- अखिलेश शुक्ला

भारतीय सिनेमा में जब भी क्लासिक फिल्मों की बात होती है, तो सबसे पहले दिमाग में जो नाम आता है वो है “शोले”। 1975 में आई इस फिल्म ने न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर इतिहास रचा, बल्कि इसके किरदार और संवाद आज भी लोगों की ज़ुबान पर हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस फिल्म के बनने से पहले एक रहस्यमयी टैरो कार्ड रीडर ने इसकी सफलता की भविष्यवाणी कर दी थी? जी हां, यह कहानी उतनी ही रहस्यमयी और रोचक है जितनी शोले की पटकथा।
डोलोरेस परेरा: शोले का पर्याय एक टैरो कार्ड रीडर
शोले की शूटिंग के दिनों में बेंगलुरु के बाहरी इलाके में एक टैरो कार्ड रीडर रहा करती थीं नाम था डोलोरेस परेरा। वह उस समय के स्थानीय लोगों में काफी मशहूर थीं। उनकी एक झलक पाने के लिए लोग घंटों इंतजार करते। यही वजह थी कि शोले के निर्देशक रमेश सिप्पी भी उनकी प्रसिद्धि से प्रभावित हो गए।
एक दिन जब फिल्म की शूटिंग समय से पहले खत्म हो गई, तो रमेश सिप्पी ने अमजद खान और उनकी पत्नी शैला खान को साथ लिया और पहुँच गए डोलोरेस के घर। डोलोरेस ने खुद दरवाज़ा खोला और जैसे ही उनकी नजर तीनों पर पड़ी, उन्होंने खास बातें नोट कीं। एक आदमी जिसने टोपी पहनी थी (संभवत: रमेश सिप्पी), दूसरा थोड़ा अस्त-व्यस्त (शायद अमजद खान), और एक सुंदर महिला (शैला खान)।
भविष्यवाणी जो सच निकली
कुछ ही देर में रमेश सिप्पी ने डोलोरेस से अपने आने की वजह बताई – वो जानना चाहते थे कि उनकी फिल्म कैसी चलेगी। डोलोरेस ने अपने टैरो कार्ड्स निकाले और जो कहा, वो वाकई हैरान कर देने वाला था।
उन्होंने अमजद खान की ओर इशारा करते हुए कहा:
“ये आदमी बहुत सफल होगा। शीर्ष स्थान हासिल करेगा। और जो फ़िल्म तुम बना रहे हो, वो कई सालों तक चलेगी।”
यह सुनकर तीनों काफी खुश हो गए, लेकिन शायद उन्होंने भी नहीं सोचा होगा कि डोलोरेस की यह बात इतनी सटीक निकलेगी।
शोले की शुरुआती असफलता के बाद ऐतिहासिक सफलता
जब शोले रिलीज़ हुई, तो पहले कुछ हफ्तों तक इसका रिस्पॉन्स हल्का रहा। लेकिन फिर जो हुआ वो आज तक इतिहास का हिस्सा है। शोले ने न केवल टिकट खिड़की पर धमाल मचाया, बल्कि यह भारतीय सिनेमा की पहली “कल्ट क्लासिक” फिल्म बन गई। गब्बर सिंह, जिसे अमजद खान ने निभाया, ऐसा विलेन बना कि लोग उसे नफरत से नहीं, बल्कि प्यार से याद करने लगे। उनका डायलॉग – “कितने आदमी थे?” – आज भी लोगों में जनसंवाद का हिस्सा है।
अमजद खान: पहला विलेन जिसने लोकप्रियता की नई परिभाषा लिखी
अमजद खान पहले ऐसे अभिनेता बने जिन्होंने सिर्फ विलेन बनकर भी इतनी प्रसिद्धि हासिल की। वह सिर्फ पर्दे पर नहीं, बल्कि देश दुनिया में भी हिट हो गए। एक समय तो एक बिस्किट कंपनी ने उन्हें अपना ब्रांड एंबेसडर बना लिया था। वह भी उस विलेन को, जो सामान्यतः डराने का काम करता है! यही थी गब्बर सिंह की ताकत और अमजद खान की अभिनय क्षमता।
शोले: तकनीक, कहानी और अभिनय का संगम
शोले सिर्फ कहानी नहीं थी, यह तकनीक, निर्देशन और अभिनय का एक ऐसा संगम था जिसने हिंदी सिनेमा को एक नई दिशा दी। फिल्म के निर्देशक रमेश सिप्पी ने हॉलीवुड से प्रेरणा लेकर सिनेमास्कोप तकनीक का उपयोग किया। आर. डी. बर्मन का संगीत, सलिम-जावेद की स्क्रिप्ट, और धर्मेन्द्र, अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी, संजीव कुमार, जया भादुरी जैसे दिग्गजों का अभिनय – इन सबने मिलकर शोले को सफल फ़िल्म बनाया।
शोले की विरासत: आज भी ज़िंदा है गब्बर
शोले को रिलीज़ हुए लगभग 50 साल हो चुके हैं, लेकिन फिल्म का क्रेज आज भी कायम है। इसके संवाद, इसके किरदार और इसकी धुनें आज भी कार्यक्रमों, सोशल मीडिया मीम्स और स्कूल नाटकों में ज़िंदा हैं।
आज भी जब कोई खलनायक बनता है, तो उसकी तुलना सबसे पहले गब्बर सिंह से की जाती है। गब्बर, ठाकुर, जय-वीरू – ये नाम अब किरदार नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का हिस्सा बन चुके हैं।
निष्कर्ष
डोलोरेस परेरा की भविष्यवाणी ने जो कहा था, वह पूरी तरह सच साबित हुआ। शोले ने सिर्फ भारतीय सिनेमा को बदल डाला, बल्कि हमें ऐसे यादगार पल दिए जो हमेशा हमारे साथ रहेंगे।
आपने फ़िल्म शोले अवश्य देखी होगी? आपको गब्बर सिंह का कौन सा डायलॉग सबसे ज़्यादा पसंद है? कमेंट में ज़रूर बताएं!
अखिलेश शुक्ला
सेवा निवृत्त प्राचार्य, लेखक, ब्लॉगर