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जालम सिंह पटेल की सक्रियता से दोनों दलों में हलचल

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संदीप चतुर्वेदी, सोहागपुर। मौजूदा साल चुनावी है, ऐसे में भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) वर्गों को साधने में भी लगे हैं। सोहागपुर विधानसभा (Sohagpur Assembly) में जाति और धर्म बाहुल्य का प्रभाव चुनावी समीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा, जिसकी हलचल अभी से है। जिस प्रकार ज्येष्ठ मास की भीषण गर्मी के साथ खिलखिलाती राजनीति की वजह भले बदले मौसम के तेवर हों या फिर उज्जैन महाकाल में आंधी तूफान से मची अफरातफरी! सोहागपुर विधानसभा की राजनैतिक गलियारों में वर्तमान जनपद अध्यक्ष जालम सिंह पटेल (Jalam Singh Patel) की सक्रियता की चर्चाओं को तब और अधिक संबल मिलता है, जब कर्नाटक चुनाव से उत्साहित कांग्रेस फूंक-फूंक कर कदम और बयानबाजी कर रही हो।

जालम सिंह पटेल भले गुर्जर समाज (पिछड़ा वर्ग) से आते हैं, जो स्थानीय के साथ-साथ वर्ग विशेष की मांग भी है, लेकिन उनको सभी समाज का हित चिंतक भी कहा जाता है। वैसे तो सभी जानते हैं कि विधानसभा में भाजपा का चेहरा कौन हैं, लेकिन एन वक्त पर वर्तमान विधायक अपनी सीट बदलने की सोचें तो फिर सामाजिक गुणा-भाग और सक्रियता के आधार पर पार्टी आलाकमान जालम सिंह पटेल पर दाव खेल सकती है। दूसरा पहलू जिला पंचायत चुनाव, बाबई नगर पंचायत (Babai Nagar Panchayat) उपाध्यक्ष पद में भाजपा के सर्वेसर्वा ने सांठ-गांठ कर अपनी लाज बचाई थी। जिससे आम चर्चा है, मुखिया ही अप्रत्यक्ष तौर पर कांग्रेस के सदस्य को आसीन करने पर टिका हो तो फिर उससे अधिक उम्मीद क्या की जा सकती है।

ऐसे में वर्तमान विधायक ठाकुर विजयपाल सिंह (Thakur Vijaypal Singh) के लिए सोहागपुर विधानसभा की राह आसान नहीं होगी और यदि वह अपने उत्तराधिकारी के तौर पर किसी पर मोहर लगाएंगे तो संभावना है वह चेहरा जालम सिंह पटेल का हो? यदि उपरोक्त में से कोई सा भी समीकरण बनता है तो भाजपा में अंतर्कलह बढऩे के साथ-साथ कांग्रेस के लिए भी सिरदर्द बन जाएगा।
सूत्रों और अधिकांश हुए सर्वे के आधार पर कहीं न कहीं कांग्रेस गुर्जर समाज पर पुन: एकबार दांव खेलने के लिए मन बना चुकी है? यदि ऐसा हुआ और भाजपा से जालम सिंह पटेल की उम्मीदवारी बढ़ती हैं तो फिर जालम सिंह पटेल का कथन दूसरे समाज के सहयोग के बिना तो शादियां भी संभव नहीं हैं, उसमें भी सभी समाज का सहयोग वांछनीय रहता है, सिरमौर बनेगा।

लम सिंह पटेल की दावेदारी होने के पीछे उनकी पिछले कई सालों से अधिक सक्रियता, समाजिक, वैवाहिक, धार्मिक और राजनैतिक कार्यक्रमों में निरंरता बनी रहने के साथ शांत चिर, निर्विवाद व्यक्तित्व के रूप में हैं। जालम सिंह पटेल की दावेदारी होते ही दूसरा खेमा जो क्षेत्र में राजनीति का गर्भ गृह कहा जाता है, वह भी अपनी पुरजोर कोशिश करने में पीछे नहीं हटेगा, और आगामी दिनों में जनपद पंचायत अध्यक्ष पद के चुनावों की याद ताजा करा सकते हैं। हालांकि ऐसा कोई स्पष्ट संकेत फिलहाल तो नहीं है, लेकिन जालम सिंह पटेल की उम्मीदवारी से दोनों दलों में (संराव) हलचल तेज है। जिसकी खुशबू पान की दुकान, टी स्टाल और खाली पड़े प्रतीक्षालयों में आने लगी हैं। खैर छोडिय़े यह राजनीति हैं, इसमें पार्टियां वोटबैंक जाति के आधार पर भी बनाती हैं? हालांकि दोनों ही दलों के अन्य दावेदारों ने भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी हैं, और बढ़ती सक्रियता में विधान सभा में दम खम रखने वाली दो समाजें ब्राह्मण एवं पुरबिया अपना अस्तित्व खंगालने की कवायद कर सकते हैं।

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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