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सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी : एक खूबसूरत हिल स्टेशन Free Tourist Guide 2022

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पचमढ़ी मध्य भारत में मध्यप्रदेश राज्य के नर्मदापुरम जिले में बसा एक सुंदर हिल स्टेशन है। यह ब्रिटिश राज के बाद एक छावनी (पचमढ़ी छावनी) का स्थान रहा है। यहां मध्य प्रदेश और सतपुड़ा रेंज का सबसे ऊंचा बिंदु धूपगढ़ (1-352 मीटर) स्थित है, जो कि पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व का एक हिस्सा है। श्री पांच पांडव गुफा, जटाशंकर, सतपुड़ा राष्ट्रीय अभयारण्य, घने जंगल, कल कल करते जलप्रपात और तालाब यहां के मुख्य आकर्षण है।
पचमढ़ी की खोज का श्रेय डी एच गार्डन नामक विद्वान को जाता है।

सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी : एक खूबसूरत हिल स्टेशन

पचमढ़ी प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 190 किलोमीटर दूरी पर है। समुद्र तल से 1067 मीटर की ऊँचाई पर यह खूबसूरत हिल स्टेशन है। सतपुड़ा श्रेणियों के बीच में बसे होने और अपने सुंदर स्थलों के कारण इसे सतपुड़ा की रानी भी कहा जाता है। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान का भाग होने के कारण यहाँ आसपास बहुत घने जंगल होने से यहाँ के जंगलों में शेर, तेंदुआ, सांभर, चीतल, गौर चिंकारा,भालू, भैंसा तथा कई अन्य जंगली जानवर मिलते हैं। यहाँ की गुफाएँ पुरातात्विक महत्व की हैं क्योंकि यहाँ गुफाओं में शैलचित्र भी मिले हैं।

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कैसे रखा पचमढ़ी नाम

माना जाता है कि पचमढ़ी का नाम हिंदी शब्द पंच (पांच) और मढ़ी (गुफाओं) से लिया गया है। एक पौराणिक कथा के अनुसार पचमढ़ी में गुफाओं को महाभारत युग के पांच पांडव भाइयों ने अपने तेरह वर्ष के निर्वासन के दौरान बनाया गया था जो पचमढ़ी के दर्शनीय स्थल में से एक है।

पचमढ़ी का इतिहास

ब्रिटिश आगमन के समय पचमढ़ी क्षेत्र गोंड राजा भभूत सिंह के राज्य में था हालांकि उस समय यह एक कम आबादी वाला गांव या शहर था। सूबेदार मेजर नाथू रामजी पोवार के साथ ब्रिटिश सेना के कप्तान जेम्स फोर्सिथ जिन्हें बाद में कोटवाल बनाया गया। इन दोनों ने मिलकर सन 1857 में पचमढ़ी के पहाड़ों की खोज, अपनी झांसी की यात्रा के दौरान की थी। पचमढ़ी के दर्शनीय स्थल तेजी से भारत के केंद्रीय प्रांतों के रूप में विकसित हुआ और यहां ब्रिटिश सैनिकों के लिए हिल स्टेशन और सैनिटेरियम बनाये गए है ।

कैसे पहुंचे पचमढ़ी

पचमढ़ी एक खूबसूरत पर्यटक स्थल होने के कारण यह सड़क, रेल और वायुमार्ग से जुड़ा हुआ है। आप किसी भी माध्यम से यहां आसानी से पहुंच सकते है। इसके अतिरिक्त यहां ठहरने के लिए भी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
पचमढ़ी पिपरिया तहसील में पिपरिया-पचमढ़ी मार्ग पर, तहसील मुख्यालय से 54 किमी की दूरी पर स्थित है। मध्य रेलवे की इटारसी-जबलपुर रेलमार्ग पर स्थित पिपरिया रेलवे स्टेशन से पचमढ़ी सड़क मार्ग पर यह लगभग 52 किमी दूर है। वहीँ भोपाल से पचमढ़ी की दूरी लगभग 204 किमी है जहां से नियमित बसें चलती हैं।

