इटारसी। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली ने डेंगू बुखार से बचाव हेतु निर्देश जारी किए हैं। निर्देश में बताया है कि डेंगू बुखार में तीव्र बुखार एवं अत्यधिक शरीर दर्द तथा सिर दर्द होता है। डेंगू का बुखार यूरोप को छोड़कर पूरे विश्व में होता है तथा यह काफी लोगों को प्रभावित करता है। एक अनुमान के अनुसार पूरे विश्व में प्रतिवर्ष लगभग दो करोड़ लोग डेंगू बुखार की चपेट में आते हैं। डेंगू बुखार एडीज मच्छरों के काटने से होता है जो दिन में ही काटते हैं।
ये हैं डेंगू के लक्षण
डेंगू बुखार होने से मरीज को डंठ लगती है और अचानक तेज बुखार चढ़ता है, सिर एवं मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होता है, आंखों के पिछले भाग में दर्द होता है जो आंखों को दबाने या हिलाने से ओर भी बढ़ जाता है, अत्यधिक कमजोरी लगती है, भूख में कमी आ जाती है और जी मिचलाने लगता है। मुंह का स्वाद खराब हो जाता है, गले में हल्का सा दर्द होने लगता है, रोगी बेहद दुखी तथा बीमार महसूस करते हैं। रोगी के शरीर पर लाल रेसे हो जाते हैं, शरीर पर लाल गुलाबी दरोदे निकल सकते हैं। चेहरे, गर्दन तथा छाती पर बिसरित दानो की तरह के ददोरे हो सकते हैं। डेंगू बुखार की अवधि लगभग 5 से 7 दिन तक रहती है और रोगी ठीक हो जाता है, अधिकतर मामलो में रोगियो को साधारण डेंगू बुखार ही होता है।
बचाव के लिए ये करें
सलाह दी गई है कि डेंगू बुखार के रोगी को स्वास्थ्य कर्मचारी की सलाह के अनुसार पेरासीटामाल की गोली या शरबत लेकर बुखार को कम रखना चाहिए। यदि बुखार 102 डिग्री से अधिक है तो बुखार को कम करने के लिए हाइड्रोथेरेपी करें। समान रूप से भोजन देना जारी रखें। बुखार की स्थिति में शरीर को ओर अधिक भोजन की आवश्यकता होती है, रोगी को आराम करने दें। डेंगू बुखार से बचाव के लिए एडीज मच्छरों का पनपना रोके एवं मच्छरो के काटने से बचाव करें। यह मच्छर केवल पानी के स्त्रोतों में ही पैदा होते हैं जैसे-नालियां, गड्डों, रूम कूलर्स, टूटी बोतलों, पुरानी टायर्स एवं डिब्बों तथा ऐसी ही अन्य वस्तुओं में जहां पानी फैलता हो। इसके लिए अपने घर में और आसपास पानी एकत्र न होने दें। गड्डों को मिट्टी से भर दें, रूकी हुई नालियों को साफ करें, रूम कूलर्स तथा फूलदानों का सारा पानी सप्ताह में एक बार पूरी तरह खाली कर दें, उन्हें सुखाएं तथा फिर से भरें। खाली टूटे फूटे टायरों, डिब्बों तथा बोतलों का उचित विसर्जन करें। घर के आसपास साफ सफाई रखें। पानी की टंकियों को सही तरीके से ढंके ताकि उसमें मच्छर प्रवेश न कर सके और प्रजनन न कर पायें। अपनी खिड़कियों एवं दरवाजो पर जाली लगवाएं तथा प्रतिदिन पूरे घर में पायेरीथ्रम का छिड़काव करें। डेंगू बुखार से ग्रस्त रोगी को बीमारी के शुरू के 6-7 दिनों में मच्छरदानी से ढंके बिस्तर पर ही रखें ताकि मच्छर उस तक न पहुंच पायें। फिर भी यदि व्यक्ति डेंगू बुखार से पीडि़त है, तो उसे शीघ्र ही स्वास्थ्य केन्द्र ले जाएं, ऐसा करने से डेंगू बुखार को महामारी का रूप धारण करने से पहले ही समाप्त किया जा सकता है।