस्लिम मित्र को चिट्ठी लिख रही है। जिसे देखकर मैं बेहद आश्चर्यचकित हुआ और सोचने पर विवश हुआ।

उन्होंने एनसीईआरटी को किए मेल में सवाल उठाए हैं कि क्या सात साल के बच्चों को कक्षा तीन में पढ़ाई जाने वाली विषय सामग्री के लिए आसपास पुस्तक में पाठ 17 में मौजूद पाठ्य सामग्री शामिल करना जरूरी है या थी? क्या पत्राचार की शैली का प्रशिक्षण देने के लिए बाल मन को देखते हुए धर्म विशेष के छात्र अहमद के नाम का उल्लेख और साथ में छात्रा के रूप में रीना धर्म विशेष की छात्रा के नामों का प्रयोग उचित है? खासतौर से देश में बेहद खराब होते माहौल को और लव जेहाद के बढ़ते प्रकरणों को देखते हुए? क्या पत्राचार की शैली का प्रशिक्षण देने के लिए एक बालिका को बालक को ही पत्र लिखते प्रदर्शित करना और यह उदाहरण सामने प्रस्तुत करना सात साल के बालक बालिकाओं के बाल मन को देखते हुए उचित है? क्या पत्राचार की शैली या विधा का पाठ समझाते वक्त करीबी रिश्ते दीदी, भैया, चाचा, चाची, पापा, मम्मी, नाना नानी, दादा दादी को पत्र भेजते हुए का उदाहरण नहीं दिया जा सकता था?

उन्होंने मेल में लिखा- इस कंटेंट के प्रति जिम्मेदारों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए मीडिया सहित अपने नजदीकी पुलिस विभाग में आवेदन देकर अपनी आपत्ति दर्ज करा चुका हूं। यदि आपकी भी पड़ताल में इस कंटेंट के पीछे कोई बेहद घिनौनी या ओच्छी मानसिकता के साथ किसी पूर्व पाठ्यक्रम निर्धारक की साजिश बुद्धि का प्रयोग समझ आता है, तो उसे चिन्हित कर समुचित दंड की व्यवस्था भी सुनिश्चित करें, ऐसा मेरा अनुरोध है।

छात्रा के पिता ने दो दिन पहले बुधवार को एसडीओपी को एक शिकायती पत्र भी सौंपा था। इसमें पाठ के कंटेंट के पीछे जिम्मेदार लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने कहा कि किताब के एक अध्याय में रीना नाम की हिंदू लड़की एक मुस्लिम नाम के अहमद को पत्र लिख रही। यह लव जिहाद को बढ़ाने के उद्देश्य से सोची समझी साजिश है। रीना राम को चिट्ठी लिख सकती है, अहमद को नहीं।

ये राज्य सरकार का मामला नहीं: एसडीओपी

इस संबंध में एसडीओपी सलिल शर्मा ने बताया कि खजुराहो निवासी राघव पाठक ने एक आवेदन पत्र दिया है। जिसमें उन्होंने एनसीईआरटी के कक्षा तीन के एक अध्याय पर आपत्ति जताई है। जिसमें मैंने उन्हें समझाइश दी है। इस संबंध में राज्य सरकार का या लोकल बॉडी का कुछ लेना-देना नहीं है। इसे उचित फोरम पर दें और इस समझाइश के साथ मैंने इस आवेदन को पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को भेजा है।

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