रेल मार्ग द्वारा

47 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पिपरिया निकटतम रेलवे स्टेशन है। पिपरिया मुम्बई-हावड़ा मार्ग पर स्थित है। यहां से पंचमढ़ी पहुंचने के लिए टैक्सी या बसों की सेवाएं ली जा सकती हैं।

सड़क मार्ग द्वारा

पचमढ़ी सड़क मार्ग द्वारा भोपाल, इंदौर, नागपुर, होशंगाबाद, पिपरिया तथा छिंदवाड़ा से सीधा जुड़ा है। यदि आप टैक्सी से जाना चाहें तो यह पिपरिया से भी उपलब्ध रहती हैं।

हवाई मार्ग द्वारा

भोपाल हवाई अड्डे के द्वारा आप पचमढ़ी पहुँच सकते हैं और भोपाल हवाई अड्डा जबलपुर, इंदौर, मुंबई, दिल्ली, ग्वालियर, रायपुर से जुड़ा है।
पचमढी में इन् स्थानों पर जरुर घूमें
प्रियदर्शिनी प्वाइंट
यहां से सूर्यास्त का दृश्य बहुत ही सुंदर लगता है। यह सतपुड़ा की पहाड़ियों का सबसे ऊंचा प्वाइंट है। इसी स्थान से कैप्टन जेम्स फोरसिथ ने 1857 में इस खूबसूरत हिल स्टेशन की खोज की गई थी। इस प्वाइंट का मूल नाम फोरसिथ प्वाइंट था लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर प्रियदर्शिनी प्वाइंट रख दिया गया। तीन पहाड़ी शिखर यहाँ से दिखाई देते हैं जिसमें बायीं तरफ चैरादेव, बीच में महादेव तथा दायीं ओर धूपगढ़ दिखाई देते हैं। इनमें धूपगढ़ सबसे ऊँची चोटी है।

जटाशंकर (Jatashankar)

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पचमढ़ी नगर से डेढ किलोमीटर की दूरी पर स्थित जटाशंकर एक पवित्र गुफा है इसके ऊपर एक बिना किसी सहार का झूलता हुआ विशाल शिलाखंड रखा है। यहां शिव का एक प्राकृतिक शिवलिंग बना हुआ है। जटाशंकर मार्ग पर एक हनुमान मंदिर है जहां हनुमान की मूर्ति एक शिलाखंड पर उकेरी गई है। जटाशंकर गुफा के नजदीक ही हारपर्स गुफा है।
महादेव गुफा
यह शंकर जी की एक पवित्र गुफा है। यहाँ तक पहुँचने के लिए कुछ दूर तक पैदल यात्रा करनी पड़ती है। यह गुफा 30 मीटर लंबी है और यहां सदैव पानी बहता रहता है। कहा जाता है कि भस्मासुर से बचने के लिए भगवान शिव यहीं पर छिपे थे। भगवान शिव ने भस्मासुर को वरदान दिया था कि वह जिस के सिर पर हाथ रख देगा वह भस्म हो जाएगा। शिवरात्रि यहां पूर जोश के साथ मनाई जाती है। महादेव पहुंचने का मार्ग काफी दुर्गम है।

चौरागढ़ (Chauragarh Shiv Temple)

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महादेव से 4 किलोमीटर की खड़ी चढाई से चौरागढ़ पहुंचा जा सकता है। पहाड़ी के आयताकार शिखर पर एक मंदिर है जहां भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित है। भगवान शिव को त्रिशूल भेंट करने के लिए श्रद्धालु बड़े जोश के साथ मंदिर जाते हैं। यहां एक धर्मशाला भी बनी है।

पांडव गुफा (Pandav Gufa )

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पुरातत्वविद मानते है कि महाभारत काल की मानी जाने वाली पाँच गुफाएँ यहीं हैं जिनमें द्रौपदी कोठरी और भीम कोठरी प्रमुख हैं। यह भी कहा जाता है कि ये गुफाएँ गुप्तकाल की हैं जिन्हें बौद्ध भिक्षुओं ने बनवाया था।
अप्सरा विहार या परी ताल
इस तालाब को पचमढ़ी का सबसे सुन्दर ताल माना जाता है। पांडव गुफा के साथ ही अप्सरा विहार या परी ताल को मार्ग जाता है जहां पैदल ही पहुंचा जा सकता है। यह तालाब एक छोटे झरने से बना है जो 30 फीट ऊंचा है। अधिक गहरा न होने की वजह से यह तालाब तैराकी और ग़ोताख़ोरी के लिए उपयुक्त है।

