कलेक्टर ने अपने सामने निकलवाए दीवारों से मकड़ी के जाले

Post by: Manju Thakur

इटारसी। डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी शासकीय चिकित्सालय में लंबे समय के बाद निरीक्षण पर आए कलेक्टर ने यहां आकर व्यवस्थाएं देखीं। अस्पताल की व्यवस्थाओं में पहले की तरह सुधार तो दिखा। लेकिन, डॉक्टर्स, स्टाफ नर्स, वार्डबॉय, स्वीपर की कार्यप्रणाली से वे संतुष्ट नहीं दिखे। उन्होंने सबको सुधार की हिदायत दी है।
कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने बुधवार को दोपहर यहां शासकीय अस्पताल का निरीक्षण किया। कलेक्टर के साथ एसडीओ राजस्व हरेन्द्रनारायण भी थे। निरीक्षण के वक्त अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एके शिवानी, लोक निर्माण विभाग के सब इंजीनियर एके मेहतो, प्रभारी मंत्री प्रतिनिधि संजू मिहानी, एमजीएम कालेज में जनभागीदारी समिति अध्यक्ष राजकुमार उपाध्याय, नगर कांग्रेस अध्यक्ष पंकज राठौर भी थे।

अपने सामने निकलवाए जाले
कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह और एसडीएम हरेन्द्र नारायण जब निरीक्षण करते हुए सीटी स्कैन और एक्सरे मशीन वाले भवन में पहुंचे तो दीवार और छत पर बड़ी मात्रा में लगे मकड़ी के जाले देखकर नाराज हो गये। उन्होंने तत्काल पूछा कि यहां कौन कर्मचारी तैनात है? कर्मचारी को तत्काल बुलाया और अपने सामने जाले निकलवाये। कलेक्टर ने दोबारा इस तरह की लापरवाही मिलने पर कार्रवाई की बात कही। जैसे ही कलेक्टर ने जाले देखकर कर्मचारी का पूछा तो साथ चले रहा अस्पताल स्टाफ सकते में आ गया।

अभी हम केवल समझा रहे हैं
कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने कहा कि वे यहां व्यवस्था देखने आए थे। सुधार तो दिखा है। पुरानी बिल्डिंग के एक वार्ड का रेनोवेशन किया है। नीचे के वार्ड में सुधार कार्य जारी है। कुछ पुराने वार्डों को भी देखा है और व्यवस्था में सुधार के लिए अस्पताल अधीक्षक को कहा है। बता दें कि कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने इटारसी के सरकारी अस्पताल में सुधार की मुहिम छेड़ रखी है और वे समय-समय पर यहां आकर व्यवस्था में बदलाव की जानकारी लेते रहते हैं। कलेक्टर का आज का निरीक्षण भी इसी का एक हिस्सा था।

व्यवस्थाएं ठीक होंगी
डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी शासकीय अस्पताल में तीन नये डाक्टर आ चुके हैं। नये चिकित्सक मिलने से यहां डॉक्टर्स की कमी से काफी हद तक निजात तो मिल जाएगी। लेकिन, जिन विशेषज्ञ चिकित्सकों की जरूरत है, उनकी कमी अब भी बनी हुई है। दरअसल इस अस्पताल को एमडी मेडिसिन और सर्जन की बहुत ज्यादा जरूरत है। यहां बेहतरीन ऑपरेशन थिएटर है, लेकिन सर्जन नहीं होने के कारण कोई बड़ी शल्य क्रिया यहां नहीं की जाती है। ऐसे मरीजों को यहां से जिला अस्पताल में रेफर किया जाता है।

कुछ नाराजी भी रही दौरे में
कलेक्टर ने जिस तरह से डाक्टर्स, स्टाफ नर्सेस, वार्डबॉय और स्वीपर को कार्यप्रणाली में सुधार लाने की हिदायत दी है, उससे जाहिर है, कि वे नाराज थे। दरअसल, डॉक्टर्स सहित नर्सेस, वार्डबॉय और स्वीपर की यहां काम नहीं करने की शिकायतें मिलती हैं। आज कलेक्टर जब निरीक्षण पर आये तो नर्सों ने संविदा पर कार्यरत एक नर्से की नाइट ड्यूटी नहीं करने की शिकायत कर दी। पता किया तो वह बीमार थी और उसने सीएमएचओ से बीमार होने के कारण कुछ दिनों तक नाइट ड्यूटी से राहत मांगी है।

ये बोले कलेक्टर…!
कुछ व्यवस्थाएं देखने आया था। कुछ नये डाक्टर भी आये हैं तो व्यवस्थाएं ठीक होंगी। कुछ स्टाफ के लोगों को कहा है कि वे मानवता को सामने रखकर कार्य करेंगे तो बेहतर होगा। अभी उनको समझाईश दे रहे हैं। कार्यप्रणाली में बदलाव नहीं किया तो फिर हम कार्रवाई भी करेंगे।
शीलेन्द्र सिंह, कलेक्टर

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