इटारसी। शहर की बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था किसी से छिपी नहीं है। इसके लिए सारा दोष पुलिस को ही दिया जाता है। लेकिन, पर्याप्त बल नहीं होने से व्यवस्था में अपेक्षित सुधार नहीं हो पाता है। नगर में कुल 8 का ट्रैफिक बल है, उसमें से भी कभी कोई बीमार या अवकाश पर होता है तो फिर संख्या कम हो जाती है। शाम के वक्त अक्सर सबसे अधिक परेशानी रेलवे स्टेशन के सामने और सूरजगंज चौराह पर आती है, इन दिनों जगह पर तीन सिपाही तैनात रहते हैं, लेकिन बड़ी संख्या में वाहनों की आवाजाही से ये कई बार व्यवस्था संभाल नहीं पाते हैं।
यह सच है, शहर की ट्रैफिक व्यवस्था का। उस पर मनमानी पर उतारू वाहन चालक इनकी परेशानी और बढ़ा देते हैं। शाम के वक्त नीलम तिराहा और सूरजगंज चौराह पर सबसे अधिक परेशानी होती है। भारी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध होने के बावजूद बल नहीं होने से इनकी रोकथाम नहीं कर पाते हैं। टीआई गौरव बुंदेला का कहना है कि शाम के वक्त दो की ड्यूटी रेलवे स्टेशन के सामने और एक की सूरजगंज तथा एक जयस्तंभ पर तैनात रहता है। लेकिन, यह संख्या अपर्याप्त है। कम से कम पांच की बढ़ोतरी हो तो व्यवस्था में कुछ सुधार की उम्मीद हो।
जाम की स्थिति
रेलवे स्टेशन रोड पर बस स्टैंड से नीलम के सामने तक और सूरजगंज चौराह से सोनासांवरी नाका तक कभी भी जाम की स्थित बन जाती है। ऐसे में एक या दो लोग ट्रैफिक क्लीयर करते हैं लेकिन उनको भी काफी वक्त लग जाता है। कारण यह है कि वाहन चालक इतनी जल्दी में होते हैं कि कहीं से भी वाहन जाम में फंसा देते हैं। इन हालात में कम से कम चार लोगों की जरूरत होती है, लेकिन बल नहीं है।
एम्बुलेंस फंसी
दो दिन पूर्व ही नीलम के सामने एक एम्बुलेंस जाम में फंस गयी थी। आटो चालकों की धमा चौकड़ी के आगे तो ट्रैफिक अमला भी बेवश और बेदम हो जाता है। ऐसी ही तस्वीर बनी जब एम्बुलेंस चालक किसी तरह से वाहन निकालने की कोशिश करता, इससे पहले एक आटो चालक उसके पीछे जा लगा। ऐसे में वाहन को आगे-पीछे करने की जगह नहीं बची। उस वक्त तो ट्रैफिक अमला भी नहीं था। बमुश्किल वाहन चालकों ने ही प्रयास करके ट्रैफिक क्लीयर किया।
इनका कहना है…
हमारे पास बल की कमी है। उसमें भी कभी कोई बीमारी के कारण, कोई अन्य काम के कारण अवकाश पर होता है। कल सभी नर्मदा जयंती की ड्यूटी में चले गये। वर्तमान में एक अवकाश पर, एक बीमारी के कारण अवकाश पर और एक ट्रेनिंग पर होने से तीन लोग कम हो गये हैं। बावजूद इसके हम प्लान करके व्यवस्था बनाते हैं।
गौरव बुंदेला, टीआई