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भक्ति निष्काम होनी चाहिए, सकाम भक्ति कामनाओं को पूर्ण करती है

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होशंगाबाद। बाँके बिहारी गौशाला के तत्वधान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर भागवत भूषण आचार्य पुष्कर परसाई ने भगवत भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि भक्ति निष्काम होनी चाहिए। सकाम भक्ति कामनाओं को पूर्ण करती है किंतु निष्काम भक्ति प्रभु की प्राप्ति कराती है। मनुष्य का कल्याण निष्काम भक्ति से ही संभव है निष्काम भक्ति के प्रभाव से ही भगवान ने प्रह्लाद जी को दर्शन दे कर हरिपद प्रदान किया। इसके पश्चात पूज्य आचार्य पुष्कर जी ने बताया कि कलयुग में भगवान ने एक सुविधा दे रखी है कि ज्यादा कर्मकाण्ड उपासना आदि की इस युग में आवश्यकता नहीं केवल भगवन्नाम स्मरण मात्र से ही व्यक्ति सद्गति प्राप्त कर सकता है। आचार्य ने कथा का विस्तार करते हुए भागवत के अंतर्गत महाभारत के प्रसंगों की सुन्दर व्याख्या की। उन्होंने कहा कि कुछ धर्म विरोधी ताकतों ने धर्म को कमजोर करने के लिए यह भ्रम फैला रखा है कि महाभारत घर में रखने से घर में कलह होती है जबकि वस्तुतः ऐसा नहीं है क्योकि महाभारत में श्रीमद्भगवतगीता भीष्म स्तुति, विष्णुसहस्त्रनाम आदि स्तोत्र महाभारत में ही आते हैं इस ग्रंथ के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम ग्रंथ में वेदोंए वेदांगों और उपनिषदों के रहस्योद्घटित किये गये है।

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