इटारसी। भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं आध्यात्मिक एवं व्यवहारिक ज्ञान प्रदान करती हैं। यह विचार नर्मदांचल क्षेत्र के कथा वाचक जगदीश पांडेय ने ग्राम सोनासांवरी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन श्रोताओं के समक्ष व्यक्त कियेे। कथा के पांचवे दिन आचार्यश्री पांडेय ने कहा कि परमात्मा श्री कृष्ण का जीवन ही कर्मयोगी स्वरूप में रहा है, लेकिन उनकी कुछ ऐसी लीलाएं हैं जो मानव जीवन को शिक्षाप्रद ज्ञान प्रदान करती हैं। इन्हीं में से एक बाल लीला भी है। बालकृष्ण ने वंदावन वासियों को व्यवहारिक ज्ञान के साथ ही अपने अधिकारों के प्रति सजग किया।
वृंदावन में स्थित यमुना जी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पवित्र यमुना नदी में गोपिकाएं अज्ञानतावश नि:वस्त्र स्नान करती थीं, बालकृष्ण उनके वस्त्र हरण कर कदम के वृक्ष पर बैठ गए। स्नान के पश्चात गोपियों ने देखा कि उनके वस्त्र नंद कुमार ने उठा लिए हैं तो उन्होंने बालकृष्ण से वस्त्र देने की विनती की। तब श्री कृष्ण ने गोपियों से कहा कि जल में वरूण देव का वास होता है, इसलिए कभी भी नदी तालाब में न तो नि:वस्त्र स्नान करना चाहिए और ना ही इसे प्रदूषित करना चाहिए। इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने गोप-गोपिकाओं को ही नहीं वरण संपूर्ण संसार को व्यवहारिक ज्ञान प्रदान किया है। कथा के छटवे दिन सोमवार को श्री कृष्ण रुकमणी विवाह का आयोजन किया जाएगा।
Click to rate this post!
[Total: 0 Average: 0]
ज्ञान प्रदान करती है श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं
For Feedback - info[@]narmadanchal.com