- नरवाई को जलाकर हम हम उर्वरा भूमि का नुकसान कर रहे हैं : कलेक्टर
- विगत दस वर्षों से हमारे परिवार ने खेत में एक तिनका भी नहीं जलाया : दुबे
इटारसी। समीपस्थ ग्राम जमानी में आज उन्नत कृषक हेमंत दुबे, अश्वनी दुबे के सहयोग से कृषि विभाग ने नरवाई प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन किया। इस दौरान कृषि वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने उपस्थित एक सैंकड़ा से अधिक किसानों को नरवाई जलाने के बजाय सुपर सीडर जैसे कृषि यंत्रों का इस्तेमाल करने के बारे में बताया। वर्कशॉप में बताया कि सुपर सीडर से जुताई, बुवाई, और बीजों को ढंकने का काम एक साथ हो जाता है, इससे खेत तैयार करने की लागत कम होती है और समय की भी बचत होती है।
कार्यशाला में कलेक्टर सुश्री सोनिया मीणा, डिप्टी डायरेक्टर एग्रीकल्चर जेआर हेडाऊ विधायक प्रतिनिधि ब्रजकिशोर पटेल, उपसंचालक उद्यानिकी रीता उईके, सहायक कृषि यंत्री चंदनसिंह बरकड़े, जिला पंचायत सदस्य ज्योत्सना पटेल, जनपद पंचायत उपाध्यक्ष अर्चना मेहतो, कलाबाई कुमरे सरपंच ग्राम पंचायत जमानी, सुखराम कुमरे जनपद सदस्य ग्राम जमानी, कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर विनोद बेड़ा, डॉ. केके मिश्रा कृषि महाविद्यालय पवारखेड़ा, सहायक संचालक कृषि राजीव यादव, चेतन मातिखाये सहित प्रगतिशील किसान हेमंत दुबे ग्राम जमानी, रूपसिंह राजपूत ग्राम रोहना, राकेश गौर ग्राम धरमकुण्डी, शिवलता मेहता, साहबलाल मेहता ग्राम पथरोटा, कृषि विभाग के समस्त शासकीय सेवक एवं जिला नर्मदापुरम के विभिन्न विकासखंडों से आए हुए किसान बंधु उपस्थित रहे।
वर्कशॉप में बताया कि सुपर सीडर से बोनी करने पर अलग से कल्टीवेटर, रोटावेटर, और सीड ड्रिल की जरूरत नहीं पड़ती। नरवाई प्रबंधन के लिए अन्य यंत्र हैप्पी सीडर, रीपर कम बाइंडर, रोटावेटर, स्ट्रा रीपर, आदि की जानकारी भी दी गई। इस दौरान कलेक्टर सुश्री मीणा और अन्य किसानों के समक्ष सुपर सीडर का बुवाई में प्रदर्शन भी किया गया।

वर्कशॉप में कलेक्टर सुश्री सोनिया मीणा ने कहा कि नरवाई को खेत में जलाने से न सिर्फ हम हम उर्वरा भूमि का नुकसान कर रहे हैं बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम अधिकारी आपके जिले में न जाने कब तक रहेंगे, लेकिन आपको यहीं रहना है, इसी हवा में सांस लेना है। उन्होंने खेतों में कम से कम रसायन का प्रयोग करने का सुझाव देते हुए कहा कि इनसे कई जानलेवा बीमारियां होती हैं, हमारे जिले में कैंसर के मरीज बढ़े हैं, हमें इनसे बचना है। अपने परिवार, अपनी आगामी पीढ़ी की रक्षा आपको करना है।
नर्मदापुरम प्राकृतिक रूप से समृद्ध जिला है, यहां मां नर्मदा प्रवाहित होती है, सतपुड़ा के जंगल हैं, इसकी कृषि प्रधान जिले की पहचान है लेकिन, अब नरवाई जलाने जैसी भी पहचान बन गई है, नरवाई से होने वाले नुकसान से आप ही प्रभावित होते हैं, ऐसे में नरवाई का बेहतर प्रबंधन की आवश्यकता है।

उन्नत कृषक हेमंत दुबे ने कहा कि नरवाई जलाकर हम न सिर्फ भूमि पर दुराचार कर रहे हैं, बल्कि मानवता के खिलाफ भी काम कर रहे हैं। उन्होंने विगत वर्षों में ग्राम पांजराकलॉ में नरवाई की आग से हुई मौतों का जिक्र करते हुए कहा कि उस वक्त रोड पर चलता परिवार जलकर खत्म हो गया था, जिसकी कोई गलती नहीं थी। वह किसान नहीं बल्कि राहगीर थे जो अपने घर जा रहे थे। आग कोई भी लगाये हमें स्वीकार करना होगा कि हम इसके दोषी हैं, उन्होंने बताया कि उनके परिवार ने विगत दस वर्षों में एक भी तिनका अपने खेत में नहीं जलाया है।
उन्होंने बताया कि हम किचिन को जहरमुक्त करने की दिशा में काम कर रहे हैं, स्वयं भी बड़े रकबे में जैविक खेती कर रहे हैं और अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं। इस अवसर पर ग्राम रोहना के जैविक कृषक रूपसिंह राजपूत ने अपने जैविक खेती और नरवाई प्रबंधन के अनुभव साझा किये। डीडीए जेआर हेडाऊ और अन्य कृषि वैज्ञानिकों ने नरवाई प्रबंधन के विषय में तथा कृषि अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों ने कृषि यंत्रों के उपयोग के विषय में जानकारी प्रदान की।