मंदिर निर्माण के साथ रामराज की कल्पना भी साकार होना चाहिए : देवी हेमलता
इटारसी। वृन्दावन गार्डन न्यास कॉलोनी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा समारोह के चतुर्थ दिवस में अन्र्तराष्ट्रीय कथा प्रवक्ता देवी हेमलता शास्त्री जी ने श्रीराम नाम की सुन्दर व्याख्या करते हुए कहा कि अयोध्या धाम में श्रीराम मंदिर निर्माण के साथ ही सम्पूर्ण भारत वर्ष में रामराज की कल्पना भी साकार होना चाहिए जो हमारे संतों और ऋषि मुनियों ने की है। इस व्याख्या के साथ ही कर्मयोगी भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव भी सचित्र झांकी के साथ हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया।
छाबड़ा परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में उपस्थित हजारों श्रोताओं के समक्ष प्रवचनकर्ता देवी हेमलता जी ने गोस्वामी तुलसीदास की इस चैपाई के साथ प्रसंग की शुरूआत करते हुए कहा कि राम रसायन तुमरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा। अर्थात राम नाम की औषधि जिनके पास है वह सदा सुखी है और सदा निरोगी रहता है। श्रीराम नाम की आध्यात्मिक महिमा का वर्णन करते हुए हेमलता शास्त्री ने कहा कि श्रीरामजी के आदर्षों पर चलना ही उनकी भक्ति है। समाज से बुराई को दूर कर राम के आदर्षों को अपनाना ही राम नाम की महत्वता को साकार किया जा सकता है।
इस दौरान अहिल्या प्रसंग के माध्यम से देवी जी ने महिला उत्पीडऩ का जिक्र करते हुए कहा कि भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण तो हम कर रहे हैं लेकिन मंदिर के साथ ही राम राज भी स्थापित होना चाहिए और यह तभी होगा जब समाज में महिलाओं का उत्पीडऩ बंद होगा, मातृ शक्ति का सम्मान होगा। श्रीराम नाम की इस आध्यात्मिक यात्रा में देवी हेमलता जी ने अपनी सुरमयी आवाज में गाया कि नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो। चरण हों राघव के, जहाँ मेरा ठिकाना हो।। इस भजन पर समूचा कथा पाण्डाल भक्ति में झूम उठा। कथा के अंतिम पहर में कर्मयोगी भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव सचित्र झांकी के साथ हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। इस दौरान कथा व्यास हेमलता शास्त्री जी ने श्रीकृष्ण जन्म अवतार की व्याख्या भी साहित्यक स्वरूप में करते हुए उपस्थित श्रोताओं को धर्मज्ञान व भक्ति आनंद का रसपान कराया। इस अवसर पर सांस्कृति प्रतिभाओं ने सुन्दर सामूहिक नृत्य किया। कथा के प्रारंभ में मुख्य यजवान जसवीर सिंह छाबड़, किशन लाल सेठी, शरद गुप्ता, अशोक खंडेलवाल, अंशुल अग्रवाल आदि ने प्रसिद्ध प्रवचनकर्ता देवी हेमलता का स्वागत किया।