इंद्र का अहंकार नाश करने भगवान ने गोप गोपियों से गोवर्धन पूजा कराई

Post by: Rohit Nage

इटारसी। श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर में पिछले 4 दिनों से श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन चल रहा है। मुख्य यजमान राज मिश्रा एवं श्रीमती पूजा मिश्रा ने कथा प्रारंभ होने के पूर्व श्रीमद् भागवत का पूजन किया।

आचार्य नवलेश दीक्षित ने कथा में भगवान बालकृष्ण लाल की दिव्याधि दिव्य बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए नंदोत्सव का बखान किया। उन्होंने बताया कि जन्म के समय जो दान दिया जाता है उसे अब्रक्त दान कहते हैं और वही दान बच्चे की हर स्थिति में महत्वपूर्ण साथ निभाता है। भगवान के द्वारा पूतना मोक्ष पर कहा कि पूतना ही अविद्या है और भगवान अविद्या का विनाश करते हैं। भगवान के नामकरण के बारे में कहा कि अपने बालकों का नाम अपने से श्रेष्ठ जनों से कराना चाहिए। दशम स्कंध में भगवान की लीलाओं में प्रकाश डालते हुए कहा कि भक्तों पर कृपा करने उन्हीं की पूजा पद्धति स्वीकार करने के लिए चाहे जैसे भी पद्धति हो के लिए भगवान का प्रकट हुआ।
कथा के समापन में उन्होंने कहा कि इंद्र का अहंकार नाश करने के लिए भगवान ने गोप गोपियों से गोवर्धन पूजा करा कर प्रकृति रक्षा करने का वचन सभी ब्रज वासियों को भगवान ने दिलाया। माखन चोरी की लीला के माध्यम से भगवान गोपियों के सुंदर मन का हरण करते हैं। कथा के समापन में मुख्य यजमान राज मिश्र एवं श्रीमती पूजा मिश्रा ने भगवान की, भागवत जी की आरती की।

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