कोरोना गाइडलाइन के साथ हो रहा रुद्राभिषेक

Post by: Poonam Soni

इटारसी। कोरोना महामारी की भयावहता से उबरने के बाद अब जो भी आयोजन हो रहे हैं, आयोजक प्रयास कर रहे हैं कि कोरोना गाइड लाइन का पूरी तरह से पालन किया जाये। सावन मास में श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर लक्कडग़ंज में हो रहे श्री शिव रूद्राभिषेक और पार्थिव शिवलिंग पूजन में भी गाइड लाइन का खास ध्यान रखा जा रहा है। आज पार्थिव शिवलिंग एवं रूद्राभिषेक के अवसर पर सविता गौर एवं उनके पुत्र ओम गौर ने यजमान के रूप में पूजन अर्चन किया।. इनके अलावा रितेश तिवारी ने संकल्प लिया।
कोरोना महामारी के कारण सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर समिति ने सभी इंतजाम किए हैं। मंदिर में सीमित संख्या में आने वाले भक्तों को चेहरे पर मास्क अनिवार्य किया है। सोशल डिस्टेंस का पालन करना है एवं मंदिर में प्रवेश के समय दोनों हाथों को सेनेटराइज करना है। इन नियमों का मंदिर समिति के सभी पदाधिकारी एवं सदस्यों सहित यजमान एवं भक्त पालन कर रहे हैं। आज मुख्य आचार्य पं. अतुल कृष्ण मिश्र एवं आचार्य पं. सत्येंद्र पांडे, पं. पीयूष पांडे ने पूजन एवं रूद्राभिषेक कराया। पं. अतुल कृष्ण मिश्र ने कहा कि भगवान शिव की जटाओं में एक चंद्र का चिन्ह होता है उनके मस्तिष्क पर तीसरी आंख है एवं गले में वह सदैव सर्प और रूद्राक्ष की माला लपेटे होते है उनके एक हाथ मेें डमरू तो दूसरे में त्रिशूल रहता है तथा संपूर्ण शरीर पर श्मशान की चिता की भस्म लगाए रहते हैं। उनके शरीर के निचले हिस्से में शेर की खाल से ढांककर रखते हैं बैल की सवारी करते है और कैलाश पर्वत पर ध्यान लगाकर बैठते है उनकी पत्नि पार्वती तथा गणेश एवं कार्तिकेय उनके पुत्र है। सृष्टि में भगवान शिव की सत्य है। सुर और असुरों में जब समुद्र मंथन हुआ तो देवता अमृत ले गए लेकिन जहर भगवान शंकर ने पीया। कलयुग में भगवान शिव की पूजन सावन मास में करने पर अपना एक अलग महत्व है। सावन मास में भगवान शिव कैलाश पर्वत से निकलकर सृष्टि में विचरण करते है, और जो भक्त उनका श्रद्धा भाव से पूजन और अभिषेक करते है उनके वह हर मनोरथ पूरे करते है।
इटारसी में दुर्गा नवग्रह मंदिर में पूरे सावन मास भगवान शिव का पूजन एवं अभिषेक किया जाता है। अरब सागर एवं सात पवित्र नदियों के जल से भगवान का प्रतिदिन अभिषेक होता है तथा श्मशान की मिट्टी से पार्थिव शिवलिंग तैयार किया जाता है उन्होंने कहा कि कोई भी श्रद्धालु आकर भगवान शिव का अभिषेक कर सकता है इसमें किसी प्रकार का कोई बंधन नहीं है। सुनील दुबे शिक्षक एवं वंश अरोरा पार्थिव शिवलिंग पूजन में पूर्ण सहयोग कर रहे हैं।

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