पालने में डालने से पहले क्यों निकाल देते हो, जो पल जाएं तो दुनिया को पाल देती हैं बेटियां”
रानी लक्ष्मीबाई जयंती पर काव्य संध्या आयोजित
सोहागपुर/ राजेश शुक्ला। रानी लक्ष्मीबाई एवं पूज्य गुरुनानक देव (Rani Laxmibai and revered Guru Nanak Dev jayanti) जी की जयंती के अवसर पर शुक्रवार रात सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में काव्य संध्या का आयोजन किया गया। आयोजन में कवियों ने राष्ट्रवाद, धर्म, स्वतंत्रता संग्राम आदि विषयों एवं प्रसंगों पर रोचक रचनाएं, क्षणिकाएं एवं गीत प्रस्तुत किए।सरस्वती शिशु विद्या मंदिर प्राचार्य राहुल देव ठाकरे एवं प्रधानाचार्य विनोद दीक्षित ने बताया कि कार्यक्रम की विशेषता नन्हीं बालिकाएं आसावरी ठाकरे, सृष्टि दुबे एवं कनक दुबे रहीं, जिन्हें अतिथि के रूप में मंचासीन किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता सोहागपुर साहित्य परिषद के कवि राजेश शुक्ला ने की ।मां सरस्वती एवं भारत माता के पूजन उपरांत प्राचार्य राहुल देव ठाकरे ने दो महान विभूतियों की जयंती के अवसर पर राष्ट्रवाद आधारित विषय पर उद्बोधन दिया एवं एक गीत प्रस्तुत किया। जिसके बाद स्थानीय कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम में अतिथियों व श्रोता के रूप में सरस्वती शिशु विद्या मंदिर संचालन समिति सदस्य संजीव दुबे सहित रीतेंद्र सिंह ठाकुर व आचार्य परिवार से संतोष पटेल, प्रदीप देवलिया, सुधीर मीना, प्रेम नारायण सराठे, लालसाहब पटेल, सत्यम रघुवंशी, नितिन साहू आदि उपस्थित थे। मंच से आसावरी ठाकरे, सृष्टि दुबे एवं कनक दुबे ने भी अपनी कविताएं पढ़ी।
कवियों ने पढ़ी ये रचनाएं
मन को ना करना नकारा, सबसे बड़ा मन ही सहारा,
जब राम देखेंगे बड़ा मन, कैसे करेंगे वो किनारा।
गीतकार अमित बिल्लोरे
धरती पर रानी आ जाओ
करो मेहरबानी आ जाओ।
बेटी पीड़ित अबला पीड़ित
पीड़ित हर एक नारी है।
नहीं मिला कोई समाधान
हर समाधान सरकारी है।
सत्ता की सब गुप्त बात,
तुमको बत लानी आ जाओ ।
कवि राजेश शुक्ला
में हूं हर नारी के अंदर
ख़ुद की शक्ति पहचानो तो
तुम ही दुर्गा, तुम ही काली
अपने को पहचानो तो।
कवि प्रबुद्ध दुबे
जान जाए तो जाए वतन पर मेरी,
मैं वतन पर हूं सारा वतन मेरा है।
कवि शैलेंद्र शर्मा
देखो झांसी की रानी चली।
शत्रु संग्राम से
भागते मैदान से
मची दुश्मन में थी खलबली।
कवि श्वेतल दुबे
“मैं समय हूं मैंने युग युग से भारत की पावन भूमि में वीरांगनाओं को देखा है।
कवि संजय दीक्षित
विस्मृति की की धुन्ध हटाकर के
स्मृति के दीप जला लेना ।
झांसी की रानी को अपने
अश्कों के अर्ध्य चढा देना ।।
कवि जीवन दुबे
फूलों सी कोमल मन वाली होती हैं बेटियां।
गंगा जल ही निर्मल मन वाली होती है बेटियां ।।
कवि रवि नागेश