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चांद को सूरज के सामने देखा सोलरव्यूअर से

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विज्ञान शिक्षक राजेश पाराशर ने ग्रहण का मिथक मिटाने किया सूर्यग्रहण अवलोकन कैंप
इटारसी। गुरुवार को सुबह 8 बजकर 10 मिनट पर सूरज का सामना हुआ अमावस्या के चंद्रमा से। इसने सूरज की किरणों को रोकना शुरू किया और 9:27 बजे सूरज की किरणों का अधिकतम रास्ता रोक लिया जिससे गोल दिखने वाला सूरज हंसियाकार दिखने लगा। सूरज, चंद्रमा और पृथ्वी के एक सीध में आने की यह घटना जिसे आंशिक सूर्यग्रहण कहते हैं, 11 बजकर 3 मिनट पर समाप्त हुई।
आंशिक सूर्यग्रहण की इस घटना का वैज्ञानिक अवलोकन कराने इटारसी के रेस्टहाउस परिसर में विज्ञान शिक्षक राजेश पाराशर ने सूर्यग्रहण अवलोकन कैम्प का आयोजन किया। इसमें सोलर फिल्टर युक्त शक्तिशाली टेलिस्कोप एवं 150 सोलर व्यूअर तथा अन्य उपकरण तथा पोस्टर रखे गये थे। इस कैंप में महिलाओं, बच्चों, युवाओं एवं व्यस्कों के एक बड़े समूह ने उपस्थित होकर अवलोकन किया एवं वैज्ञानिक जानकारी प्राप्त की। अनेक दर्शकों ने फिल्टरयुक्त टेलिस्कोप से फोटोग्राफी की। इस कैंप में राजेश पाराशर ने खजुराहो, चित्रकूट, अमरकंटक आदि स्थानों से पर्यटकों द्वारा सूर्यग्रहण से संबंधित प्रश्नों के ऑनलाईन उत्तर भी दिये।
आदित्य पाराशर एवं एमएस नरवरिया के समन्वयन में बच्चों के समूह ने हर दस मिनट पर ग्रहण की स्थिति का चित्रांकन किया। ग्रहण अवलोकन के लिये उपस्थित एके मेहतो, संजय शिल्पी एवं अन्य अतिथियों के हाथों बच्चों को मैडल प्रदान किये गये। लोक कलाकार सुरेश पटेल ने गीतों के माध्यम से ग्रहण का वैज्ञानिक प़क्ष प्रस्तुत किया। हरीश चौधरी, गौरव मालवीय, कैलाश पटैल ने टेलिस्कोप एवं सोलर फिल्टर का समंजन किया। इसमें गेंहू छन्नी की मदद से सैकड़ों हंसियाकार सूर्य के प्रतिबिम्ब पर्दे पर देख रोमांचित हो उठे। रितेश गिरि ने कठपुतली नृत्य से ग्रहण के मिथक को दूर करने का संदेश दिया। शिक्षक राजेश पाराशर ने बताया कि पृथ्वी से 15 करोड़ किमी दूर स्थित सूरज के सामने, 3 लाख 81 हजार किमी दूर स्थित चंद्रमा आ गया था। दूरी के इस बड़े अंतर से यह समझा जा सकता है कि सूर्य को ग्रसित करना एक मिथक है। यह घटना अगले साल हरियाणा के शहरों में वलयाकार सूर्यग्रहण के रूप में 21 जून को पुन: देखी जा सकेगी।

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