क्यों मनाई जाती हैं गुरु पूर्णिमा, जाने इतिहास और महत्व सम्पूर्ण जानकारी…
गुरू पूर्णिमा इतिहास (Guru Purnima History)
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन शिव पहले आदि गुरु बने थे। जब शिव पहली बार हिमालय में प्रकट हुए, तो किसी को उनके बारे में कुछ नहीं पता था। उसके अनोखे रूप को देखकर लोग डरने लगें और सात लोगों को छोड़कर सभी लोग चले जाते हैं। वह सात पुरुष शिव के बारे में जानना चाहते थे। तभी उन्होंने शिव को उनके बारे मे बताने को कहा, थोड़ा सा विरोध करने के बाद शिव मान गए और उन्हें सब बताया और उनसे साधना करने के लिए कहा।
84 वर्ष की साधना के बाद सातों पुरुष गुरू के रूप मे तैयार हो गये। इसके अगले दिन पूर्णिमा का दिन था। तब शिव ने सात पुरुषों के सामने बैठे और उन्हें जीवन के सत्य के बारे में बताया इसलिए ही भगवान शिव को पहला गुरू माना जाता हैं।
यह भी माना जाता हैं कि महाभारत के महान ऋषि और लेखक, ऋषि वेद व्यास का जन्म गुरु पूर्णिमा के दिन हुआ था। उन्होंने गुरु पूर्णिमा के दिन ही ब्रह्मसूत्रों की रचना की थी। इसलिए गुरू पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता हैं।
गुरु पूर्णिमा 2022 में कब हैं (When Is Guru Purnima In 2022)
- इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई 2022 को मनाई जायेगी
गुरू पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Guru Purnima Auspicious Time)
पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ: | 13 जुलाई 2022, दिन बुधवार को प्रात: काल 04:00 बजे |
पूर्णिमा तिथि का समाप्त: | जुलाई 14 की रात 12 बजकर 06 मिनट पर |
गुरू शब्द का क्या अर्थ (What Is The Meaning of The Word Guru)
गुरु शब्द का अर्थ होता हैंं। अंधकार को मिटाने वाला।
गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती हैं (Why is Guru Purnima Celebrated)
गुरू पूर्णिमा गुरु के सम्मान और सत्कार के लिए मनाई जाती हैं। हिन्दू धर्म में भगवान के ऊपर गुरु के महत्व को बताया गया हैं क्योंकि भगवान के बारे मे हमें गुरु ने ही बताया हैं। यह माना जाता हैं कि अच्छे, बुरे संस्कारों धर्म, अधर्म का ज्ञान पूरे विश्व में गुरु के द्वारा ही अपने शिष्यों को दिया जाता हैं।
इसी उद्देश्य को पूरा करते हुए गुरु पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाता हैंं। और इस दिन गुरु की उपासना की जाती हैं। हिंदू धर्म में यह मान्यता हैं कि मनुष्य को अपने जीवन में एक बार गुरु दक्षिणा जरूर लेनी चाहियें और गुरु द्वारा कहे गए आचरण का पालन करना चाहिए। जिससे मनुष्य के जीवन में अच्छा मार्गदर्शन प्राप्त हो सकें।
गुरु पूर्णिमा का महत्व (Significance of Guru Purnima)
हिंदू शास्त्रों के अनुसार वेद व्यास,भूत, वर्तमान, भविष्य सभी काल के बारे में जानते थे। उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से देखा कि भविष्य में लोगों की धर्म के प्रति रुचि समाप्त हो जाएगी। जिससे मनुष्य भगवान पर कम विश्वास करेगा। ऐसा व्यक्ति आसानी से पूरे वेद को नहीं पढ़ सकता। इसलिए महर्षि व्यास ने वेदों को 4 भागों में विभाजित किया उनके नाम हैं ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद रखा। और इन चारों वेदों का ज्ञान अपने शिष्यों वैशम्पायन, सुमंतमुनि, पेल और जैमिन को दिया।
