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कल पूरे 1000 दिन हो जाएंगे दादा गुरु के निराहार व्रत किये

  • नर्मदा के विवेकानंद घाट पर दीपयज्ञ, पौधरोपण और प्रसाद वितरण

इटारसी। मां नर्मदा (Maa Narmada) की सेवा में लगे श्री समर्थ सद्गुरु (Shri Samarth Sadguru) दादागुरु के निराहार 1000 दिन 13 जुलाई को पूरे हो रहे हैं। दादा गुरु के अनुयायियों ने इस उपलक्ष्य में मां नर्मदा के विवेकानंद घाट (Vivekananda Ghat) पर दीप यज्ञ, पौधरोपण और प्रसादी का आयोजन किया है। समिति ने सभी नर्मदापुरम (Narmadapuram) वासियों को इस आयोजन में आमंत्रित किया है।

अवधूत दादागुरु के अखण्ड निराहार महाव्रत साधना के1000 दिन पूर्ण होना किसी आश्चर्य से कम नहीं। अकल्पनीय निर्विकार जीवंत सत्य को प्रकट करता 13 जुलाई 2023 का यह दिन तिथियों के लेखापत्र पर इस सदी की सबसे कठिनतम, अकल्पनीय प्रकृति, पर्यावरण की निर्विकार निष्काम सेवा साधना का इतिहास बन जायेगा। 13 जुलाई को अवधूत सिद्ध महायोगी समर्थ श्री दादागुरु के अखण्ड निराहार महाव्रत के 1000 दिन पूर्ण रहे हैं। प्रकृति केंद्रित जीवनशैली, व्यवस्था और विकास नर्मदा प्रकृति संरक्षण संवर्धन के साथ आत्मनिर्भर भारत की आदर्श जीवंत मिसाल बना है, दादागुरु का यह महाव्रत।
मां नर्मदा केंद्रित प्रकृति पर्यावरण साधना, रक्षा, सुरक्षा के लिए 17 अक्टूबर 2020 से दादागुरु ने आरंभ किया था निराहार सत्याग्रह महाव्रत। सिर्फ मां नर्मदा का अमृततुल्य जल ग्रहण कर दादागुरु ने मां नर्मदा के अमृतमयी जल की जीवंत समर्थता और जीवन शक्ति को देश दुनिया के समक्ष चरितार्थ किया है। ज्ञान विज्ञान को चुनौती देता दादागुरु का यह अखंड निराहार महाव्रत देश दुनिया के लिए शोध का विषय बन चुका है।

यह एक जीवंत सत्य है जिसने मानवीय जीवन की समस्त अवधारणाओं को आश्चर्यचकित कर दिया है। यह इस सदी का सबसे बड़ा रहस्य भी है। साथ ही किसी महायोगी द्वारा की जा रही यह प्रथम ऐसी निष्काम साधना है जो प्रकृति पर्यावरण, नदियों जल मिट्टी धर्म धरा धेनु के संरक्षण संवर्धन के लिए है ।

सदी की अकल्पनीय यात्रा में निकले महायोगी दादागुरु का महाव्रत ज्ञान विज्ञान की जड़ों को हिला चुका है। चूंकि जीवन जीने के सभी मानवीय आधारों को छोछ़ दादागुरु अनवरत चल रहे हैं। कोई माने या ना माने, न ऐसा कभी हुआ ह,ै ना ऐसा कभी होगा। यह एक अकल्पनीय जीवंत सत्य है। इस निर्विकार निष्काम सेवा साधना की प्रामाणिकता देखिये इन 1000 दिनों की साधना यात्रा में दादागुरु ने प्रकृति पर्यावरण मां नर्मदा के संरक्षण संवर्धन को लक्ष्य कर निराहार रहकर 3200 किमी की मां नर्मदा की पैदल परिक्रमा पूर्ण की है। अभी तक लगभग 2 लाख किलोमीटर की जन जागरण यात्रा पूर्ण कर चुके हैं दादा गुरु। भारत के अनेक राज्य जिसमें दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, उड़ीसा, उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल में दादागुरु का भ्रमण हो चुका है। दादागुरु ने महाव्रत के दौरान तीन बार रक्तदान कर ज्ञान विज्ञान की जड़ों को हिला दिया है।

आइए 13 जुलाई को अपने गांव नगर स्थानों में प्रकृति प्रेमी दादा गुरु के अखंड निराहार महाव्रत के 1000 में दिन में हम भी महायोगी के जीवंत संदेश को आत्मसात करते हुए अपनी सामूहिक आस्था को प्रकट करें और सबसे बेहतर सुरक्षित जीवन के लिए कदम बढ़ाए ंक्योंकि यह अस्तित्व को बचाने की मुहिम है। इसके लिए यथासंभव देव वृक्ष मूर्तियों को स्थापित करें औऱ उन्हें संरक्षित करें। मां नर्मदा तट और पवित्र नदियों के पथ पर या प्रमुख तीर्थ स्थलों में महा आरती पूजन कीर्तन सुंदरकांड या रामचरितमानस का पाठ करें। अथवा गांव नगर में जन जागरण यात्रा निकालें। स्कूल कॉलेज में संवाद करें शिव स्वरूप वृक्ष मूर्तियों का अपने स्थानों पर वितरण करें।

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