आज भगवान आदिनाथ ने वैराग्य धारण किया फिर भगवान बने

आज भगवान आदिनाथ ने वैराग्य धारण किया फिर भगवान बने

इटारसी। पंचकल्याणक एवं गजरथ महोत्सव (Panchkalyanak and Gajrath Mahotsav) के अंतर्गत आज भगवान का तप कल्याणक मनाया। आज भगवान के वैराग्य का दृश्य देखकर आंखों में आंसू थे। जैसे ही भगवान ने वैराग्य की ओर अपने कदम बढ़ाए, वैसे ही भगवान की माता मरु देवी की आंखों में आंसू आ गए उन्हें लगा कि हमारे प्यार में कुछ कमी रह गई होगी जिस कारण बेटा वैराग्य की ओर बढ़ा। किंतु बालक आदिनाथ (Adinath) तो बैरागी की ओर बढ़ ही चुके थे।

इस दृश्य का मंचन को देखने के बाद पूरी पब्लिक की आंखों में आंसू थे। वैराग्य के बाद जब भगवान बनने की प्रक्रिया का मंचन हुआ तो चारों तरफ आदिनाथ भगवान की जय जयकार से पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया। जीवन में वैराग्य धारण करने से पूर्व महाराज आदिनाथ ने अपना पूरा वैभव एवं साम्राज्य अपने ज्येष्ठ पुत्र भरत चक्रवर्ती (Bharat Chakraborty) को सौंपा। भरत चक्रवर्ती बनने का सौभाग्य अधिवक्ता दीपक जैन (Advocate Deepak Jain) को प्राप्त हुआ। उनका राज तिलक हुआ। ज्ञात रहे की जैन समाज के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव (Rishabhdev) के द्वारा ही अशी, मसी, कृषि का जो संदेश जीवन जीने की शैली का रास्ता दिया गया है, वह आज वर्तमान युग में भी सार्थक है।

मंच पर इस बात की एकांकी प्रस्तुत कर जीवन के सिद्धांतों को बताया कि कृषि करके कैसे जीवन यापन किया जा सकता है। भोपाल (Bhopal) से आए नाटक कलाकार ने बहुत ही अच्छी प्रस्तुति से लोगों का मन मोह लिया। तपकल्याण के दिन मुनिश्री निर्णय सागर महाराज की पिच्छी परिवर्तन का कार्यक्रम भी आयोजित हुआ। मुनि श्री की पुरानी पिच्छी प्राप्त करने का सौभाग्य रीना संजय जैन (Reena Sanjay Jain) को प्राप्त हुआ।

पंचकल्याणक समिति के प्रवक्ता नीलेश जैन (Nilesh Jain) ने बताया कि किसी परिवार को पिच्छी मिलना बहुत बड़ी बात होती है। पिच्छी जिसे प्राप्त होती है, उस जोड़े को बहुत नियम धर्म एवं ब्रह्मचर्य से रहना पड़ता है। आज की महा आरती पंकज जैन सराफ परिवार ने की। रात्रि में भक्तांबर महा मंत्र की महिमा को प्रदर्शित करते हुए जैन समाज की महिलाओं द्वारा एक बहुत ही सुंदर नाट्य प्रस्तुति दी गई। कल भगवान का ज्ञान कल्याणक की प्रक्रिया होगी।

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AUTHORRohit

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