यह ज्ञान काफी रहस्यमय और कठिन था इसलिए उन्होंने पुराणों को पांचवें वेद के रूप में बनाया। इन पुराणों में उन्होंने वेदों के ज्ञान को रोचक कथाओं के रूप में समझाया गया हैं। महर्षि व्यास हमारे प्राचीन गुरु माने जाते हैं। गुरु पूर्णिमा के इस प्रसिद्ध त्योहार को व्यास जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता हैं। इसलिए हम इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं। हमें अपने गुरुओं को व्यास जी का अंग मानकर उनकी पूजा करनी चाहिए।
गुरु पूर्णिमा मंत्र (Guru Purnima Mantra)
- गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, का के लागूं पाय। बलिहारी गुरु आपणे, गोबिंद दियो मिलाय।।
- गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:। गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:।।
- ॐ गुरुभ्यो नम:।
- ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:।
- ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।
- ॐ गुं गुरुभ्यो नम:।
गुरु का हमारे जीवन में क्या महत्व हैं (What Is The Importance of Guru In our Life)
गुरु ही शिष्य काेे सही मार्गदर्शन देते हैं और गुरू ही जीवन को ऊर्जामय बनाते हैं। जीवन विकास के लिए भारतीय संस्कृति में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई हैं। गुरु की सन्निधि, प्रवचन, आशीर्वाद और अनुग्रह जिसे भी भाग्य से मिल जाए उसका तो जीवन कृतार्थता से भर उठता हैं। क्योंकि गुरु बिना न आत्म-दर्शन होता और न परमात्म-दर्शन।
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गुरु पूर्णिमा कैसे मनाई जाती हैं (How is Guru Purnima Celebrated)
- इस दिन केवल गुरु ही नहीं, बल्कि परिवार के बड़ों माता-पिता, भाई-बहन आदि को भी गुरु के समान माना जाता हैं।
- इस दिन विद्यार्थीयों के द्वारा गुरूओं का विशेष सम्मान किया जाता हैं।
- यह दिन गुरु से मंत्र प्राप्त करने के लिए शुभ होता हैं।
- इस दिन गुरुओं की सेवा की जाती हैं।
गुरु पूर्णिमा पूजा विधि (Guru Purnima Puja Method)
- इस दिन जल्दी उठें और दैनिक दिनचर्या के कार्य जैसे स्नान, पूजा आदि करें।
- इसके बाद व्यास जी की प्रतिमा पर पुष्प एवं सुगन्ध की माला चढ़ाएं और फिर अपने गुरु के दर्शन करें।
- अपने गुरु को किसी कुर्सी पर बिठाएं और फिर माला चढ़ाएं।
- उसके बाद अपने गुरु को वस्त्र, फल, फूल, माला और दक्षिणा कुछ रुपयों के रूप में अर्पित करें और फिर उनका आशीर्वाद लें।
- सिख समाज के लोग इस दिन गुरुद्वारे जाकर कीर्तन एवं पाठ पूजा करते हैं।
- गुरु पूर्णिमा के दिन कई लोग उपवास भी रखते हैं। जिसमें एक वक्त भोजन एवं एक वक्त फलाहार आदि का नियम का पालन किया जाता हैं।
- गुरु पूर्णिमा के दिन दान दक्षिणा का आयोजन भी किया जाता हैं।
- खास तौर पर गुरु का सम्मान कर उनका पूजन करने की प्रथा हैं।
गुरु पूर्णिमा उपाय (Guru Purnima Remedy)
पौराणिक मान्यता के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन छोटे-छोटे उपाय करने से परिवार में सुख समृद्धि आती हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन जरूरतमंद लोगों को पीला अनाज पीले वस्त्र और मिठाई का भोग लगाकर दान करने से आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती हैं।
भगवान विष्णु की सच्चे मन से आराधना और इस दिन अनाज का दान करने से कुंडली के गुरु दोष समाप्त होते हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह स्नानादि के बाद घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक का निशान बनाए और पूजास्थल पर दीपक जलाएं इससे गृह क्लेश दूर होकर सुख समृद्धि बनी रहती हैं।