इटारसी। संसार में आने वाले मानव को चाहिये कि वह जीवन में हमेशा विनम्रता बनाये रखे, कभी भी किसी बात का या किसी उपलब्धि का अहंकार न करे। क्योंकि अहंकार बुद्धि को नष्ट कर देता है।
उक्त उद्गार नर्मदांचल के कथा वाचक जगदीश पांडेय ने मालवीय नगर कालोनी नयायार्ड में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा समारोह के तृतीय दिवस में उपस्थित श्रोताओं को राजाबलि एवं भगवान वामन प्रसंग की कथा श्रवण कराते हुए व्यक्त किए। श्री पांडे जी ने कहा कि इस मानव जीवन में व्यक्ति कितना ही धनवान, बलवान या बुद्धिमान क्यों न हो उसे अहंकार कभी नहीं करना चाहिये क्योंकि अहंकार मानव की बुद्धि को नष्ट कर देता है और फिर वह सभी को अपने से कमजोर आंकने लगता है। जैसा की राजा बलि ने अहंकार वश वामन स्वरूप में उनके समक्ष खड़े परमात्मा श्री हरि को भी महज एक छोटे से ब्राह्मण्र के रूप मे देखा, जिसका परिणाम यह हुआ की भगवान तीन पग जमीन में ही पृथ्वी आसमान के साथ-साथ उसके अंहकार को भी नाप दिया और यह संदेश दिया कि जीवन में हमेशा स्वयं को विनम्र स्वरूप बनाये रखना चाहिये। श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में शनिवार को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से सचित्र झांकी के साथ मनाया जायेगा।
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अहंकार बुद्धि को नष्ट कर देता है : पांडे
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