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अपना कल सुरक्षित करने के लिए आज लगायें एक पौधा

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  • रोहित नागे
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भारत पर्वों, उत्सवों का देश है। यहां की संस्कृति इन्हीं से समृद्ध है और इन्हीं के कारण कभी देश बेहद खुशहाल रहा है। भारतीय पर्वों के पीछे प्रकृति से जुड़ाव होता है। कल 24 जुलाई को देश में हरियाली अमावस्या मनायी जाएगी। यह पर्व पर्यावरण संरक्षण का संदेश देकर मानव को प्रकृति से जोड़ता है, श्रावण मास में जब हर तरफ हरितिमा छायी होती है, ऐसे में हरियाली पर्व मनाते हैं। श्रद्धालु पीपल वृक्ष की पूजा के साथ भगवान शिव-माता पार्वती का पूजन करते हैं।

हरियाली अमावस्या पर पौधरोपण करके लोग प्रकृति की रक्षा और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प भी लेते हैं। धार्मिक दृष्ट से माना जाता है कि इस दिन शिव-पार्वती की कथा सुनने से संकट दूर होते हैं। महिलाएं व्रत करती हैं, आपस में सुहाग सामग्री बांटती हैं, पीपल के नीचे दीपक जलाया जाता है। हरियाली अमावस्या का पर्व पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है। यह पर्व प्रकृति के महत्व को दर्शाता है और लोगों को पेड़ लगाने तथा पर्यावरण की रक्षा करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

श्रावण मास में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह पर्व भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा लोकप्रिय है। इस दिन, लोग पौधरोपण करते हैं, वृक्षों की पूजा करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि ऐसा करने से पर्यावरण सुरक्षित रहेगा और उन्हें शुभ फल प्राप्त होंगे। हरियाली अमावस्या का पर्व पर्यावरण संरक्षण के महत्व को उजागर करता है। यह हमें याद दिलाता है कि मनुष्य और प्रकृति एक-दूसरे पर निर्भर हैं, और हमें अपने पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए। वृक्षों के बिना, जीवन संभव नहीं है, वे हमें ऑक्सीजन, फल, छाया और औषधियां प्रदान करते हैं।

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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