रविवार, सितम्बर 8, 2024

LATEST NEWS

Train Info

संत गाडगे बाबा परिनिर्वाण दिवस सेवा दिवस के रूप में मनाया

इटारसी। रजक समाज ने संत गाडगे महाराज के परिनिर्वाण दिवस को सेवा दिवस के रूप में मनाया। समाज के सदस्यों ने संत श्री की प्रतिमा की पूजा अर्चना कर पश्चात वृद्धाश्रम में बिस्कुट फल वितरण एवं गौशाला में गौचारा की सेवा की। इस अवसर पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजकुमार मालवीय, जिला अध्यक्ष संजय बाथरी, प्रमोद मालवीय विशेष रूप से रहे।

रजक समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजकुमार मालवीय ने बताया कि गाडगे बाबा का जन्म 23 फरवरी 1876 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले के दरियापुर तहसील शेणगांव में हुआ था। पिता झिंगराजी, माता सखू बाई थीं। गाडगे बाबा का विवाह 1892 को कुंताबाई से हुआ था। संत गाडगे बाबा एक वैज्ञानिक विचारधारा के संत थे। उन्होंने हमेशा साहुकारी प्रथा का विरोध किया। शराब, अंडा, मांसाहार का विरोध किया, अंधविश्वास, पाखंडवाद मूर्ति पूजा, कुरीतियों का खुलकर विरोध किया, दहेज प्रथा का खुलकर विरोध किया, बलि प्रथा, छुआछूत के घोर विरोधी थे।

संत गाडगे महाराज ने पुराने कपड़े में अपना जीवन यापन किया एवं गली मोहल्ले शहर में स्वच्छता अभियान चलाया। कई कुआं, बावडिय़ों धर्मशाला का निर्माण कराया, संत गाडगे महाराज कहते थे कि एक रोटी कम खाओ और अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दो। महिलाएं भी महंगी साड़ी, महंगे गहने मत पहनो, अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाओ, रोटी अपने हाथ पर रख कर खा लो महंगे बर्तनों का प्रयोग मत करो। बीमार दुखी गरीबों का इलाज कराओ, गरीब लड़कियों की शादी करो, भूखे को भोजन कराएं, ऐसे कई प्रकार के जन आंदोलन चलाया।

बाबा साहब अम्बेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस 6 दिसंबर 1956 को हो गया था, तो गाडगे महाराज को को बहुत दुख हुआ और उनका स्वास्थ्य भी बिगडऩे लगा। बाबा साहब अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस से ठीक 14 दिन बाद स्वच्छता अभियान के जनक संत गाडगे महाराज का परिनिर्वाण 20 दिसंबर 1956 को हुआ।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

MP Tourism

error: Content is protected !!

Jansampark MP News