---Advertisement---
City Center
Click to rate this post!
[Total: 0 Average: 0]

जहां संस्कृत, उन घरों में होती है संस्कृति

By
On:
Follow Us

नर्मदापुरम। गुरुवार से आदि शंकराचार्य (Adi Shankaracharya) की जयंती पर 7 दिवसीय संस्कृत संभाषण शिविर (Sanskrit Speech Camp) का आयोजन सुबह 9 बजे से कृषि मंडी के पास मणिद्वीप भवन (Manidweep Bhawan) में हुआ।
संस्कृत शिविर की शुरूआत स्वस्तिवाचन और श्री गणेश वंदना (Shri Ganesh Vandana) से हुई। संस्कृत प्रशिक्षक कांची परसाई (Sanskrit Instructor Kanchi Parsai) ने पहले दिन संस्कृत में परिचय को समझाया। इस दौरान संस्कृत संभाषण शिविर में 6 वर्ष से लेकर 60 वर्ष आयु वर्ग के 50 से अधिक विद्यार्थी संस्कृत सीखने पहुंचे। प्रशिक्षक कांची ने सरल शब्दों में संस्कृत में बताया कि अब आपको घर में माता-पिता और परिवार अन्य सदस्यों से संस्कृत में अभिवादन करना है। जैसे कि माता-पिता से सुबह उठकर शुभप्रभात, दोपहर में शुभ मध्यान और रात्रि में शुभरात्रि आदि संस्कृत के शब्दों जीवन में उतारना है। उन्होंने अत्र, कुत्र, अन्यत्र और सर्वत्र को सरल शब्दों में समझाया। आज दौर अंग्रेजी शब्द हेलो-हाय को छोड़कर हमें किसी को संबोधित करते हुए नमो-नम: या जय श्री राम, राधे-राधे, जय माता दी बोलना चाहिए। शिविर में पहले दिन संस्कृत भाषा में प्रवेश कराया शुक्रवार से वाक्यवाली शुरू की जायेगी।

27 को उपनयन संस्कार का कार्यक्रम

आचार्य परसाई ने बताया कि 27 मई को नि:शुल्क उपनयन (जनेऊ) संस्कार होगा। आचार्य सोमेश परसाई (Acharya Somesh Parsai) ने संस्कृत संभाषण शिविर में बताया कि जिनके घरों में संस्कृत होती है, उनके घरों में संस्कृति होती है। जिस प्रकार हम प्रार्थना करते हैं कि सर्वे भवंतु सुखिन: इसका तात्पर्य है कि हमने प्रार्थना केवल भारत की नहीं अपितु अखिल विश्व के लिये की है। जिनके घर मे संस्कृत वाणी, भगवान की वाणी और देव वाणी बोली जाती है। उनके घरों में अपराध नहीं होते है। जो व्यक्ति देव वाणी संस्कृत में वार्तालाप करता है उनके घरों में शांति आ जाती हैं।

उत्पत्ति भगवान शिव के डमरू से हुई

संस्कृत भाषा की उत्पत्ति भगवान शिव के डमरू से हुई है। जब भगवान शंकर ने डमरू का 9 और 5 बार नांद किया तब संस्कृत की उत्पत्ति हुई। भगवान शिव (Lord Shiva) की देव वाणी से सभी भाषा की उत्पत्ति हुई है। इसलिये सब भाषाओं की जननी संस्कृत भाषा ही है। आचार्य परसाई ने बताया कि भाषा कोई बुरी नहीं होती किंतु हमारी आत्मा में संस्कृत और संस्कृति बसी रहे तो हमारी संस्कृति बची रहेगी।

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

For Feedback - info[@]narmadanchal.com
Join Our WhatsApp Channel
Advertisement

Leave a Comment

error: Content is protected !!
Narmadanchal News
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.