सैंकड़ों आदिवासी पानी की समस्या लेकर पहुंचे कलेक्टर के पास
इटारसी। केसला ब्लाक की सत्रह ग्राम पंचायतों के आदिवासी और अन्य ग्रामीणों ने मंगलवार को जिला मुख्यालय पर जाकर कलेक्टर को ज्ञापन दिया और केसला ब्लाक को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की। ग्रामीणों का कहना है कि केसला में पानी की समस्या के कारण दो वर्ष से लोग खेती नहीं कर पा रहे हैं।
केसला ब्लाक में पेयजल और खेती के लिए पानी की मारामारी हो गयी है। न तो खेत के लिए पानी है और ना ही मवेशियों की प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त जल की व्यवस्था है। मनुष्य को भी अपना गला तर करने के लिए दो-दो किलोमीटर दूर जाकर पानी का इंतजाम करना पड़ रहा है। दो वर्ष से पानी को लेकर परेशानी करीब सत्रह ग्राम पंचायत के ग्रामीणों ने मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर केसला ब्लाक को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की। कलेक्टर आशीष सक्सेना ने आदिवासियों को आश्वस्त किया है कि नियमानुसार जो भी व्यवस्था होगी की जाएगी। ग्रामीणों ने कलेक्टर के समक्ष अपनी समस्या रखी। इस दौरान जिला पंचायत सदस्य तारा बरकड़े, पूर्व मंडी उपाध्यक्ष सोहन मालवीय सहित आदिवासी और अन्य ग्रामीण मौजूद थे।
ग्रामीणों का कहना है कि दो वर्ष से पानी नहीं मिलने से न तो खेती हो रही है और ना ही मवेशियों को पर्याप्त पानी मिल रहा है। यहां के तालाब, नदी, कुए सब सूख रहे हैं। दो वर्ष से लगातार मांग की जा रही है, लेकिन जिला प्रशासन से सिर्फ आश्वासन मिल रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि ब्लाक की अधिकांश पंचायतों में सूखा पड़ा है।
ये हैं ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों की मांग है कि केसला और पू्रफ रेंज को सूखाग्रस्त घोषित किया जाए, रोजगार की तत्काल योजना बनायी जाए और तालाबों का गहरीकरण किया जाए ताकि लोगों को तत्काल काम मिल सके। क्षेत्र में सिंचाई हेतु पानी की व्यवस्था करने विशेष योजना बनायी जाए, तालाबों का गहरीकरण करके भविष्य में पानी की व्यवस्था की जाए, केसला को तवा कमांड एरिया से बाहर किया जाए क्योंकि तवा कमांड के अंतर्गत मिलने वाली सुविधाओं का कोई फायदा नहीं मिल रहा है। जैसे प्राकृतिक आपदा में मिलने वाले नुकसान का मुआवजा पूर्ण रूप से नहीं मिल पाता है। वर्तमान में क्षेत्र में पानी की कमी के कारण फसल सूख रही है, उन सभी फसलों का सर्वे कराकर मुआवजा एवं बीमा दिया जाए, चांदकिया तालाब जिसका सर्वे हो चुका है, शीघ्र चालू कराएं एवं मालनखेड़ा डेम से पानी की व्यवस्था की जाए।
इनका कहना है…!
दो साल से सूखा पड़ा है, पिछले वर्ष भी ज्ञापन दिया था लेकिन जिला प्रशासन ने कोई ध्यान ही नहीं दिया। हम फिर से यहां अपनी मांग लेकर आए हैं। केसला और प्रूफ रेंज के सत्रह गांव से करीब तीन सौ ग्रामीण आए हैं।
राजेश मवासे, ग्रामीण
न तो मवेशियों के लिए पानी मिल रहा है और ना ही मनुष्यों के लिए। वर्षा की फसल ले लेते हैं, अब तो कुए का पानी भी सूख गया है। दो-दो किलोमीटर से पानी लाना पड़ रहा है।
सोमताबाई, आदिवासी
पिछले वर्ष भी पानी की परेशानी थी और इस वर्ष भी पानी नहीं मिलने से खेती नहीं हो पा रही है। हम यहां केसला और पू्रफ रेंज के गांवों को सूखाग्रस्त घोषित कराने की मांग लेकर आए हैं।
तारा बरकड़े, जिला पंचायत सदस्य
केसला के प्रूफ रेंज वाले क्षेत्र में तालाबों से करीब एक हजार एकड़ में खेती के लिए सिंचाई होती है। दो वर्ष से जलसंकट है, तालाब सूखे पड़े हंै। उनको गहरा करना चाहिए और क्षेत्र को सूखाग्रस्त घोषित करना चाहिए।
सोहन मालवीय, पूर्व मंडी उपाध्यक्ष
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केसला और प्रूफ रेंज को सूखाग्रस्त घोषित करें
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