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तुलसीदास की जयंती मनाई

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इटारसी। कलयुग में श्रीरामचरितमानस एक ऐसा ग्रंथ है जो सभी परिवारों को व्यवहारवाद की शिक्षा देता है। इसके रचियता गोस्वामी तुलसीदास का बुधवार को 522 वॉ जन्मदिवस श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर में मनाया गया। गोस्वामी तुलसीदास के जीवन चरित्र एवं उनके कृतित्व पर प्रकाश डालने के लिए नर्मदांचल के जाने माने रामकथा एवं भागवत कथाकार पं. मधुसूदन शास्त्री ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास करोड़ों हिन्दुओं के मन में बसे हैं। उनके द्वारा लिखित श्रीरामचरितमानस एक ऐसा गं्रथ है जिसकी घर-घर में पूजा तो होती ही है, लेकिन नियमित रूप से रामायण का पाठ भी होता है। तुलसीदास जी ने सनातन संस्कृति के परिवार को संचालित करने के लिए श्रीराम चरितमानस में उन सभी बातों का उल्लेख किया है जो परिवार को एकजुट रखकर उसे आगे बढ़ाने में मदद करती है। गोस्वामी तुलसीदास का जन्म श्रावण शुक्ला सप्तमी को संवत् 1554 में हुआ था। तुलसीदास के जन्म के समय मुख में पूरे 32 दांत थे और उन्होंने सबसे पहले राम नाम का ही उच्चारण किया। गोस्वामी तुलसीदास पर भगवान शिव और हनुमानजी की बड़ी कृपा थी। संवत् 1561 में उनका उपनयन संस्कार हुआ एवं संवत् 1583 जयेष्ठ शुक्ल 13 गुरूवार को भारद्वाज गोत्र की एक सुंदर कन्या के साथ उनका विवाह हुआ एक बार तुलसीदास जी की पत्नी रत्नावली अपने भाई के साथ मायके चली गई पीछे-पीछे तुलसीदास जी वहां पहुंच गए।
तुलसीदास की पत्नी रत्नावली ने उनके आने पर उन्हें बहुत धिक्कारा और कहा कि मेरे इस हाड मास के शरीर में जितनी तुम्हारी आशिक्त है उससे आधी भी यदि भगवान में होती तो तुम्हारा बेड़ा पार हो गया होता। रत्नावली का ऐसा बोलना तुलसीदास को तीर के समान चुभ गया वह तुरंत वहां से चल दिए और साधु वेश धारण किया। मानसरोवर के पास उन्हें काकभुशुण्डि के दर्शन हुए। गोस्वामी तुलसीदास को हनुमान जी और रामजी के भी दर्शन हुए।
सवंत् 1631 जब प्रारंभ हुआ तब उस साल रामनवमी के दिन प्राय: वैसा ही योग था जैसा त्रेता युग में राम जन्म के दिन था। उसी दिन गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीराम चरितमानस की रचना की जो 2 वर्ष 7 महीने 26 दिन में ग्रंथ की समाप्ति हुई एवं संवत् 1633 के मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष में राम विवाह के दिन सातों कांड पूरे हुए। कार्यक्रम के प्रारंभ में मंदिर के पुजारी सत्येन्द्र पांडे, पीयूष पांडे एवं विनोद दुबे ने गोस्वामी तुलसीदास की पूजा अर्चना की एवं मधुसूदन शास्त्री का पुष्पहार से स्वागत किया।

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