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पुण्य स्मृति विशेष: हरे राम करते करते, राम में लीन हुए मधु दादा

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(पंकज पटेरिया) : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अनुशासित सिपाही प्रदेश पूर्व राजस्व मंत्री आदरणीय मधुकर राव हरने हमारे बीच से विदा हो गए। मधु भैया या दादा नाम के अपने आत्मीय विशाल परिवार मे पुकारे जाने वाले दादा यू तो पूरा परिवार संघ से जुड़ा है। माने जाने हरने परिवार की समाज में भी खासी प्रतिष्ठा है।

मेरा सौभाग्य ही है कि मुझे उनके पिता विख्यात होमोचिकत्सक अन्ना साहब, बड़े भाई नाना साहेब ,बिठहल दादा अनुज एक नाथ भाई, बेटे प्रशांत, प्रसन्ना और आदरणीय भाभी माधुरी जी सभी से स्नेह सम्मान मिलता रहा।

दरअसल विश्वप्रसिद्ध भारतीय संत शिरोमणि बंगाली बाबा सीताराम, ओंकारनाथ जी, महाराज मेरी स्व माताजी रानी मां पटेरिया के गुरु थे, ओर उन्ही से मधु दादा ने और पूरे हरने परिवार दीक्षा ली थी।

इसी कारण दादा का का मुझ पर पुत्रवत् स्नेह था। दादा मेरे मझले भाई श्री केशव पटेरिया के लीला भैया, सुक्कू भैया, चने भैया, गोपाल जी के साथ अभिन्न मित्र थे। इन नाते भी वे मुझे पत्रकार से इतर अपनत्व और स्नेह देते रहे जीवन पर्यंत।

१९६४ में पूज्य गुरुदेव बंगाली बाबा ने यहां होशंगाबाद नर्मदापुरम में श्रीधर कुटीर के पास विशाल विष्णु यज्ञ संपन्न करवाया था। बाबा के आशीर्वाद से यज्ञ की सारी जवाबदारी हरने परिवार की थी।

बाबा ने हरने जी के घर में 16 नाम 32 अक्षर मंत्र हरे राम हरे राम राम राम हरे हर  का श्री गणेश करवाया था। और यह निर्देश दिया था कि यह महामंत्र शुभाशुभ कैसी भी स्थिति आए चलते रहना चाहिए।

दादा ने खुद मुझे बताया था कि पिता गए, भाई गए लेकिन हरे राम हरे राम राम राम हरे मंत्र एक पल को भी नहीं रुका। आज 65 वर्ष बाद भी यह महामंत्र हरने जी के परिवार में अखंड चलता रहता है।

आपस के संबोधन में भी दादा अपनी चिर परिचित शैली में नमस्कार की जगह हरे राम का उच्च स्वर में उद्घोष करते थे। बंगाली बाबा के दर्शन का सौभाग्य अपनी माताजी बड़े भाई और बहन स्वर्गीय अरुणा दीदी के साथ मुझे भी मिला है।

जनसंघ के एक निष्ठा वान स्वयंसेवक होने के नाते और बाद में भाजापा के एक सिपाही के नाते दादा के संपर्क अटल जी कुशाभाऊ ठाकरे पटवा जी कैलाश जोशी मोदी जी और बात की पीढ़ी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आदि से बहुत आत्मीय संबंध रहे। लेकिन इस बात को लेकर उनमें कभी कोई विशेष भाव नहीं रहा वे  सरलता और सहजता से सबसे मिलते रहे।

आओ मोदी से मुलाकात करेंगे

एक बार का संस्मरण लगभग ३० वर्ष पहले १९९३ की सुबह दादा का फोन आया। पंकज भाई घर आ जाओ। श्री नरेंद्र मोदी जी मिलेंगे। बातचीत करेंगे ओर तुम्हारी भाभी के हाथ के बने बेसन के लड्डू और पकोड़े खायेगे। मैं उस समय नर्मदापुरम में भास्कर ब्यूरो प्रमुख था।

मोदी जी का नाम सुनकर तुरंत दादा के निवास पहुंचा। दादा ने मोदी जी से मेरा परिचय करवाते हुए कहा था यह हमारे नगर के प्रिय पत्रकार हैं। सबके प्यारे कोई उनका शत्रु नहीं। मेरे लिए यह बहुत बड़ा ईनाम था।

बहरराल ऋषि व्यक्तित्व आज के हमारे मौजूदा लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी पहली भेंट थी जिसका प्रभाव आज भी मेरे हदय प्रत्यय पटल पर है। मोदी जो उस समय अखिल भारतीय जनता पार्टी के महामंत्री थे और वे किसी चुनावी दौर में यहां आए थे। उनसे खूब बातचीत हुई थी, तात्कालिक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मुद्दे पर।

दादा विदा हो गए हरे राम हरे राम का उद्घोष करते राम में विलीन हो गए, लेकिन उनकी खनकदार हंसी सुन मोरे बंधु रे सोनू मोरे मितवा गीत गाती मोहक आवाज और विनोद प्रियता सदा जनजीवन में  सुवास सी व्याप्त रहेगी।

प्रभु श्री चरणों में दादा को स्थान दे।
ओम शांति नर्मदे हर

पंकज पटेरिया (Pankaj Pateriya)
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार

9893903003
9340244352 

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