रजत प्रपात (Rajat Prapat)

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यह जल प्रपात 350 फुट की ऊँचाई से गिरता, एकदम दूधिया चाँदी की तरह दिखाई पड़ता है। यह अप्सरा विहार से आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

बी फॉल (BEE Fall)

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यह जमुना प्रपात के नाम से भी जाना जाता है। यह नगर से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पिकनिक मनाने के लिए यह एक अच्छी जगह है।
राजेंद्र गिरि
सन 1953 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद स्वास्थ्य लाभ के लिए यहाँ आकर रुके थे इसलिये इस पहाड़ी का नाम राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद के नाम पर रखा गया है। उनके ठहरने के यहां रवि शंकर भवन बनवाया गया था। इस भवन के चारों ओर प्रकृति की असीम सुंदरता बिखरी पड़ी है।

हांडी खोह (Handi khoh)

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यह खाई पचमढ़ी की सबसे गहरी खाई है जो 300 फीट गहरी है। यह घने जंगलों से ढँकी है और यहाँ कल-कल बहते पानी की आवाज सुनना बहुत ही अच्छा लगता है। स्थानीय लोग इसे अंधी खोह भी कहते हैं जो अपने नाम को सार्थक करती है यहाँ बने रेलिंग प्लेटफार्म से घाटी का नजारा बहुत अच्छा दिखता है। पौराणिक संदर्भ के अनुसार भगवान शिव ने यहाँ एक बड़े राक्षस रूपी सर्प को चट्टान के नीचे दबाकर रखा था।

तामिया (Tamia)

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तामिया खूबसूरती के मामले में पचमढ़ी से कम नहीं है। तामिया पचमढ़ी से 81 किलोमीटर की दूरी पर है और यहां जीप या बसों के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। तामिया के सनसेट प्वाइंट में घंटों बैठकर सूर्यास्त की खूबसूरती देखी जा सकती है। सतपुड़ी की पहाड़ियों यहां अपने सुन्दरतम रूप में दिखाई देती हैं।

जलवायु कैसी है

सतपुड़ा के घने जंगलों से घिरा यह रमणीय स्थल इसके मौसम के कारण ही अपनी अलग पहचान बनायें है। यहां की सदाबहार हरियाली घास और हर्रा, जामुन, साज, साल, चीड़, देवदारू, सफेद ओक, यूकेलिप्टस, गुलमोहर, जेकेरेंडा और अन्य छोटे-बडे सघन वृक्षों से भरे वन गलियारों तथा घाटियों के कारण दृश्य मनमोहक है। ठंडा सुहावना मौसम पचमढ़ी की सबसे बड़ी विशेषता है। सर्दियों के मौसम में यहां तापमान लगभग 3-4 डिग्री सेग्रे रहता है लेकिन मई-जून के महीनों में जब मप्र के अन्य भागों में तापमान 45 डिसे तक पहुंच जाता है, पचमढ़ी में 36 डिसे से अधिक नहीं होता। इस कारण यहां गर्मियों में पर्यटकों की बहुत भीड़ होती है।

पचमढी घूमने का स्थान एवं किराया

सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेश शुल्क के लिए
भारतीय पर्यटक- 250 रूपए लगभग
विदेशी पर्यटक- 500 रूपए लगभग
जीप सफारी के लिए अलग-अलग रेट हैं जो 2500 रूपये से शुरू होकर 7000 रूपये जाती हैं।

पचमढ़ी में रहने और खाने की जानकारी

इस खूबसूरत हिल स्टेशन पर खाने और रहने की न्यूनतम से अधिकतम रेट पर उत्तम व्यवस्था है जिसे आप आनलाईन पहले ही बुक कर सकते है या आप जब स्वयं पचमढ़ी पहुंचकर भी बुक कर सकते हैं।

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